समस्तीपुर मे कार्टून की भूमिका में भाषा और गणित का पाठ पढ़ा रहे विकास,वायरल हो गए..
समस्तीपुर: ‘बोल रे…कठपुतली डोरी कौन संग बांधे डोर’ शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने बॉलीवुड फिल्म का यह गाना नहीं सुना होगा। ऐसी ही डोर समस्तीपुर जिले के उत्क्रमित मध्य विद्यालय नवादा के शिक्षक विकास कुमार गुप्ता ने बांधी है।
बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ रहे हैं। इसके लिए वह बच्चों को बड़े ही रोचक तरीके से पढ़ाते हैं। अभिनय से बच्चों को भाषा व गणित की अवधारणा को समझाने की गतिविधि का प्रदर्शन करते है।
इसमें वे स्वयं एक कार्टून की भूमिका का अभिनय करते है। मोर की आकृति के अंदर भाषा व गणित के विभिन्न पाठ को समझाते है। वहीं, टोपी के माध्यम से गणित के ज्यामितीय आकृतियों की समझ विकसित करते है।
विकास ने बताया कि अभिनय के माध्यम से जब बच्चों को किसी पाठ को समझाया जाता है तो बच्चे रोचकता व सरलता के साथ उसे आत्मसात करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पढ़ाई बोझिल नहीं लगती है। टीएलएम मेला, शिक्षकों के प्रशिक्षण के दौरान भी कार्टून की भूमिका का अभिनय करते हैं।
शिक्षा को रोचक बनाने के लिए कठपुतली का लिया सहारा
शिक्षा की अलख जगाने के दौरान विकास ने अलग-अलग माध्यमों का सहारा लिया। इनमें से एक माध्यम कठपुतली को बनाया। बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए वह उन्हें कठपुतली का खेल दिखाते हैं।
इसी के माध्यम से वह बच्चों में शिक्षा के प्रति रूचि पैदा कर रहे हैं। वह बच्चों को कठपुतली के माध्यम से आसान व रोचक तरीके से पढ़ाते हैं। इसके साथ ही बच्चों को कविता और कहानी भी सुनाते है।
प्रायोगिक पढ़ाई से अवधारणा को कर रहे स्पष्ट
विद्यालय में विज्ञान विषय की प्रायोगिक कक्षा नहीं है, लेकिन एक वर्ग कक्ष को प्रायोगिक कक्ष का रूप देकर बच्चों को सैद्धांतिक पठन-पाठन के बाद प्रायोगिक तरीके से अवधारणा स्पष्ट होने के साथ ही विज्ञान की पढ़ाई के प्रति बच्चों में रूचि बढ़ती है।
विद्यालय में पढ़ाई के अलावा छात्रों से संवाद कर उनकी समस्याएं सुनते हैं, जो छात्र स्कूल में नहीं आते हैं, उनके घरों में जाकर विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को जागरूक करते हैं, ताकि अभिभावक विद्यार्थियों को स्कूल में भेजें।
बच्चों से उनके घर पर पढ़ाई का कोना बनवाकर पठन-पाठन कराते है। क्षेत्र परिभ्रमण कर बच्चों को जागरूक करते है।
छात्र सद्दाफ खान, छात्रा अंजली कुमार, साइस्ता परवीण, रौनक परवीन ने बताया कि विज्ञान विषय की पढ़ाई के दौरान पाठ को रोचक बना देते है। इससे पढ़ाई के लिए काफी रूचि बढ़ जाती है। इससे विज्ञान काफी रूचिगर लगने लगा है। सोर्स:जागरण।