श्री राम कथा मे बोले डॉ.मिश्र,गुरुदेव एवं भगवान का आशिर्वाद लेकर गृहस्थ जीवन होता है धन्य
लखीसराय/नगर के पचना रोड विषहरी स्थान स्थित बचपन प्ले स्कूल के प्रांगण में आयोजित श्री राम कथा के छठे दिन सोमवार को बनारस से आए हुए जाने माने प्रवचन कर्ता डा. मनोहर मिश्र महाराज ने विश्वामित्र की यज्ञ की रक्षा, अहिल्या उद्धार की अद्भुत व्याख्या एवं भगवान श्री राम के जनकपुर आगमन एवं फूलवारी प्रसंग की बहुत ही रोचक सरस एवं भाव पूर्ण कथा सुनाई।
डा. मिश्र ने इस प्रसंग कि व्याख्या करते हुए श्रोताओं को बताया कि अयोध्या के महाराज के पास राम प्रकट हुए और जनकपुर के महाराज जनक के पास सीता प्रकट हुई हैं।
राम भगवान और सीता है भक्ति भगवान को प्रकट करने के लिए यज्ञ एवं अनुष्ठान गुरुदेव वशिष्ट जी एवं श्रृंगी ऋषि के द्वारा करवाया जाता है तब यज्ञ भगवान स्वयं खीर का प्रसाद लेकर प्रगट होते हैं ।
उससे प्रसाद से भगवान श्री राम की प्राप्ति होती है ।
परन्तु महाराज जनक को सीता रूपी भक्ति को पाने के लिए यज्ञ एवं अनुष्ठान करवाने की आवश्यकता नही पड़ी ।
बल्कि हल चलाना पड़ा हल का मतलब समाधान भी होता है। और हल चलाना यानी कर्म करना कर्म से भक्ति मिलती है ।भक्ति मिल जाए तो भगवान को खोजना नहीं पड़ता है।
भगवान स्वयं भक्त और भक्ति को खोजते हुए आ जाते है। इसका आध्यात्मिक और व्यावहारिक अर्थ बताते हुए डॉ.मनोहर मिश्र महाराज ने कहा कि महाराज जनक सीता रूपी भक्ति को पाकर अपने मानवोचित कर्म में लगे हुए थे। उन्होंने कहा कि भगवान राम की भक्ति को पाने के लिए स्वयं अयोध्या से जनकपुर आ गए। डॉ.मिश्र ने कहा कि इन सब के बीच में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है विश्वामित्र जी यानी गुरु जी भक्त और भगवान का मिलन तभी संभव होता है ।
जब गुरुदेव का साथ हो गुरुदेव का आर्शीवाद हो ।
महाराज ने बताया की जिस भी व्यक्ति पर गुरु की कृपा हो जाए तो घर बैठे ही भगवान का दर्शन हो जाता है।
राम और सीता का मिलन पुष्प वाटिका में होता है जहाँ सीता गौरी पूजन के लिए आती हैं । राम गुरुदेव के पूजा के लिए “फूल तुलसी” लेने आते हैं यहाँ से राम और सीता का प्रथम मिलन होता है।
मतलब हम गृहस्त जीवन में प्रवेश तो करें पर गुरुदेव और भगवान का आशिर्वाद लेकर तब हमारा गृहस्थ जीवन धन्य होगा।इसलिए गृहस्थ जीवन में प्रवेश भी वासना पूर्ति के लिए नहीं उपासना की पूर्ति के लिए होना चाहिए ।यही मानव जीवन का परम लक्ष्य है।
इस अवसर पर आयोजन समिति के अभिमन्यू कुमार, रामदेव पाण्डेय, कन्हैया मंडल, सुदिन कुमार, राजकुमार, अरूण कुमार, कन्हैया कुमार एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित हुए।