Success Story: पिता के संघर्ष से शिखर पर पहुंची डॉक्टर अंशु कुमारी, नासा में वैज्ञानिक के रूप में चयन
Success Story: रक्सौल से नासा तक का सफर तय करने वाली डॉक्टर अंशु कुमारी ने पूरी दुनिया में बिहार का डंका बजाया है. अब अंशु नासा के वैज्ञानिक के तौर पर काम करेंगी और अंतरिक्ष विज्ञान पर शोध करेंगी. 2008 में मां का साया सिर से उठ गया था लेकिन पिता ने बेटी का उत्साह कम होने नहीं दिया. प्रारंभिक शिक्षा रक्सौल से प्राप्त करने वाली अंशु वैज्ञानिक के तौर पर गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर ज्वाइन करेंगी.
नासा में चयनित डॉ अंशु के पिता प्रो. चंद्रमा सिंहमोतिहारी: पूर्वी चंपारण के रक्सौल की डॉक्टर अंशु कुमारी का अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (NASA) में वैज्ञानिक के रूप में चयन हुआ है. डॉक्टर अंशु कुमारी को नासा ने अंतरिक्ष आधारित सौर मिशनों पर काम करने लिए पोस्टडॉक्टोरल फेलोशिप प्रोग्राम (Postdoctoral Fellowship Program) से सम्मानित किया है और नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में वैज्ञानिक के तौर पर अंशु योगदान देंगी. डॉक्टर अंशु कुमारी 28 फरवरी से ऑफिस काम करने जाएंगी.
गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर की साइंटिस्ट अंशु: बिहार के पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता डॉक्टर अंशु कुमारी को नासा में फेलोशिप से सम्मानित किया गया. वह खगोलीय उपकरण और सौर भौतिकी पर काम करती हैं. सौर अवलोकन और अंतरिक्ष मौसम निगरानी के लिए भू-आधारित रेडियो उपकरणों को डिजाइन करने में अंशु कुमारी विशेषज्ञता रखती हैं. वह विस्फोटों का अध्ययन करने के लिए विभिन्न उपकरणों का अध्ययन करती हैं.2008 में मां का हो चुका है निधन: वहीं उनकी मां सविता देवी बीईओ थी. जिनकी मौत वर्ष 2008 में कैंसर के कारण हो गई है. मां की मौत हो जाने के बाद अंशु के पिता ने उनके हौसले को टूटने नहीं दिया और हमेशा अपनी बेटी की ताकत बने रहे. जिस कारण डॉक्टर अंशु ने नासा जैसी संस्था में अपनी प्रतिभा के बल पर एक वैज्ञानिक के रूप में चयनित होकर जिले का नाम रोशन किया है.बोले अंशु के पिता-‘हमारी खुशी का नहीं ठिकाना’: नासा में वैज्ञानिक के रुप में चयनित डॉ अंशु कुमारी के पिता का नाम प्रो. चंद्रमा सिंह है. उन्होंने कहा कि मेरी दो बेटियां हैं. अंशु छोटी है. उसकी सफलता से पूरा परिवार बेहद खुश है. अंशु बचपन से से जिज्ञासु और कुशाग्र बुद्धि की है. अंशु ने बीटेक की डिग्री आरसीईडब्ल्यू जयपुर से ली. आईआईए बैंगलुरू से एमटेक विद इंटीग्रेटेड पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. उसके बाद पोस्ट डॉक्टरेट रिसर्चर के रूप में हेलसिंकी यूनिवर्सिटी फिनलैंड में दो सालों तक काम किया है.
“आईआईटी रुड़की में एस्ट्रोफिजिक्स में बेस्ट थेसिस का अवार्ड मिला था. दिसंबर 2022 में आईआईटी इंदौर में यंग साइंटिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया था. जनवरी 2022 में झारखंड के रांची में एमएसईटी द्वारा यंग साइंटिस्ट अवार्ड दिया गया था. हमें अपनी बेटी पर गर्व है.”- प्रोफेसर चंद्रमा सिंह, अंशु के पिताअंशु ने नवोदय विद्यालय से की प्रारंभिक शिक्षा: अंशु कुमारी ने प्रारंभिक शिक्षा रक्सौल से प्राप्त की. वर्ग छह से प्लस टू तक की पढ़ाई अंशु ने जवाहर नवोदय विद्यालय पिपराकोठी से की. अंशु के पिता प्रो. चंद्रमा सिंह रक्सौल के केसीटीसी कॉलेज में प्राध्यापक पद से सेवानिवृत हो चुके हैं. डॉक्टर अशु कुमारी ने बीटेक की डिग्री आरसीईडब्ल्यू जयपुर से ली. आईआईए बैंगलुरू से एमटेक विद इंटीग्रेटेड पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. उसके बाद पोस्ट डॉक्टरेट रिसर्चर के रूप में हेलसिंकी यूनिवर्सिटी फिनलैंड में दो वर्षो तक काम किया है.
पिता के संघर्ष से शिखर पर पहुंची डॉक्टर अंशु: डॉक्टर अशु कुमारी ने पोस्ट डॉक्टरेट रिसर्चर के रूप में हेलसिंकी यूनिवर्सिटी फिनलैंड में दो वर्षो तक काम किया है.अंशु को पिछले वर्ष आईआईटी रुड़की में एस्ट्रोफिजिक्स में बेस्ट थेसिस का अवार्ड मिला था. दिसंबर 2022 में आईआईटी इंदौर में यंग सांइटिस्ट अवार्ड से उसे सम्मानित किया गया था. जनवरी 2022 में झारखंड के रांची में एमएसईटी द्वारा यंग साइंसटिस्ट अवार्ड दिया गया. तमाम उपलब्धियों और अपनी प्रतिभा के बल पर डा. अंशु कुमारी ने नासा जैसी संस्था में वैज्ञानिक के रूप में ज्वाइन कर जिले , प्रदेश के साथ ही देश का नाम रौशन किया है. इसके पीछे उनके पिता और बड़ी बहन का अहम योगदान है.2021 में हुई अंशु की शादी: डॉक्टर अंशु कुमार की शादी 2021 में उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले डॉक्टर आशुतोष सिंह के साथ हुई है. डॉक्टर आशुतोष कुमार नेनो सॉफ्ट मैटर रिसर्च सिंटर में रिसर्चर हैं. अंशु की बड़ी बहन का नाम सुमी कुमारी है और उन्होंने एमटेक किया है. वर्तमान में वह राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी जयपुर में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग असिस्टेंट प्रोफेसर हैं.