श्री राम कथा के पांचवे दिन हुई बाल लिलाओं का आयोजन,उमड़ रही श्रोताओं की भीड़
लखीसराय।शहर के पचना रोड विषहरी स्थान स्थित बचपन प्ले स्कूल प्रांगण में आयोजित श्री राम कथा के पाँचवे दिन रविवार बनारस से आए हुए जाने-माने प्रवचन कर्ता डा. मनोहर मिश्र महाराज ने बहुत ही मनमोहक अंदाज़ में भगवान श्री राम, लक्ष्मण भरत, शत्रुध्न के मधुर-मधुर बाल लीलाओं का वर्णन किया।
डा. मिश्र ने बताया कि श्री राम के बाल लीलाओं को सुनकर मानव मात्र को जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। श्री राम चरित मानस के चौपाई|| प्रात काल उठी के रघुनाथा मातु पिता गुरु नावही माथा || इस चौपाई की व्याख्या करते हुए डॉ. मिश्र ने श्रोताओं को समझाया कि भगवान श्री राम सुबह उठते ही सबसे पहले अपने माता-पिता एवं गुरुदेव भगवान के चरण वंदना करते हैं प्रणाम करते है।
यह व्यवहार मानव मात्र को सिखना चाहिए अपने माता पिता एवं गुरुदेव सामने हों तो चरण छुकर उनको प्रणाम कर और उनका आशिर्वाद प्राप्त करें ।
अगर माता-पिता एवं गुरु जी सामने उपस्थित नहीं है। तो मन ही मन प्रणाम करें।इस का आध्यामिक एवं व्यवहारिक अर्थ समझाते हुए डा. मिश्र मे बताया की जो कोई व्यक्ति भी प्रतिदिन अपने माता-पिता गुरु एवं भगवान का आशिर्वाद प्राप्त करते है ।
उसके जीवन में चार चीजें रोज बढ़ती है पहला आयु दुसरा विद्या तीसरा यश और चौथा बल । कथावाचक डॉ.मनोहर मिश्र महाराज ने बताया कि भगवान श्री राम का जीवन पूरा मर्यादा पूर्वक जिया गया जीवन है।
हर व्यक्ति को भगवान श्री राम से जीवन की मर्यादा सिखनी चाहिए।
कैसे अपने माता- पिता के वचन को पूरा करने के लिए धर्म की रक्षा करने के लिए एक राजकुमार चौदह वर्ष तक वनवासी बनकर जीवन बिताते हैं।
जीवन के हर संघर्षो को पार करके एक मानव कैसे महामानव एवं देव मानव बन सकता है यह प्रेरणा श्री राम से सीखने योग्य है। मानव जीवन के मर्यादा के अनुरूप समय से यज्ञोपवित, विद्यारंभ एवं गुरू “देव के चरणों में बैठकर चारो भाईयों का “वेद” अध्ययन करना यह मनुष्य को ज्ञान प्राप्ति की प्रेरणा देती है। कथा के बीच-बीच में भजन कीर्तन के द्वारा महौल भक्तिमय बना हुआ है।इस अबसर पर आयोजक मंडल के अभिमन्यू कुमार, रामदेव पाण्डेय, कन्हैया मंडल, सुदिन कुमार, राजकुमार, अरूण कुमार, कन्हैया कुमार सहित भारी संख्या में श्रोता गण उपस्थित थे।
इनपुट:एस के गांधी ।