कालाजार मरीजों के इलाज के तुरंत बाद भुगतान सुनिश्चित करने का है निर्देश
कालाजार .बक्सर| कालाजार उन्मूलन के लिए निर्धारित लक्ष्य 2023 को बिहार द्वारा प्राप्त करने में मरीजों को एनसीवीबीडीसी, भारत सरकार एवं मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना द्वारा दिए जाने वाले आर्थिक सहायता के रूप में श्रम-क्षतिपूर्ति राशि के रूप में 7100 रुपये देने का प्रावधान है। इसमें मरीजों के लिए 6600 रुपये और आशा के लिए 100 रुपये की राशि मुख्यमंत्री कालाजार राहत अभियान के अंतर्गत दी जाती है। वहीं प्रति मरीज एवं आशा को 500 रुपये भारत सरकार की तरफ से दिया जाता है। कालाजार मरीजों को में श्रम-क्षतिपूर्ति राशि देने का उद्देश्य यह है कि अधिकतर कालाजार मरीज गरीब तबके से आते हैं। ऐसे परिवार के मरीज यदि कालाजार से ग्रसित होते हैं तो इनके द्वारा दैनिक रूप अर्जित किये जाने वाले मजदूरी अथवा अन्य कार्य पर प्रभाव पड़ता है। साथ ही ऐसे मरीज इलाज के एक माह तक कमजोरी के कारण काम करने में असमर्थ होते हैं।
30 मई तक किया जायेगा भुगतान:
इस बाबत अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम, डॉ. अशोक कुमार ने चयनित जिलों को छोड़ बाकी जिलों के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी को पत्र जारी कर आवश्यक निर्देश दिए हैं। जारी पत्र में बताया गया है कि 1 जून को अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग द्वारा वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम की समीक्षा की जानी है। पत्र में आगे बताया गया है कि कालाजार मरीजों के एक माह के स्वास्थ्य लाभ एवं परिवार के भरण-पोषण के लिए श्रम-क्षतिपूर्ति राशि की भुगतान का प्रावधान किया गया है। जारी पत्र में बताया गया है कि राज्य स्तर पर मरीजों के डाटा विश्लेषण से यह ज्ञात होता है कि वर्ष 2022 एवं 2023 के कुछ जिलों के कुछ मरीजों की श्रम-क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान अभी तक लंबित है। जबकि इन्हें उपचार के तुरंत बाद ही भुगतान किये जाने का निर्देश है। पत्र में निर्देशित है कि लंबित श्रम-क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान 30 मई तक सुनिश्चित करते हुए कामिस सॉफ्टवेयर में इसकी प्रविष्टि सुनिश्चित की जाये।
कम रोशनी और नमी वाले स्थानों पर रहती है बालू मक्खी:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि बालू मक्खी द्वारा काटने से कालाजार होता है। मिट्टी और बिना प्लास्टर के घरों में स्थित दरारों में बालू मक्खी के छिपने की संभावना अधिक रहती है। अमूमन बालू मक्खी कम रोशनी और नमी वाले स्थानों पर रहती है. जैसे घरों की दीवारों की दरारों, चूहों के बिल तथा ऐसे मिट्टी के टीले जहां ज्यादा जैविक तत्व और उच्च भूमिगत जल स्तर हो। ऐसे स्थान उनको पनपने में लिए बेहतर माहौल देते हैं। उन्होंने बताया यह मक्खी उड़ने में कमजोर जीव है, जो केवल जमीन से 6 फुट की ऊंचाई तक ही फुदक सकती है। मादा बालू मक्खी ऐसे स्थानों पर अंडे देती है जो छायादार, नम तथा जैविक पदार्थों से परिपूर्ण हो। जिन घरों में बालू मक्खियाँ पाई जाती हैं उन घरों में कालाजार के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। डॉ. कुमार ने बताया कि जिन इलाकों में कालाजार के मरीज मिलते हैं, वहां एसपी पाउडर का छिड़काव कराया जाता है ताकि लोगों को कालाजार की चपेट में आने से बचाया जा सके।