Dalsinghsarai:द्रौपदी का चरित्र अनोखा है,पूरी दुनिया के इतिहास में उस जैसी दूसरी स्त्री कोई नहीं हुई
Dalsinghsarai ;दलसिंहसराय शहर के लोकनाथपुर स्थित मुरली मनोहर ठाकुवारी में चल रहे सात दिवसी श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा वाचक अनिरुद्धाचार्य जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य ,युवा कथावाचक माध्वाचार्य महाराज ने कथा वाचन करते हुए कहा कि सुख दिन्हें सुख होत है दुख दिन्हेें दुख होय !! आप किसी को दुख देंगे तो आपको भी दुख मिलेगा । वही अगर आप किसी को सुख देते है तो आप भी सुखी रहेंगे । लेकिन ये सब ज्ञान आपको भगवत कथा के श्रवण करने से ही प्राप्त होगी । सांसारिक ज्ञान तो समाज से मिल ही जाती है लेकिन बौद्धिक ज्ञान सिर्फ और सिर्फ आपको श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने से ही मिलेगी ।
आगे उन्होंने ने कथा में द्रोपति चरित्र के प्रसंग पर बोलते हुए कहा कि द्रौपदी का चरित्र अनोखा है। पूरी दुनिया के इतिहास में उस जैसी दूसरी कोई स्त्री नहीं हुई। महाभारत में द्रौपदी के साथ जितना अन्याय होता दिखता है, उतना अन्याय इस महाकथा में किसी अन्य स्त्री के साथ नहीं हुआ। द्रौपदी संपूर्ण नारी थी। महाभारत का युद्ध कौरवों का अपने चचेरे भाइयों के प्रति ईर्ष्या रखना, धन-संपत्ति का लालच, मानसिक भटकाव, प्रतिशोध की भावना और अपनी ताकत पर घमंड इस भयंकर युद्ध के कारण बने। महाभारत की कहानी में ऐसा बहुत कुछ हुआ जिसकी कल्पना कर पाना भी मुमकिन नहीं था।
जिस्म में द्रौपदी का पांच भाइयों की पत्नी बनना मुख्य तौर पर देखा जा सकता है। यूं तो आज भी किसी महिला का एक से ज्यादा पुरुषों के साथ संबंध होना सामाजिक तौर पर तुच्छ कर्म ही माना जाता है। लेकिन पहले तो हालात और भी बुरे थे। पुरुषों को तो एक से अधिक महिलाओं के साथ संबंध रखने या विवाह करने की इजाजत थी परंतु किसी स्त्री का इस विषय में ऐसा सोचना गुनाह था। ऐसे हालातों में द्रौपदी का पांच पतियों की पत्नी बनकर रहना, अपने आप में हैरान करने वाली बात थी।
द्रौपदी ने जब पांचों भाइयों की पत्नी बनने की शर्त कई वचनों के साथ पूरी की, जिनमें सबसे पहली शर्त थी कि वह एक समय पर एक ही भाई की पत्नी बनकर रहेंगी। यह सीमावधि एक साल की होगी और इस दौरान अन्य भाइयों का उनसे कोई वास्ता नहीं होगा। विवाह के समय वेद व्यास ने भी द्रौपदी को यह वरदान दिया कि जब भी वह एक भाई से दूसरे भाई के पास पत्नी बनकर जाएंगी, तब वह अपना कौमार्य फिर से हासिल कर लेंगी। इसके अलावा भी द्रौपदी को कुछ वरदान हासिल थे जिनका उल्लेख महाभारत की कथा में मिलता है। महाभारत में इस घटना उल्लेख है कि दुःशासन ने अपने अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण करवाया था।
लेकिन श्रीकृष्ण ने स्वयं प्रकट होकर द्रौपदी के सम्मान की रक्षा की। वैसे थे हमारे कृष्ण । इसके अलावे उन्होंने पांडवों का स्वर्गारोहण, कलयुग का आना,राजा परीक्षित को श्राप,और सुखदेव जी महाराज, राजा परीक्षित को कथा भी विस्तार से सुनाया। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के सफल आयोजन को लेकर कार्यकर्ता नंदकिशोर चौधरी, हरे कृष्ण राय, कुंदन कुमार झा ( शिक्षक)नवीन झा (शिक्षक), सीता राम झा सहित सैंकड़ों महिला पुरुष मौजूद थे ।