IRCTC : दिसंबर से 12 ट्रेनें 28 फरवरी तक रद, छह ट्रेनों के घटाए गए फेरे, देखें पूरी लिस्ट.
Indian Rail IRCTC , भागलपुर। Indian Rail, IRCTC: कोहरे में सुरक्षित ट्रेनों के परिचालन का पुख्ता इंतजाम नहीं होने के कारण संभावित कोहरे को देखते हुए ट्रेनों के रद होने का सिलसिला शुरू हो गया है। पूर्व मध्य रेलवे की कई ट्रेनों का परिचालन एक दिसंबर से दो महीने के लिए रद कर दी गई हैं। सोमवार को पूर्व मध्य रेलवे की कुछ ट्रेनों अगले दो महीने के लिए रद घोषित भी कर दी गई है। संभावना जताई जा रही है कि इस सप्ताह में भागलपुर रेलखंड की कुछ ट्रेनों के रद करने या फेरा घटाने के संबंध में अधिसूचना जारी कर सकता है।
पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ वीरेन्द्र कुमार के अनुसार इस जोन की 12 ट्रेनें पहली दिसंबर से 28 फरवरी तक रद रहेगी। छह ट्रेनें आंशिक रूप से रद रहेगी और इन ट्रेनों का फेरा घटाया गया है। बता दें कि कोहरे ने पिछले साल भागलपुर रेलखंड की भी कई ट्रेनों के परिचालन पर ब्रेक लगाया था। ब्रह्मपुत्र मेल सहित कुछ ट्रेनों को दो महीने से अधिक समय के लिए रद करने के साथ ही फेरे घटा दी गई थी। फरक्का एक्सप्रेस, विक्रमशिला एक्सप्रेस और गरीब रथ एक्सप्रेस का फेरा घटा दिया गया था।
– कोहरे में सुरक्षित परिचालन के लिए कई ट्रेनों में नहीं की जा सकी फाग सेफ डिवाइस इंस्टाल
-जिससे कि कोहरे के दौरान गाड़ियों का विलंब कम से कम हो और यात्रियों को परेशानी ना हो
-ट्रेनों के सुचारू परिचालन हेतु पूर्व रेलवे के शत-प्रतिशत मेल, एक्सप्रेस एवं पैसेंजर ट्रेनों के लोको पायलटों को उपलब्ध नहीं हुआ फाग सेफ डिवाइस
घने कोहरे में ट्रेनों के बेहतर और सुरक्षित परिचालन के लिए रेल प्रशासन अलर्ट मुड़ में है। सुरक्षित रेल परिचालन के लिए भले ही अतिरिक्त सावधानियां बरती जा रही है। इसके बावजूद कोहरे के दौरान ट्रेनों की स्पीड पर लगाम लगाने के लिए पूर्व रेलवे की सभी मेल, एक्सप्रेस ट्रेनों में फ़ाग सेफ डिवाइस की व्यवस्था नहीं की जा सकी है।
सर्दी का मौसम शुरू होने के साथ ही कोहरा पड़ना भी शुरू हो गया है और इस कोहरे का सबसे ज्यादा असर रेल यातायात पर पड़ने भी लगा है। कई ट्रेनों के परिचालन सप्ताह में दो से तीन दिन तो ब्रह्मपुत्र मेल सहित कई ट्रेनों का परिचालन तो दिसंबर से दो मार्च तक रद कर दिया गया है। सर्दी और कोहरे के दौरान ट्रेनों को सुरक्षित चलाना रेल प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता। ऐसे में कोहरे के दौरान रेलगाड़ियों को सुरक्षित चलाने के लिए रेलवे ने पहले से ही एहतियाती कदम बरतना शुरू कर दिया।
एक तरफ जहां दर्जनों ट्रेनों के परिचालन को रद कर दिया गया है, वहीं दूसरी तरफ ट्रेनों में फ़ाग सेफ डिवाइस भी इंस्टाल की जा रही है। जिससे कि कोहरे के दौरान गाड़ियों का विलंब कम से कम हो और यात्रियों को परेशानी ना हो। यह व्यवस्था पूर्व रेलवे की ट्रेनों में भी की गई है लेकिन सभी ट्रेनों में नहीं हो पाई है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पूर्व रेलवे में 1100 से अधिक ट्रेनें चलती हैं। लेकिन इन सभी ट्रेनों की जगह करीब 375 ट्रेनों में इसकी व्यवस्था की जा सकी है। मालदा मंडल में मालदा-साहिबगंज, साहिबगंज-जमालपुर, भागलपुर-दुमका, भागलपुर-जमालपुर, भागलपुर-बांका, जमालपुर-किऊल, साहिबगंज-मालदा सहित इस मंडल के करीब 130 ट्रेनों के इंजन चालकों को फाग डिवाइस वितरित की गई है। जबकि कुल 50 और इंजन चालकों को उपलब्ध कराना है।
दरअसल, फाग सेफ डिवाइस कोहरे के दौरान ट्रेनों को सुरक्षित और समयबद्ध तरीके से चलाने के उद्देश्य से इंजनों में फ़ाग सेफ डिवाइस लगाया गया है। ट्रेनों के सुचारू परिचालन हेतु पूर्व मध्य रेल के शत-प्रतिशत मेल, एक्सप्रेस एवं पैसेंजर ट्रेनों के लोको पायलटों के लिए फॉग सेफ डिवाइस का प्रावधान किया गया है।
जानें क्या है फाग सेफ डिवाइस
फाग सेफ डिवाइस जीपीएस आधारित एक उपकरण है जो लोको पायलट को आगे आने वाली सिग्नल की चेतावनी देता है। जिससे लोको पायलट ट्रेनों की स्पीड को नियंत्रित करते हैं। ट्रेनों में इस डिवाइस को लगाने के साथ-साथ अतिरिक्त फाग मैन भी तैनात किए जा रहे हैं, जो कोहरे के दौरान रेल लाइन पर सिग्नल की स्थिति की निगरानी करेंगे। रेल फ्रैक्चर से बचाव एवं समय पर इसकी पहचान हेतु उच्चाधिकारियों की निगरानी में रेल कर्मियों द्वारा निरंतर पेट्रोलिंग की जा रही है। इससे एक ओर जहां सुरक्षा में वृद्धि होगी, वहीं कोहरे के बावजूद समय-पालन बनाए रखने में मदद मिलेगी। लाइन पेट्रोल करने वाले कर्मचारियों को जीपीएस भी उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि उनकी खुद की भी सुरक्षा हो सके।
दूसरी ओर कई जगहों में सिगनलों की दृश्यता को बढ़ाने के लिए सिगनल साइटिंग बोर्ड, फ़ाग सिगनल पोस्ट, ज्यादा व्यस्त समपार के लिफ्टिंग बैरियर आदि को एक विशेष रंग काला एवं पीला रंग से रंगकर उसे चमकीला बनाया गया है। शेष जगहों में भी जल्द करने की योजना है। सिग्नल आने के पहले रेल पटरी पर सफेद चूने से निशान बनाया जाएगा, ताकि लोको पायलट कुहासे वाले मौसम में सिग्नल के बारे में अधिक सतर्क हो जाएं। लोको पायलटों को प्रत्येक स्टेशनों का ‘फर्स्ट स्टाप सिगनल लोकेशन‘ किलोमीटर चार्ट उपलब्ध कराया जा रहा है। जिसके प्रयोग से चालक यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि अगले कितनी दूरी पर ट्रेन को रोकना है और इसके अनुसार वे ट्रेन की गति नियंत्रित करेंगे।
सुगम ट्रेन परिचालन हेतु बरती जाने वाली इन कदमों की जानकारी देने हेतु ट्रेन परिचालन से सीधे रूप से जुड़े रेलकर्मियों को संरक्षा सलाहकारों द्वारा लगातार कांउसिलिंग भी की जा रही है। रेल अधिकारियों के अनुसार सभी स्टेशन मास्टरों तथा लोको पायलटों को निर्देश दिया गया है कि कुहासा होने पर इसकी सूचना तत्काल नियंत्रण कक्ष को दी जाए। इसके बाद दृश्यता की जांच वीटीओ (विजिबिलिटी टेस्ट आब्जेक्ट) से करें। दृश्यता बाधित होने की स्थिति में लोको पायलट ट्रेन के ब्रेक पावर, लोड और दृश्यता की स्थिति के आधार पर गाड़ी की गति को नियंत्रित करें। रेलवे के अधिकारियों के अनुसार लोको पायलटों को निर्देश दिया गया है कि कुहासा होने पर वे गाड़ियों को आवश्यता के अनुसार निर्धारित गतिसीमा से कम गति से चलाएं। उन्होंने बताया कि समपार फाटक पर तैनात गेटमैन एवं आम लोगों तक ट्रेन गुजरने की सूचना मिल सके। इसलिए ट्रेन के चालक समपार फाटक के काफी पहले से लगातार हार्न देंगे। ताकि यह पता चल सके कि समपार फाटक से ट्रेन गुजरने वाली है।