Tuesday, November 26, 2024
Vaishali

उत्तर बिहार में पर्यटन के ल‍िए तीन प्रमुख स्‍थान, यहां नदी की धारा बदलने के कारण हुआ निर्माण

 

बेतिया। उत्तर बिहार में कई ऐसे मन (जलाशय) हैं, जो पर्यटन को समृद्ध कर रहे हैं। इसमें पश्चिम चंपारण के सरैयामन, अमवामन, पूर्वी चंपारण के मोतिहारी स्थित मोतीझील प्रमुख हैं। इन सभी का बूढ़ी गंडक नदी की धारा बदलने के कारण निर्माण हुआ है। इसे गोखूर झील कहते हैं, जो दो सौ से अधिक साल पहले अस्तित्व में आया, लेकिन आज सभी को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किया जा रहा है। वर्तमान में पश्चिम चंपारण के अमवा मन को बिहार पर्यटन विभाग विकसित कर रहा है। यहां जलक्रीड़ा की व्यवस्था की गई है। इसी तरह सरैयामन में भी ईको पर्यटन के क्षेत्र में विकास हो रहा है।

मोतिहारी के मोतीझील को भी पर्यटन स्पाट के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस पर सवा दो करोड़ रुपये खर्च कर सुंदरीकरण से लेकर नौकायन आदि की व्यवस्था हो रही है। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के अवकाश प्राप्त विभागाध्यक्ष डा. प्रो. जय नारायण मिश्र के अनुसार उत्तर बिहार के सभी मन बूढ़ी गंडक नदी की धारा बदलने से विकसित हुए हैं। लो लैंड होने के कारण यह नदियों के छाड़न के रूप में विकसित हो गए। इन्हें जलीय पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाना पर्यटन को समृद्ध करेगा।

रंग बिरंगी पक्षियों व पेड़ पौधों से परिपूर्ण है सरैमन का इलाका

सरैयामन बैरिया प्रखंड के उदयपुर वनाश्रयी के मध्य में स्थित है। सरैयामन करीब 2200 एकड़ में विस्तृत मन है, जहां शरद ऋतु में विभिन्न तरह की प्रवासी पक्षी निवास करती हैं। इसके अलावा यह जलीय क्षेत्र स्थाई रूप से कई पक्षियों का वासस्थल है। मन के चारो ओर जंगल है, जो पुत्रजीवा सहित कई तरह की जड़ी बुटियों से आच्छादित है। इस जगह की भव्यता एवं सुंदरता के चलते इसे वन विभाग पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकासिक कर रहा है। ईको पर्यटन के विकास के तहत पर्यटकों के लिए ठहरने, खाने आदि की व्यवस्था के साथ-साथ वोटिंग की व्ववस्था की जा रही है।

जलक्रीड़ा के क्षेत्र में विकसित हो रहा अमवा मन

जिले के मझौलिया प्रखंड के एनएच 727 के किनारे स्थित 175 एकड़ में विस्तृत अमवा मन को जलक्रीड़ा के क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है। जिला प्रशासन की पहल पर बिहार पर्यटन विभाग इसे विकसित कर रहा है। यहां वाटर स्पोर्द्स जोन व अन्य निर्माण पर करीब 14 करो़ड़ खर्च करने की योजना है। इसमें साढ़े तीन करोड़ वाटर एक्टिविटी पर खर्च किए जाएंगे। शेष राशि से विभिन्न तरह के निर्माण कार्य होंगे। ताकि यहां आने वाले पर्यटकों को ज्यादा से ज्यादा आकर्षित कराया जा सके। यहां गोआ जैसी जल क्रीड़ा की व्यवस्था की जा रही है। इसमें पारासेलिंग व जेटस्की का परीक्षण किया जा चुका है। जल्द ही पर्यटकों के लिए यह सुविधा मिलने लगेगी। जिलाधिकारी कुंदन कुमार के अनुसार यहां मल्टी पर्पज स्टाल, चेजिंग रूम, टायलेट कंप्लेक्स, वाकिंग ट्रैक, स्वीमिंग पुल, सीटिंग एरिया और चिल्ड्रेन पार्क का निर्माण कराया जाना है।

Kunal Gupta
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