देवघर जिला स्थापना दिवस,41 वां वर्ष में पहुंचा देवघर, जानें कितना बदला बाबा की नगरी
देवघर जिला स्थापना दिवस।देवघर :बीती 1 जून 1983 को देवघर को जिला घोषित किया गया. देव यानी देवी देवता और घर मतलब निवास स्थान. देवी देवताओं के निवास स्थान के कारण देवघर नाम पड़ा. यहां शिव और शक्ति दोनों का निवास स्थान है. देवघर को बैद्यनाथधाम के नाम से भी जाना जाता है. यहां पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योर्तिलिंग बाबा बैद्यनाथ विराजमान हैं. माता सती के हृदय पर ही ज्योर्तिलिंग की स्थापना की गई है. यही कारण है कि यह शक्तिपीठ भी कहलाता है. यहाँ की गई याचना की पूर्ति जल्द पूरी होती है. तभी तो बाबा बैद्यनाथधाम पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है.
खासकर सावन माह में लगने वाला श्रावणी मेला सबसे लंबा मेला माना जाता है. सुल्तानगंज स्थित उत्तर वाहिनी गंगा से जल लाकर कांवरिया श्रावण माह में जल चढ़ाते हैं. धीरे धीरे लोगों की आस्था बढ़ी और आज के समय में हज़ारों लोग प्रतिदिन बाबा बैद्यनाथ की पूजा अर्चना करने देश विदेश से आते हैं. श्रावण माह में यह आंकड़ा लाखों तक पहुंच जाता है.
बाबा मंदिर पर ही संताल परगना की अर्थव्यवस्था टिकी हुई है. यहां का पेड़ा एक उद्योग का दर्जा बना हुआ है. इसके अलावा देवघर का दही,मिठाई, फलाहारी जलेबी का स्वाद विदेशों तक प्रसिद्ध है. देवघर में मटन को स्थानीय बोलचाल में अट्ठे कहा जाता है जो पूरे क्षेत्र में सर्वाधिक मशहूर है.
देश के कई राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री,मुख्यमंत्री,नेता,अभिनेता,कलाकार,खिलाड़ी यहां आते रहते हैं.
पिछले40सालों में देवघर का काफी विस्तार हुआ है. रेल मार्ग की बात करें तो जसीडीह स्टेशन यहां का मुख्य है. हावड़ा-दिल्ली मुख्य रेल मार्ग पर स्थित जसीडीह स्टेशन संताल परगना का प्रवेश द्वार माना जाता है. इसके अलावा बैद्यनाथ धाम और देवघर स्टेशन भी है.
देश का एक मात्र जिला है जिसके नाम से दो दो रेलवे स्टेशन है. एक बैद्यनाथ धाम और दूसरा देवघर स्टेशन.
सड़क मार्ग की बात करें तो बिहार के बांका और जमुई जिला के रास्ते शहर में प्रवेश कर सकते हैं. झारखंड के गिरीडीह,दुमका,जामताड़ा के रास्ते देश के कोने कोने से यहां पहुँच सकते हैं.
हवाई मार्ग भी यहां चालू है. रांची,पटना,कोलकाता और दिल्ली से सीधे हवाई मार्ग से देवघर पहुँच सकते हैं.
देवघर के जानकार बताते थे कि पहले जब मंदिर इतना प्रसिद्ध नहीं हुआ था तो बाबा बैद्यनाथ की पूजा दाता साह कंबल द्वारा की जाती थी. आज भी दाता साह कंबल का मजार शिवगंगा के पास स्थित है.
पिछले40वर्षों में देवघर में कई संस्थाएं भी आई,जिसमें मुख्यdrdo,झारखंड का एक मात्रaiimsऔरioclका टर्मिनल का संचालन मुख्य है. जिसके माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा हुए.
दार्शनिक स्थल के रूप में यहाँ ठाकुर अनुकूल चंद जी का सत्संग आश्रम है जहां सालों भर अनुयायियों का आना जाना लगा रहता है. वहीं योग गुरु सत्यानंद सरस्वती की तपोभूमि रिखिया पीठ है. यहाँ भी सालों भर देश विदेश के शिष्यों का आना जाना लगा रहता है.
पिछले40वर्षों में देवघर का चौमुखी विकास ऐसे हुआ है कि आने वाले दिनों में यह मेट्रो सिटी बन सकता है.
पर्यटन की दृष्टिकोण से भी यह पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में शामिल हैं. यहाँ त्रिकुट पहाड़ से जहां झारखंड के एक मात्र रोपवे स्थापित है. लेकिन पिछले साल10अपैल को हुए हादसा के बाद इसका संचालन अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है. जमीन से800मीटर ऊंची रोपवे में हुए एक हादसा ने देश को हिला दिया था. तब सबसे कठिन माना जाने वाला रेस्क्यू ऑपरेशन सेना द्वारा चलाकर हवा में झूलती42जिंदगी को बचाया गया था.
इसके अलावा नंदन पहाड़ है जहां हर वर्ग के लिए मनोरंजन पार्क के रूप में स्थापित है. वहीं बालानंद आश्रम स्थित नौलखा मंदिर और तपोवन पहाड़ सैलानियों को खूब पसंद है.
देवघर जिला में मधुपुर और देवघर अनुमंडल है. गोड्डा लोकसभा में आने वाला इस जिला में लगभग15लाख की आवादी है और यहां साढ़े तीन विधानसभा क्षेत्र है. देवघर के अलावा मधुपुर और सारठ विधानसभा है जबकि दुमका के जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र का आधा हिस्सा देवघर में पड़ता है.
देवघर ने सीएम,मंत्री,वैज्ञानिक इत्यादि सहित कई कलाकार दिया है.
जहां एक ओर चितरा में कोलियरी से राजस्व मिलता है तो जामताड़ा के बाद यह जिला साइबर अपराध के रूप में जाना जाता है. देश का शायद ही कोई राज्य होगा जहाँ की पुलिस साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए देवघर न आई हो.
स्थापना दिवस पर जिला के डीसी मंजूनाथ भजंत्री सहित कई अधिकारियों ने जिला वासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी है.