Tuesday, November 19, 2024
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फल्गु नदी पर बने सबसे बड़े रबर डैम का सीएम नीतीश ने किया लोकार्पण, जानिए खासियत

Patna..
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गया के फल्गु नदी पर बने देश के सबसे बड़े रबर डैम का गुरुवार को लोकार्पण किया। जल संसाधन विभाग ने 334 करोड़ की लागत 411 मीटर लंबे डैम का निर्माण कराया है। मुख्यमंत्री ने इसका नाम ‘गयाजी डैम’ रखा है। इसके बनने से अब फल्गु नदी में विष्णुपद घाट के पास सालों भर कम से कम दो फीट पानी उपलब्ध रहेगा। इससे यहां पिंडदान करने आने वाले श्रद्धालुओं को तर्पण के लिए हमेशा पानी मिलेगा। लोकार्पण के मौके पर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव भी मौजूद रहे।

विष्णुपद घाट से सीताकुंड पहुंचने को पैदल पुल

रबर डैम के साथ-साथ विष्णुपद घाट से सीता कुंड पहुंचने के लिए ओवरब्रिज बनाया गया है। इससे श्रद्धालु विष्णुपद में पिंडदान के बाद आसानी से सीता कुंड पहुंच सकते हैं।

सीएम नीतीश ने फल्गु नदी की पूजा की
गयाजी डैम के लोकार्पण से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फल्गु नदी की पूजा की। दरअसल, फल्गु नदी को माता सीता का यह श्राप था कि वह अंतःसलीला रहेंगी। ऐसे में जब यहां पानी रहने लगा तो मुख्यमंत्री ने उनकी पूजा-अर्चना की।

नाला का पानी नदी में नहीं
विष्णुपद घाट के पास 752 मीटर लंबा मनसरवा नाले का भी निर्माण कराया गया है। इससे शहर का गंदा पानी नदी में नहीं गिरेगा और लोगों को तर्पण के लिए शुद्ध पानी मिलेगा।

लक्ष्य से एक साल पहले बना डैम

22 सितंबर 2020 को नीतीश कुमार ने ही रबर डैम का शिलान्यास किया था। इसे अक्टूबर 2023 में पूरा करने का लक्ष्य था। लेकिन बाद में मुख्यमंत्री ने 2022 के पितृपक्ष से पहले इसे पूरा करने का निर्देश दिया। पितृपक्ष मेला शुरू होने से ठीक एक दिन पहले आठ सितंबर को इसका लोकार्पण कर दिया गया। इसके निर्माण में एक साल 11 महीने 16 दिन लगे।

देश का पहला रबर डैम आंध्रप्रदेश में बना था
देश का पहला रबर डैम आंध्रप्रदेश के पार्वतीपुरम की झांझावती नदी पर वर्ष 2006 में बना था। तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस रेड्डी ने इसका शुभारंभ किया था। इसकी लंबाई 60 मीटर और ऊंचाई 3.5 मीटर है।

खासियत
– इसके मेम्ब्रेन (रबर ट्यूब) में आसानी से हवा भरी और निकाली जा सकती है। इससे फल्गु नदी में जल के प्रवाह और भंडारण को कम-ज्यादा किया जा सकेगा।
– डैम में बहुत कम कल-पुर्जों का इस्तेमाल हुआ है। इस कारण इसमें लुब्रिकेंट का उपयोग नहीं होता है। जिससे यह पर्यावरण के अनुकूल है। साथ ही रखरखाव में कम खर्चीला है।

Kunal Gupta
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