Monday, November 25, 2024
Patna

सेंट्रल जेल में मेगा चिकित्सा जांच शिविर का आयोजन,DM बोले बंदियों को मिलनी चाहिए सेवाओं का लाभ

बक्सर, 17 अगस्त | स्वास्थ्य के अधिकार के तहत समाज के सभी वर्गों और लोगों को इसका लाभ मिलना चाहिए। चाहे वो किसी भी परिस्थिति में हो। इसलिए बंदियों को भी स्वास्थ्य के अधिकार के अंतर्गत सेवाओं और सुविधाओं का लाभ मिलना चाहिए। उक्त बातें जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने बक्सर सेंट्रल जेल में आयोजित मेगा चिकित्सा जांच शिविर के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के बाद सरकार बंदियों के स्वास्थ्य को लेकर तत्पर है।

 

 

 

इसलिए माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार नियमित रूप से चिकित्सा जांच शिविर लगाए जा रहे। इस एकीकृत जांच शिविर में टीबी, यौन संचारी रोग, एचआईवी व हेपेटाइटिस बी/सी की जांच होगी। यदि किसी बंदी की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उनका तत्काल इलाज शुरू किया जायेगा। साथ ही, सरकार की ओर से मिलने वाली सेवाओं और सुविधाओं का लाभ भी उनको दिया जायेगा। जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद सिन्हा को इन चिकित्सा जांच शिविरों का नियमित अनुश्रवण करने का निर्देश दिया। साथ ही, जेल सुपरिटेंडेंट को जिला स्वास्थ्य समिति समन्वय स्थापित रखने को कहा। ताकि, बंदियों को चिकित्सकीय सेवाओं का लाभ मिलता रहे।

 

 

सभी जेलों में चिकित्सा शिविर का आयोजन होगा :
शिविर के उद्घाटन सत्र के दौरान सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद सिन्हा ने बताया कि सरकार के निर्देशों के अनुसार अब सेंट्रल जेल समेत सभी जेलों में स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया जाएगा। स्वास्थ्य जांच शिविर लगाने का मुख्य उद्देश्य जेल में निरुद्ध बंदियों के स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों का समय से इलाज कराना है। जिससे किसी भी बंदी को बीमारी से न जूझना पड़े और साथ ही बंदियों को बीमारी से होने वाले मानसिक तनाव से बचाना है। कई बार विचाराधीन कैदी मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या जैसे कदम उठा लेता है जो उचित नहीं है। उन्होंने कहा की बंदियों को मानसिक तनाव से बचाने एवं बीमारी से मुक्त रखने के लिए समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाते रहेंगे। बंदियों को नि:शुल्क जांच के साथ उचित परामर्श और दवाइयां भी दी जाएंगी।

 

 

टीबी का जोखिम कम करने के लिए स्क्रीनिंग जरूरी :
वहीं, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है। एक टीबी का मरीज 10 स्वस्थ लोगों को संक्रमित कर सकता है। ऐसे में टीबी के संक्रमण से बंदी भी अछूते नहीं हैं।

 

 

 

लैंसेट की एक रिपोर्ट के अनुसार सामान्य परिस्थिति के मुकाबले जेल में निरुद्ध बंदियों में टीबी का जोखिम पांच गुना अधिक होता है। जिसको देखते हुए सरकार ने जेल के बंदियों में भी टीबी और अन्य संक्रामक बीमारियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। टीबी के प्रसार को रोकने के लिए सबसे पहला कदम है उसकी जांच। इसलिए टीबी के जोखिम को कम करने के लिए स्क्रीनिंग जरूरी है। उन्होंने बताया कि 17 अगस्त से शुरू हुआ यह जांच शिविर दो सितंबर तक चलाया जाएगा। जिसमें सेंट्रल जेल, महिला जेल और ओपन जेल के सभी बंदियों में टीबी, यौन संचारी रोग, एचआईवी व हेपेटाइटिस बी/सी की जांच होगी।
इस अवसर पर सदर एसडीएम धीरेंद्र कुमार मिश्र, जेल सुपरिटेंडेंट राजीव कुमार, जिला यक्ष्मा केंद्र के डीपीसी कुमार गौरव, विजय यादव, एसके दास, उत्तम कुमार, राजीव कुमार, राहुल कुमार और मनीष कुमार श्रीवास्तव समेत जेल के अधिकारी, कर्मी और बंदी गण मौजूद रहें।

Kunal Gupta
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