पिता गांव-गांव घूमकर बेचते थे कपड़े, बेटे ने बिना कोचिंग के पास की UPSC की परीक्षा, बने IAS अधिकारी
Father used to sell clothes from village to village, son passed UPSC exam without coaching;नई दिल्ली। अधिकारी बनने का सपना अमूमन हर युवा देखता है। कड़ी मेहनत, एकाग्रता और लगन से पढ़ाई करने वाले छात्र इसके लिए पूरी तरह समर्पित रहते हैं। लाखों युवा एक प्रतिष्ठित पद पर पहुंचने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। संघ लोक सेवा आयोग(यूपीएससी) की ओर से आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा बहुत कठिन होती है। इस परीक्षा में सफल होने के लिए हर छात्र अपनी जान लगा देता है। कई ऐसी कहनियां हैं, जो प्रेरित करती हैं। इनमें से ही एककहानी है बिहार के किशनगंज के रहने वाले अनिल बसाक की आइए इस खबर में जानें उनके कामयाबी की कहानी-
गांव-गांव घूमकर कपड़े बेचा करते थे अनिल के पिता
अनिल बसाक संघर्ष भरे जीवन के साथ तीसरे प्रयास में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 45वीं रैंक के साथ आईएएस अधिकारी बन गए हैं। अनिल ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद, जेईई मेंस की तैयारी की और इसके बाद एडवांस परीक्षा देकर उन्होंने आईआईटी दिल्ली में सिविल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया था। परिवार की आर्थिक हालत
बिहार के किशनगंज के रहने वाले अनिल ने अपने शुरुआती जीवन में ढेरों संघर्ष का समाना किया, उन्होंने एक ऐसा समय भी देखा, जब उनके पिता विनोद बसाक गांव-गांव घूमकर कपड़े बेचा करते थे। अनिल ने अपने परिवार की आर्थिक हालत सुधारने के लिए दिन-रात मेहनत कर की परीक्षा की तैयारी में जुट गए।
इस समय देखा आईएएस बनने का सपना
अनिल बसाक ने इंजीनियरिंग करने के दौरान यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा देकर आईएएस बनने का निर्णय लिया था। इसी दौरान उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी थी। अनिल इस परीक्षा के पहले प्रयास में ही फेल हो गए। हालांकि, उन्होंने दूसरे प्रयास में को 616 रैंक के साथ परीक्षा को पास कर लिया था। हालांकि, वह इससे खुश नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपनी तैयारी को जारी रखा और तीसरे प्रयास के लिए तैयारी की।
बिना कोचिंग के पास की परीक्षा
अनिल की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, जिसकी वजह से उनके लिए कोचिंग की महंगी फीस भरना मुश्किल था। ऐसे में उन्होंने 2018 के बाद कोचिंग नहीं ली, बल्कि खुद से ही तैयारी की। अनिल ने अपने तीसरे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा दी और इस बार उन्होंने सफलता प्राप्त की। अपने तीसरे प्रयास में अनिल ने 45वीं रैंक प्राप्त कर आईएएस बनने का सपना पूरा किया।