महिला सशक्तिकरण अधिकार एवं कल्याण विषय पर विधिक जागरूकता शिविर आयोजित
लखीसराय ।राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार नई दिल्ली एवं बिहार राज्य सेवा प्राधिकार पटना के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार लखीसराय के द्वारा सदर अस्पताल सभागार में महिलाओं के सशक्तिकरण अधिकार एवं कल्याण विषय पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया । शिविर में मुख्य वक्ता प्राधिकार के सचिव अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार ने कहा कि नारी शक्ति श्रद्धा की प्रतीक है क्योंकि यह समाज की जननी है। हमारे देश में एक मूल कानून है। जिसे मदर ला ऑफ दी लैंड अर्थात भारतीय संविधान कहा जाता है। भारतीय संविधान से ही नित नए नए कानून बनाए जाते हैं ।
उन्होंने कहा कि संविधान में महिलाओं के लिए बहुत सारे कानून बनाए गए हैं । शिक्षा का अधिकार महिलाओं के विकास के लिए अत्यंत ही जरूरी है । संविधान संशोधन अधिनियम 1986 के तहत अनुच्छेद 21ए में शिक्षा के अधिकार को मूलभूत अधिकार मान लिया गया है। अर्थात इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता । श्री कुमार ने कहा कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की यह कविता की” हाय नारी तेरी यही कहानी आंचल में दूध और आंख में पानी” आज के समय में प्रासंगिक नहीं है क्योंकि महिलाएं अपने अधिकार को जान चुकी हैं और धीरे-धीरे सशक्त हो रही हैं।
प्राधिकार के रिटेनर अधिवक्ता सीतेश सुधांशु ने कहा कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का निवास होता है। भारतीय कानून में महिलाओं के हित के लिए बहुत सारी धाराएं बनाई गई । भारतीय दंड संहिता की धारा 354 354ए बी सी डी 304बी 376 509 दहेज अधिनियम घरेलू उत्पीड़न से महिलाओं की सुरक्षा हेतु अधिनियम पिता की संपत्ति में पुत्री का अधिकार अधिनियम समेत कई कानून बनाए गए हैं । जो कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए है एवं उनका हक दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। वरीय अधिवक्ता कुमारी बबीता ने कहा कि महिलाओं को अपने अधिकार के प्रति सजग होकर सशक्त होने की आवश्यकता है।
तभी हमारा देश विकास के पथ पर अग्रसर हो सकता है । स्त्री और पुरुष एक परिवार रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं जिसमें दोनों को शिक्षित होना जरूरी है । तभी परिवार आगे बढ़ सकता है कहा जाता है कि एक महिला अगर पढ़ी लिखी होती है तो पूरे परिवार को पढ़ा-लिखा सकती है महिला को शिक्षित और सशक्त होना अत्यंत आवश्यक है । कार्यक्रम में अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।