Thursday, November 28, 2024
New To India

3 साल की उम्र में एसिड अटैक,आंखें गईं और चेहरा झुलसा.पढ़ें स्कूल टॉपर ‘काफी’ की कहानी

3 साल की उम्र में तेजाब में फेंका गया. आंखें चली गईं और शरीर बुरी तरह झुलस गया. लेकिन ये दर्दनाक घटना इस मासूम के जज्बे को न तोड़ सकी. यही कारण है कि अब जब ये बच्ची 15 साल की हुई तो 10वीं क्लास में स्कूल टॉप कर दिया. हम बात कर रहे हैं ‘काफी’ की, जिसने चंडीगढ़ के ब्लाइंड स्कूल में दसवीं क्लास में स्कूल टॉप किया है. दरअसल, काफी एक एसिड सर्वाइवर है और जब वह महज तीन साल की थी, तब हिसार के गांव बुढ़ाना में पड़ोस में रहने वाले तीन युवकों ने जलन के चलते काफी पर तेजाब फेंक दिया था.

इसके चलते वह नेत्रहीन हो गई और उसका पूरा मुंह व बाजू बुरी तरह से झुलस गए, लेकिन काफी ने हार नहीं मानी. आज काफी के घरवाले और पूरा स्कूल उसकी इस उपलब्धि पर गौरवान्वित महसूस कर रहा है. काफी के दसवीं में 95.20 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. वह आईएएस अधिकारी बनना चाहती है. लेकिन काफी के यहां तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं रहा. उसने आजतक से खास बातचीत में बताया कि जब वह महज 3 साल की थी तो होली वाले दिन उसके पड़ोस में रहने वाले तीन लोगों ने उसके ऊपर द्वेष के चलते तेजाब फेंक दिया, जिसके बाद उसका और उसके घर वालों का संघर्ष जारी हो गया.

काफी ने बताया कि इलाज के लिए सबसे पहले उसके पिता ने उसे दिल्ली AIIMS भर्ती करवाया और डॉक्टर ने 1 हफ्ते के बाद ही बता दिया कि काफी जिंदगी भर अंधेरे में ही रहेगी. तेजाब से झुलसने के कारण काफी की आंखों की पूरी रोशनी चली गई. साथ ही उसका पूरा मुंह और बाजू भी झुलस गए थे. डॉक्टर ने किसी तरह उसे बचा तो लिया लेकिन उसकी आंखों की रोशनी को वह नहीं बचा पाए.

 

आरोपियों को मिली महज 2 साल की सजा

भरे गले से बात करते हुए काफी ने बताया कि उसके पिता ने उसके लिए खूब संघर्ष किया और जिन लोगों ने उसके ऊपर तेजाब फेंका था, उन्हें हिसार की जिला अदालत ने 2 साल की सज़ा सुनाई. लेकिन 2 साल की सजा पूरी करने के बाद आज तीनों आजादी से घूम रहे हैं. इसका दर्द आज भी काफी और उसके घरवालों को झकझोर रहा है.

पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ शिफ्ट हो गया परिवार

काफी ने बताया कि जब वह 8 साल की हुई, तब उसने हिसार के ही नेत्रहीन स्कूल में पढ़ना शुरू किया. पहली और दूसरी कक्षा तक उसी स्कूल से की, लेकिन वहां पर अच्छी सुविधा ना होने के कारण उसके घर वालों ने वहां से पूरे परिवार के साथ चंडीगढ़ आने का फैसला कर दिया. उसके पिता अनुबंध पर चंडीगढ़ के सचिवालय में चपरासी की नौकरी कर रहे हैं. काफी पढ़ाई में शुरू से ही अच्छी थी, जिसके चलते चंडीगढ़ के सेक्टर 26 ब्लाइंड स्कूल में उसे सीधे ही छठी क्लास में एडमिशन मिल गया.

पिता बोले- बेटी पर है गर्व

काफी के पिता पवन ने बताया कि उनकी बेटी ने कभी भी हौसला और उम्मीद नहीं हारी. उसने अंधेरे में भी पढ़ाई की और ऐसी लौ जलाई रखी, जिसके जरिए न अपना, बल्कि उसने अपने हमारा नाम भी रोशन किया. पवन बताते हैं कि उन्होंने अपनी बेटी का नाम काफी इसलिए रखा था कि बस अब उन्हें और बेटी नहीं चाहिए, नम आंखों से आज वह गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. पवन बताते हैं कि उन्होंने साल 2017 में उन आरोपियों के खिलाफ पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक अपील दायर की थी, लेकिन तब से लेकर अभी तक वह लटकी हुई है और उस पर कोई भी फैसला नहीं हुआ है.

Kunal Gupta
error: Content is protected !!