Indian Railway:वेटिंग टिकट कंफर्म कराने में अब नहीं चलेगा माननीयों का लेटरहेड, मेल पर मिलेगा एचओ कोटा
Indian Railway Latest News Updates ट्रेन के वेटिंग टिकटों को कंफर्म कराने के लिए सांसदों और विधायकों के लेटरहेड का इस्तेमाल किए जाने के बाद रेलवे की ओर से अब नई व्यवस्था शुरू की गई है। पूर्व-मध्य रेल की ओर से इस दिशा में कदम उठाया गया है। पूर्व-मध्य रेल सहित आल इंडिया रेलवे स्तर से मंत्री, सांसद समेत सभी माननीयों के हाई आफिशियल्स (एचओ) कोटे को लेकर नई व्यवस्था लागू की गई है। फैक्स की व्यवस्था की जगह मेल सिस्टम को अपनाया गया है।
पूर्व-मध्य रेल मुख्यालय के कामर्शियल विभाग ने भी अपने कर्मचारियों की जांच शुरू कर दी है। कामर्शियल सेल से फैक्स सिस्टम को हटाते हुए अब मेल सिस्टम को लागू कर दिया गया है। किसी भी मंत्री, सांसद या विधायक को एचओ कोटा चाहिए तो आफिशियल मेल से भेजना होगा। उसके बाद ही वे¨टग टिकट कंफर्म होगा। आफिशियल मेल नहीं भेजने वाले का मेल ब्लाक कर दिया जाएगा। उसके बाद फिर उनको एचओ कोटा नहीं मिलेगा।
पूर्व मध्य रेल के सीसीएम पीएस दयानंद ने बताया कि मेल की गड़बड़ी तुरंत पकड़ में आती है। मेल करने वाले से लेकर उसका लोकेशन तक पता चल जाता है। छठ के बाद एचओ कोटे में गड़बड़ी की कुछ शिकायतें आने के बाद सभी कर्मियों को बदल दिया गया है। इधर बहुत सारे मंत्री व सांसदों के लेटरपैड पकड़े जाने के बाद दोबारा जांच शुरू कर दी गई है। मास्टरमाइंड सत्यजीत किसी भी नेता का लेटरपैड निकालने में माहिर माना जा रहा है।
वह उसको स्कैन कर निकाल लेता था। इसकी जांच चल रही है। 313 मंत्री व सांसद के लेटरहेड में सौ को ईस्ट कोस्ट रेलवे के वाल्टेयर आरपीएफ के जवान ले गए हैं। वहीं दो सौ से अधिक लेटरहेड मुजफ्फरपुर आरपीएफ के पास हैं। अब तक की छानबीन से पता चला है कि मास्टरमाइंड सत्यजीत का वैशाली के लालगंज में भी घर है। वह वहां भी साइबर कैफे से सांसद व मंत्री के पैड पर एचओ कोटा के लिए भेजकर टिकट कंफर्म कराता था।
उसके अलावा गोबरसही के श्रीनगर कालोनी और लदौड़ा से भी फैक्स करने की बात सामने आई है। टिकट दलाली से सत्यजीत ने कितने पैसे कमाए, इसकी जांच शुरू कर दी गई है। गोरबसही और लदौड़ा की जमीन व मकान किसका है, यह पता लगाने के लिए आरपीएफ ने मुशहरी सीओ को पत्र भेजा है।
सांसद ने लगाया रेलकर्मियों पर मिलीभगत का आरोप
सांसद अजय निषाद ने कहा कि इस घटना के बाद थोड़ी चिंता हो गई, लेकिन छानबीन कराई गई तो पता चला कि सत्यजीत स्कैन करके लेटरहेड निकाल लेता है और दुरुपयोग करता है। उन्होंने रेलकर्मियों पर मिलीभगत का आरोप लगाया है।