समस्तीपुर;सीआरएस निरीक्षण के बाद भी ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं:चार रेल खंडों पर ट्रेन चलाने की मिल चुकी है अनुमति
समस्तीपुर रेलमंडल में आमान परिवर्तन व नई रेलवे लाइन बिछाए जाने के बाद महीनों पूर्व सीआरएस ने निरीक्षण के बाद ट्रेन चलाने की अनुमती भी दे दी है। लेकिन महीनों बाद भी ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं हो पाया। जिससे यात्रियों की परेशानी कम नहीं हो रही है। रेलवे मंडल के हसनपुर- बिथान के बीच पिछले 50 सालों से लोग ट्रेन पर चढ़ने का सपना देख रहे हैं।
इन स्टेशनों के बीच रेलवे लाइन बनने के बाद गत 28 मार्च को सीआरएस ने निरीक्षण किया था। निरीक्षण के बाद सीआरएस इस खंड पर 90 किलोमीटर की स्पीड से ट्रेन चलाने की अनुमती दी थी। लेकिन अबतक ट्रेनों का परिचालन नहीं हो पाया।
हालांकि समस्तीपुर रेलवे मंडल के डीआरएम आलोक अग्रवाल ने बताया कि सीआरएस के आदेश के बाद वह ट्रेन चलाने के लिए रेलवे मुख्यालय को प्रस्ताव भेज चुके हैं। रेलवे मुख्यालय से आदेश मिलने के बाद ट्रेनों का परिचालन होगा। मंडल प्रशासन ट्रेन चलाने को तैयार है।
हसनपुर बिथान नई रेल खंड का निरीक्षण करते सीआरएस
इन रेल खंडों पर हो चुका है सीआरएस का निरीक्षण
रेलवे मंडल के ललितग्राम- नरपतगंज के बीच गत वर्ष 9 जून 22 को निरीक्षण हुआ था। निरीक्षण के बाद सीआरएस ने 100 किलोमीटर की स्पीड से ट्रेन चलाने की अनुमति भी प्रदान कर दी थी। इसके बाद गत 11 जनवरी को सीआरएस ने नरपगंज – फारबीसगंज के बीच निरीक्षण किया था। निरीक्षण के बाद इस खंड पर ट्रेन चलाने की अनुमती प्रदान की थी। इस खंड पर पिछले 15 सालों से फारबीगंज- सहरसा के सीधी ट्रेन सेवा बंद है।द्ध जबकि ट्रेन नरपगंज तक जाती है। इसमें विस्तार ही किया जाना है।
बिथान स्टेशन पर निरीक्षण के दिन खुश लोग
झंझारपुर- महरैल ::: इस रेलखंड के बीच गत 22 फरवरी को सीआरएस ने निरीक्षण किया था। निरीक्षण में सब ओके रहने के बाद सीआरएस ने ट्रेन चलाने की अनुमती प्रदान की थी। लेकिन अब करीब दो महीना होने को आया लेकिन इस स्टेशनों के बीच ट्रेन सेवा शुरू नहीं हो पाया। जिससे इस इलाके के लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
हसनपुर- सकरी रेल परियोजन के अधीन हसनपुर- बिथान के बीच 50 सालों के सफर के बाद 11 किलोमीटर रेलवे लाइन बन कर तैयार हुई। गत 28 मार्च को सीआरएस ने रेलखंड का निरीक्षण किया। निरीक्षण में सब ओके मिलने के बाद सीआरएस ने 90 किलो मिटर की स्पीड से ट्रेन चलाने की अनुमती प्रदान की है। लेकिन अब तक ट्रेन सेवा शुरू नहीं हो पाई।
यह बनता नया रूट
सहरसा – फरबीस गंज के बीच ट्रेन सेवा शुरू होने से दरभंगा से फारबिसगंज रेलखण्ड भी 89 वर्षों के बाद जुड़ जाएगा। सामरिक दृष्टि से दरभंगा से फारबिसगंज के बीच ट्रेन परिचालन शुरू होने से पूर्वोत्तर की दिशा के लिए एक नया मार्ग खुल जाएगा। साथ ही साथ दरभंगा से कटिहार और बंगाल भी सीधे मार्ग से जुड़ जायेगा। नेपाल से सटे इस रेलखंड का आपात स्थिति उपयोग किया जा सकता है। यहां बतादें कि वर्ष 1934 के भूकंप में कोसी पर पुल ध्वस्त होने से इस इलाके का जुड़ाव खत्म हो गया था।
डीआरएम ने क्या कहा
डीआरएम आलोक अग्रवाल ने कहा है कि सीआरएस निरीक्षण के बाद सहरसा से ललितग्राम व दरभंगा से झंझारपुर तक चलने वाली डेमू का विस्तार फारबिसगंज तक, जोगबनी से सहरसा और जोगबनी से दानापुर के लिए नई ट्रेन चलाने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड नई दिल्ली को उसी समय भेजा गया। इसके अलावा हसनपुर- बिथान रेलखंड के बीच ट्रेन चलाने का प्रस्ताव भेजा गया है। रेलवे बोर्ड से अनुमती मिलने के बाद ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया जाएगा। मंडल प्रशासन अनुमती के साथ ट्रेन चलाने के लिए तैयार है।