Padma Puraskar 2023: जानिए कौन हैं बिहार के कपिल देव, सुभद्रा और आनंद कुमार,जिन्हें मिला पद्म पुरस्कार
Padma Awards 2023: पटनाः padma awards 2023: गणतंत्र दिवस (Republic day) की पूर्व संध्या पर बुधवार (25 जनवरी) को पद्म पुरस्कार (Padma Awards 2023) विजेताओं के नामों की घोषणा की गई है. इसमें देश के विभिन्न राज्यों से विभिन्न कार्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली 91 हस्तियों को पुरस्कृत किया जाएगा. इनमें मणिपुर बीजेपी अध्यक्ष थौनाओजम चाओबा, राकेश झुनझुनवाला (मरणोपरांत), रवीना टंडन समेत कई हस्तियां शामिल हैं. बिहार में भी यह अवॉर्ड तीन विभूतियों के हिस्से आया है. इनमें बिहार के मशहूर कोचिंग संचालक व गणित के विशेषज्ञ आनंद कुमार को पदमश्री से सम्मानित किया जाएगा. इसके साथ ही कला के क्षेत्र में सुभद्रा और नालंदा के कपिल देव प्रसाद को भी पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. जानिए कौन हैं ये तीनों विभूतियां.
सुपर 30 आनंद कुमार को मिलेगा पद्म पुरस्कार
आनंद कुमार: बिहार के पटना में जन्मे आनंद कुमार सुपर 30 के संचालक के तौर पर जाने जाते हैं. 1 जनवरी 1973 को जन्मे आनंद कुमार के इस संस्थान में आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाई जाती है. आनंद कुमार भारतीय गणितज्ञ, शिक्षाविद के साथ ही बहुत सी राष्ट्रीय तथा अन्तरराष्ट्रीय गणित की पत्रिकाओं के स्तम्भकार हैं. सुपर 30 कार्यक्रम साल 2002 में पटना से शुरू किया गया था. आनंद कुमार को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा.
नालंदा के कपिल देव भी होंगे सम्मानित
कपिल देव प्रसाद: नालंद के बसवन बीघा गांव के रहने वाले प्रसिद्ध बुनकर कपिल देव प्रसाद को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. कपिलदेव को बुनकरी की विशेष बावन बूटी कला में प्रवीणता प्राप्त है. कपिलदेव 15 वर्ष की उम्र से बुनकरी का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने बावन बूटी कला में 50 वर्षों का अनुभव है. कपिल देव को भारत सरकार, कपड़ा मंत्रालय की ओर से पहले भी राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना जा चुका है. वह बुनकरी का कार्य करते भी हैं और अन्य कामगारों का इसकी बारीकियों और तकनीकियों का प्रशिक्षण भी देते हैं.
मधुबनी की सुभद्रा देवी को सम्मान
सुभद्रा: बिहार में मधुबनी की सुभद्रा देवी को भी पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. उन्हें पेपरमेसी कला में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए ये पुरस्कार दिया जा रहा है. इससे पहले उन्हें 1980 में इन्हें राज्य पुरस्कार और 1991 में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.