टीबी मरीजों की खोज में सीतामढ़ी राज्य में सबसे आगे,रेफरल ओपीडी और डोर स्टेप सुविधाओं से हो पाया संभव
सीतामढ़ी। 13 जून.टीबी उन्मूलन के लिए यह जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में टीबी के नए मरीजों की खोज की जाए, जिसमें सीतामढ़ी ने राज्य में अन्य जिलों की अपेक्षा कहीं ज्यादा सजगता और सतर्कता दिखाई है। जिला यक्ष्मा विभाग ने पिछले वर्ष की तुलना में मई तक नए टीबी रोगियों की खोज की अपेक्षा इस वर्ष 51 प्रतिशत अधिक नए टीबी रोगियों की खोज की है जो इस वर्ष के कुल लक्ष्य का 88 प्रतिशत है। मई तक जिले में कुल 3300 नए टीबी रोगियों की खोज की गई है। इस उपलब्धि पर सीडीओ सह जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ मुकेश कुमार ने खुशी जाहिर करते हुए इसे अपने स्वास्थ्य कर्मियों की उपलब्धि माना है।
सजगता से मिली सफलता:
डॉ मुकेश कुमार कहते हैं नए टीबी रोगियों की खोज के लिए जरूरी था कि ग्राम स्तर पर टीबी की जांच सुविधा हो इसके लिए हम लोगों ने एक्टिव केस फाइंडिंग कैंपेन चलाया। गांव में जाकर कैंप लगायाए, स्क्रीनिंग कीए, संदिग्ध ढूंढे और जांच की संख्या को बढ़ाया। इसके अलावे ज्यादा नोटिफिकेशन में रेफरल ओपीडी की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। ओपीडी में खांसी की शिकायत लेकर आने वालों की भी टीबी जांच की।
निजी चिकित्सकों की भी भूमिका रही अहम:
डॉ मुकेश कुमार ने कहा कि टीबी नोटिफिकेशन में निजी चिकित्सकों ने भी महती भूमिका निभाई है। निजी चिकित्सकों को भी नए टीबी रोगियों की खोज पर पांच सौ रुपए दिए जाते हैं। वर्तमान में हम लोग टीबी मुक्त पंचायत हेतु जिला स्तर पर प्रयास कर रहे हैं जिसके लिए टीबी प्रीजम्टीव एग्जामिनेशन रेट में वृद्धि आवश्यक है।
निक्षय मित्र भी निभा रहे टीबी उन्मूलन में योगदान:
डॉ मुकेश ने कहा कि नए निक्षय मित्र जोड़ कर यक्ष्मा मरीजों को न्यूट्रीशनल सपोर्ट उपलब्ध कराने हेतु लगातार प्रयास किया जा रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन सीतामढ़ी के सचिव डॉ संजय कुमार वर्मा द्वारा व्यक्तिगत रूप से रूचि लेते हुए आइएमए के सदस्यों से निक्षय मित्र बनने को अपील की गई थी, जिससे प्रेरित होकर पूर्व जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ ए के झा द्वारा दो यक्ष्मा मरीजों को गोद लेने हेतु इच्छा व्यक्त की गई है। इसके साथ ही रमन कुमार श्रीवास्तव द्वारा अपनी टीम की तरफ से 25 यक्ष्मा मरीजों को गोद लेने हेतु आश्वासन दिया गया है।