Sunday, October 6, 2024
Samastipur

नसबंदी को लेकर पुरुषों में अभी भी जागरूकता का अभाव

 

सासाराम/ 21 अप्रैल। जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर सरकार अभियान के तरह परिवार नियोजन पखवाड़ा का आयोजन करती है जिसमे लोगों को परिवार नियोजन से संबंधित स्थाई और अस्थाई परिवार नियोजन को अपनाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है। इस जागरूकता अभियान में महिला बंध्याकरण के साथ साथ पुरुष नसबंदी पर भी काफी जोर दिया जाता है| लेकिन जिले में नसबंदी के प्रति पुरुषों में जागरूकता नही दिखाई दे रही है। पुरुष आज भी नसबंदी कराने के लिए आगे ना आकर महिलाओं को ही आगे कर रहे है। इसका मुख्य कारण आज भी लोगों में पुरुष नसबंदी को लेकर पुरानी सोच कायम है। अधिकांश पुरुष यही मानते है की नसबंदी कराने से मर्दाना शक्ति क्षीण होती है और शारीरिक कमजोरी आती है जिससे पुरुष भारी कार्य नही कर सकते। ये सोच ग्रामीण क्षेत्रों में ही नही शहरी क्षेत्रों के शिक्षित लोगों ने भी देखने और सुनने को मिलती है। पिछले महीने मिशन परिवार विकास के तहत आयोजित परिवार नियोजन पखवाड़ा के दौरान हुए बंध्याकरण और नसबंदी के आंकड़े दर्शाते है की पुरुषों में नसबंदी को लेकर भ्रम अभी भी बरकरार है। जिला स्वास्थ्य समिति से मिली जानकारी के अनुसार 13 से 31 मार्च तक आयोजित परिवार नियोजन पखवाड़ा में 414 महिलाओं ने बंध्याकरण करवाया जबकि महज 25 पुरुषों ने ही अपना नसबंदी करवाया।
नसबंदी कराने के बाद नही हो रही दिक्कत
लेकिन सरकार द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियान के कारण समाज में कुछ ऐसे पुरुष भी है जिन्होंने अपना नसबंदी करवा लोगों के मन में बैठे भ्रम को दूर कर रहे हैं। उन्हीं में से एक है सासाराम निवासी अभिषेक कुमार। इन्होंने नसबंदी करा कर लोगों को एक सकारात्मक संदेश दिया की पुरुष नसबंदी से किसी प्रकार की समस्या होती है। उन्होंने यह भी संदेश दिया की नसबंदी कराने से किसी प्रकार की कोई शारीरिक कमजोरी नहीं होती है। अभिषेक कुमार ने बताया कि 25 मार्च को अपना नसबंदी करवाया था। और आज मैं पहले के जैसा कार्य कर वह हूँ। उन्होंने बताया कि नसबंदी के पूर्व और नसबंदी के बाद कार्य मे फर्क नही आया। उन्होने बताया कि शुरू में उन्हें भी इस बात को लेकर डर था कि कमजोरी हो जाएगी। लेकिन एफआरएचएस के लोगों ने समझाया और पूरी जानकारी दी और मैंने नसबंदी करायी।
लोगों में जानकारी का आभाव
जिला अस्पताल में कार्यरत डीसीएम चन्दा कुमारी ने बताया कि ग्रामीण क्षत्रो के साथ साथ शहरी क्षेत्रों के लोगों में अभी भी नसबंदी को लेकर जानकारी का अभाव देखा जा रहा है। काफी समझाने के बावजूद भी पुरुष अपना नसबंदी के लिए राजी नही होते और कमजोरी होने तथा मर्दाना शक्ति कम होने के डर से नसबंदी से दूर भागते है जबकि ऐसा नही है। पुरुष नसबंदी कराने के बाद एक हप्ता के बाद से ही पहले के जैसा सामान्य कार्य किया जा सकता है।
पुरुष नसबंदी महिला बंध्याकरण से काफी आसान
एफआरएचएस के जिला समन्वयक विपिन कुमार ने बताया कि पुरुष नसबंदी महिला बंध्याकरण से कई गुना आसान और सरल है और इसकी जानकारी विभिन्न माध्यमो से लगातार लोगों तक पहुंचाई जाती है। उन्होंने बताया कि जानकारी के बावजूद भी पुरुष नसबंदी के लिए आगे नहीं आ पाते हैं। क्योंकि वर्षों से मन में बैठे भ्रम को तोड़ना इतना आसान नहीं होगा, परंतु लगातार प्रयास की वजह से अब पुरुष भी समझने लगे हैं और नसबंदी के लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पुरुष नसबंदी के लिए भी सरकार द्वारा भी प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है ताकि पुरुष नसबंदी को लेकर लोगों में जागरूकता आए।

Kunal Gupta
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