Success Story;IAS बनने का है सपना तो पढ़ लीजिए UPSC में 385वां रैंक लाने वालीं ज्योति की तीन बातें
Success Story;नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। तीसरे प्रयास के बाद नजफगढ़ के कांगनहेड़ी गांव की बेटी ज्योति यादव ने यूपीएससी परीक्षा 2021 में 385 रैंक प्राप्त कर न सिर्फ परिवार का बल्कि गांव का नाम भी रोशन किया है। 2018 में राजस्थान राज्य सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर चुकी ज्योति फिलहाल चित्तौड़गढ़ में प्रोजेक्ट डेवलपमेंट आफिसर के पद पर हैं।
एक के बाद एक मिली गई सफलता
ज्योति बताती हैं कि स्नातकोत्तर के बाद मैंने पीएचडी के लिए प्रयास किया और मेरा नंबर यूनाइटेड किंगडम स्थित सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय में आ गया था। इसके अलावा मैंने राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा में उत्तीर्ण किया और मुझे कमला नेहरू कालेज में प्रोफेसर की नौकरी मिल गई थी। एक के बाद एक मिली सफलता के बाद मैं काफी असमंजस में थी कि आखिर जीवन का उद्देश्य क्या है? उस समय गांव की वंदना राव ने यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की, उनसे प्रभावित होकर मैंने भी यूपीएससी परीक्षा देने का विचार किया। हालांकि यह निर्णय मेरे लिए काफी मुश्किल था।
सब्जेक्ट चुनने में हुई परेशानी
असल में मैं साइंस की विद्यार्थी थी, करंट अफ्रेयर्स, राजनीति, इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र आदि ऐसे विषय थे जिनसे दसवीं कक्षा के बाद मेरा कभी वास्ता नहीं पड़ा था। इसके अलावा निबंध लिखना, नोट्स बनाना जैसे काम भी मैंने कभी नहीं किए। ऐसे में मैंने गणित को अपना विकल्प विषय चुना, ताकि मुख्य विषय को जब कभी पढ़कर मैं ऊबऊ महसूस करूं तो गणित पढ़कर मन को शांति मिले। इसलिए मेरा सुझााव है कि जो भी शख्स यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का मन बना रहा है तो वह वैकल्पिक विषय का चयन काफी ध्यानपूर्वक करें।
एक वर्ष तक पूरी ईमानदारी से करें पढ़ाई
मैंने मुख्य विषयों को जानने व समझने के लिए एक वर्ष कोचिंग की मदद ली। हालांकि कोचिंग जरूरी नहीं है, जो लोग विषयों से परिचित है वे आनलाइन माध्यम की मदद से परीक्षा उत्तीर्ण कर सकते है। इस परीक्षा की सबसे बड़ी चुनौती है कि एक वर्ष तक परीक्षार्थी को पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ पढ़ाई करनी होगी। कई परीक्षार्थी तनावग्रस्त होकर बीच में भी तैयारी को छोड़ देते है। उस समय परिवार व दोस्त अहम भूमिका अदा करते है।
टाइम टेबल जरूरी
ज्योति बताती हैं कि अमूमन परीक्षार्थी टाइम टेबल को काफी महत्व देते हैं। टाइम टेबल जरूरी है, लेकिन उसका शत-प्रतिशत पालन करना हर किसी के लिए संभव नहीं है। मैं अपनी बात करूं तो मैं 70 प्रतिशत ही टाइम टेबल का पालन कर पाई, क्योंकि कई बार मूड अच्छा है तो घंटों पढ़ लिया और कई बार नहीं तो बिल्कुल नहीं पढ़ा। अन्य परीक्षार्थियों की तरह मैं भी दिन में करीब सात घंटे ध्यान केंद्रित करके पढ़ाई करती थी।
मां का सपना हुआ पूरा
ज्योति के परिवार में दो छोटे भाई व माता-पिता हैं। पिता दिल्ली जल बोर्ड में कार्यरत हैं। जबकि मां घरेलू महिला हैं। एक छोटा भाई पंजाब सिंध बैंक में मैनेजर के पद पर हैं ताे दूसरा डाक्टर हैं। ज्याेति बताती हैं कि मेरी मां ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है, ऐसे में उसकी इच्छा थी कि मैं पढ़ो और आत्मनिर्भर बनो। इसलिए वह मुझे हमेशा पढ़ने के लिए प्रेरित करती थी। आज मैं जो भी हूं उसमें मेरी मां का कड़ा संघर्ष छुपा हुआ है। ज्योति बताती हैं कि मैंने जीवन में तीन बातों को जाना है, खुद को कम आंक कर प्रयास करना कभी मत छोड़ो। कई बार हमारी खूबियां हमें खुद नहीं पता होती और उम्र गुजर जाने के बाद सिवाए अफसोस के कुछ नहीं रहता। दूसरा आपकी संगति अच्छी होनी चाहिए, क्योंकि मेरे दोस्तों ने हमेशा मेरा मार्गदर्शन करने के साथ मेरी हाैसला अफजाई की है। तीसरा यह जब जागो तभी सवेरा