दलसिंहसराय की खबर;मिथिला के इतिहास और भूगोल को देखते हुए इसे राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए- ठाकुर
दलसिंहसराय/स्थानीय अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद दलसिंहसराय अनुमंडल ईकाइ के तत्वावधान में शहर के वीआईपी कॉलोनी में आयोजित चार दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन के प्रथम और द्वितीय सत्र में परिषद के संस्थापक डा.धनाकर ठाकुर ने मिथिला के इतिहास और भूगोल पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि मिथिला का भुगोल समृद्ध है,और काफी उपजाऊ और आर्थिक रूप से सम्पन्न हैं.यहाँ जल का असिमित भंडार हैं.वैसे मिथिला एक भुतातविक क्षेत्र हैं,इसीलिए यहां के लोगों को बहुमंजिला इमारत नहीं बनाना चाहिए तथा मकान बनाने समय भूकम्प रोधी निर्माण पर जोर दिया जाना चाहिए.भारत का मिथिला तीन राज्यों में बिहार, बंगाल तथा झारखंड में बंटे हुए हैं,इन्हें एक कर मिथिला राज्य का दर्जा दिया जाय तो इस क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हो सकता हैं.जिसका मांग अब सभी मिथिला सेवी करने लगे हैं.प्रशिक्षण सत्र का संयोजन अनुमंडल अध्यक्ष डॉ उमेश कांत चौधरी तथा संचालन प्रो प्रेम ने किया.सत्र का शुभारंभ जय जय भैरवी तथा समापन यात्री जी के प्रार्थना-भगवान हमर मिथिला सुख शांति केर घर हो से सम्पन्न हुआ.
शिविर में दर्जनों बुद्धिजीवियों ने पूर्ण तन्मयता से दोनों ही पाली में भाग लिया.जिसमें प्रमुख रूप से डा.अरुण कुमार झा,डा. राम सेवक प्रसाद,ई कामेश्वर झा,दिवाकर झा,सत्य नारायण राय,रामाधार सिंह,ई मनोहर सिंह,राम नरेश चौधरी,अखलेश चौधरी,वैभव चौधरी,आदर्श काश्यप ने अपनी अपनी बातें रखी.
प्रशिक्षण सत्र के बारे में जानकारी देते हुए संयोजक डॉ उमेश कांत चौधरी ने बताया कि यह प्रशिक्षण शिविर 27 दिसम्बर से 30 दिसम्बर तक प्रतिदिन दो सत्र में सम्पन्न होगा.जिसमें मिथिला के इतिहास,भूगोल,संस्कृति तथा धार्मिक स्थल के बारे में तथा मैथिली भाषा के बारे में विभिन्न विशेषज्ञों के उद्वोधन से सम्पन्न होगा तथा अंत में सभी प्रशिक्षित मिथिला सेवीयों को प्रमाण पत्र सौंपा जाएगा.प्रशिक्षण सत्र के अंत में नन्द किशोर सिंह तथा नुतन चौधरी ने उपस्थित सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया.