Golden Jubilee:स्थापना के बाद जिले ने मुफलिसी से बादशाहत तक का सफर तय किया, दलसिंहसराय का 1 अक्टूबर 1962 को हुआ स्थापना..
Samastipur Golden Jubilee Year 2022..समस्तीपुर। Samastipur Golden Jubilee Year 2022: इतिहास केवल बीते वर्षों की कहानी नहीं है। निर्माण की निरंतर प्रक्रियाओं, विभिन्न स्वरूपों, क्षेत्र विशेष की भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं राजनैतिक स्थितियों में हुए बदलाव की प्रक्रियाओं, उसकी स्थिति का वर्णन और मूल्यांकन भी है। समस्तीपुर का संक्षिप्त इतिहास लिखने में हमारा प्रयास उन समग्र तत्वों को लेकर चलने का है, जिनसे इस क्षेत्र विशेष की रूपरेखा का निर्माण हुआ। आज से लगभग सवा सौ साल पहले उत्तर में बागमती, पश्चिम में मुजफ्फरपुर जिले का हाजीपुर अनुमंडल, दक्षिण में गंगा नदी तथा पूरब में तत्कालीन मुंगेर जिले का बेगूसराय अनुमंडल उसके बीच तत्कालीन दरभंगा जिले के समस्तीपुर अनुमंडल का निर्माण हुआ। लगभग 2015 वर्ग किलोमीटर (778 वर्ग मील) में फैले 843 गांवों को अपने भीतर समेटे उत्तर बिहार का एक संपन्न तथा उपजाऊ मिट्टी वाला यह भौगोलिक क्षेत्र था। 14 नवंबर, 1972 को यह जिला बना। मोहिन्द्र सिंह इसके पहले जिलाधिकारी बनें। विकास के विभिन्न मानकों को समेटे हुए कालांतर में यह बिहार का प्रमुख जिला बन गया। पुनर्गठन के बाद से जिला अपने कुल क्षेत्र 2904 वर्ग किलोमीटर में 1260 गांवों को भीतर समेटे हुए है।
नेतृत्व क्षमता के कई उदाहरण
विकास के पथ पर अपने आजतक के करीब 18, 250 दिनों की यात्रा में जिले ने मुफलिसी देखी तो बादशाहत भी। बैलगाड़ी के नए स्वरूप, भवन निर्माण के उत्कृष्ट तकनीक एवं तरीकों, कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में विश्वस्तरीय कार्यों का संपादन इसी क्षेत्र से हुआ। क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा सामाजिक भाईचारे के कारण यहां के लोगों के नेतृत्व क्षमता के कई उदाहरण मिलते हैं।
मना रहा स्वर्ण जयंती वर्ष
जिला अपना स्वर्ण जयंती वर्ष मनाने जा रहा है। इसी उपलक्ष्य में दैनिक जागरण शृंखलाबद्ध तरीके से पाठकों को जिले का परिचय कराएगा। इस दौरान यह परखा जाएगा कि विकास के रास्तों पर जिला कहां है और किस दिशा में बढ़ रहा है। क्या जिला विरोधाभासों, अंर्तद्वंदों और सामाजिक तनावों से दबता जा रहा है तथा विषमताओं, पर्यावरण, प्रदूषण और संस्कृतिहीनता से त्रस्त होता जा रहा है। पहले दिन हम इसकी शुरुआत शैक्षणिक दशा-दिशा से करेंगे। बाद के दिनों में क्रमश: स्वास्थ्य, आर्थिक संरचना, उद्योग धंधे, कृषि आधारित उद्योग, साहित्य व संस्कृति के बाद संभावनाओं और भविष्य पर चर्चा करेंगे। यहां यह भी ज्ञात हो कि जिले की कुल जनसंख्या 1971 में जहां 1719053 थी, 1981 में 2116896 और 2011 में 4261566 हो गई।1981 में जहां जिले के सिर्फ 28.08 प्रतशित गांवों में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध थी और 25 प्रतिशत गांवों में ही बिजली की सुविधा थी वहीं आज लगभग सभी गांव में चिकित्सा, पक्की सड़क तथा बिजली की सुविधा है। जिले में 60 वर्ष से अधिक के व्यक्तियों की संख्या आज 3.81 फीसद है। एक आंकलन के मुताबिक 2031 में यह बढ़कर 5.15 लाख हो जाएगी। यह दर्शाता है कि जिले में लोगों के जीवन स्तर में सुधार हो रहा है।
समस्तीपुर जिले में विभिन्न प्रखंडों की स्थापना विवरणी
प्रखंड–मुख्यालय—–अनुमंडल—-आरंभ होने की तिथि
समस्तीपुर–जितवारपुर—-समस्तीपुर —2 अक्टूबर 1952
पूसा—– पूसा——–समस्तीपुर—-2 अक्टूबर 1952
वारिसनगर–वारिसनगर—-समस्तीपुर—- 2 अक्टूबर 1952
सरायरंजन–सरायरंजन—समस्तीपुर—-2 अक्टूबर 1952
कल्याणपुर—कल्याणपुर–समस्तीपुर—14 अक्टूबर 1955
ताजपुर मोरबा–ताजपुर मोरबा–समस्तीपुर – 14 अक्टूबर 1955
ताजपुर—–ताजपुर– समस्तीपुर – 7 अगस्त 1993
खानपुर—– खानपुर–समस्तीपुर- 12 अगस्त 1994
रोसड़ा—- रोसड़ा— रोसड़ा— 1 अक्टूबर 1958
हसनपुर—हसनपुर—रोसड़ा— 1 अप्रैल 1959
सिंघिया— सिंघिया— रोसड़ा—- 1 अगस्त 1958
विभूतिपुर- विभूतिपुर- रोसड़ा— 1 अक्टूबर 1960
बिथान – बिथान- रोसड़ा- 23 फरवरी 1993
शिवाजीनगर– शिवाजीनगर- रोसड़ा – 7 अगस्त 1993
उजियारपुर- उजियारपुर- दलसिंहसराय- 26 अगस्त 1959
विद्यापतिनगर- विद्यापतिनगर- दलसिंहसराय- 22 जनवरी 1994
दलसिंहसराय-दलसिंहसराय- दलसिंहसराय-1 अक्टूबर 1962
मोहिउद्दीनगर- मोहिउद्दीनगर- पटोरी- 5 अक्टूबर 1960
मोहनपुर- मोहनपुर- पटोरी- 8 सितंबर 1994
पटोरी- पटोरी-पटोरी – 2 अक्टूबर 1962