MahaShivratri Special: बिहार के देवघर के बारे में जानते हैं आप, तीन नदियों के मुहाने पर बसा है यह मंदिर
MahaShivratri Special: लखीसराय: यूं तो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक कामना ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजे जाने वाले बाबा बैद्यनाथ का मंदिर झारखंड के देवघर में स्थित है. इस मंदिर की महिमा ऐसी की लोग यहां सावन के महीने में करोड़ों की संख्या में बाबा का जलाभिषेक करने सुल्तानगंज से गंगा का जल लेकर 108 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर आते हैं. रावण के द्वारा स्थापित इस रावणेश्वर महादेव की महिमा निराली है. वहीं आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बिहार में भी एक शिव मंदिर है जिसे वहां का बाबाधाम कहा जाता है. क्या आप इस मंदिर के बारे में जानते हैं अगर नहीं तो हम आपको इसके बारे में बताएंगे.
दरअसल यह मंदिर बिहार के लखीसराय जिले में स्थित है और इसे अशोक धाम के नाम से पुकारते हैं. यहां बाबा की महिमा ऐसी की देवघर जाने वाले कांवड़िया इस मंदिर में आकर भी जलाभिषेक करते हैं. आपको बता दें कि यहां तीन नदियों के मुहाने पर यह मंदिर स्थित है. इस मंदिर की महिमा इतनी है कि इसे बिहार का देवघर कहा जाता है. मंदिर में सालों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. लखीसराय में स्थित इस इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है. यही वजह है कि बाबा बैद्यानाथ के दरबार में जानेवाले श्रद्धालु इस मंदिर में भी पूजा अर्चना जरूर करते हैं.
सावन के महीने में यहां से होकर गुजरने वाले कांवड़िया लखीसराय होकर गुजरते हैं वह यहां जरूर आते हैं. यहां बाबा का शिवलिंग गंगा, किऊल और हरूहर नदी के त्रिमुहाने पर वर्ष 1977 में अवतरित हुआ था. तीन नदियों का मुहाा होने के कारण इसकी महत्ता बढ़ जाती है. इस मंदिर के शिवलिंग के अवतरण को लेकर जो तथ्य हैं उसके अनुसार इसके साक्षी रहे बाबा अशोक जी महाराज के नाम पर इस मंदिर का नाम अशोक धाम पड़ा. यहां मन्नत मांगने वालों की सभी मुराद बाबा पूरी करते हैं.
बिहार के देवघर कहे जानेवाले अशोक धाम मंदिर में महाशिवरात्रि की तैयारियां भव्य रूप से चल रही हैं. यहां शिवरात्रि के मौके पर होने वाला शिव-पार्वती विवाह बेहद लुभावना होता है. यहां महाशिवरात्रि के मौके पर बाबा की बारात में भूत-प्रेत, हाथी, घोड़ा, ढोल बाजे और नगाड़े सभी शामिल किए जाते हैं. यहां महाशिवरात्रि के दिन बाबा का विशेष रूद्राभिषेक भी किया जाता है. यहां मंदिर का परिसर काफी साफ-सुथरा और पर्यावरण के लिहाज से सजा हुआ है. यहां छायादार पेड़ों की बड़ी श्रृंखला है. जिसकी वजह से मंदिर की शोभा चार गुणा बढ़ जाती है.