अनंत चतुर्दशी : अनंत में 14 गांठें, क्या है इसकी धार्मिक मान्यताएं, जीवन में सुख व समृद्धि के लिए करें इसे धारण
मधेपुरा)। अनंत चतुर्दशी : भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्दशी को मनाए जाने वाले अनंत चतुर्दशी का पर्व शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस पर्व के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा अनंत चतुर्दशी के एक दिन पूर्व जहां स्नानोपरांत अरवा भोजन ग्रहण किया जाता है। वहीं, अनंत चतुर्दशी के दिन काफी श्रद्धा, निष्ठा व सेवा भाव से भगवान विष्णु के 14 स्वरूपों की पूजा कर 14 गांठ वाले अनंत को धारण किया जाता है। महिला श्रद्धालुओं द्वारा जहां बांए भुजा में अनंत का धारण किया जाता है।
वहीं पुरुष श्रद्धालु दाहिने भुजा में इसे धारण करते हैं। ऐसी मान्यता है कि दु:खों से मुक्ति व सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण के कथनानुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्दशी के दिन व्रत रखकर अनंत की पूजा-अर्चना की थी। साथ ही 14 गांठ वाले अनंत डोरा को बांह पर धारण किया था। इसके बाद कौंडिल्य व उनकी पत्नी दीक्षा तथा शीला ने भी अनंत की पूजा की थी। उस समय से ही सनातन धर्म में उक्त तिथि को अनंत चतुर्दशी मानते हुए अनंत पूजा करने की परंपरा शुरू हुई।
भगवान विष्णु के 14 स्वरूपों की होती है पूजा
अनंत में कुल 14 गांठें होती हैं। यह सभी गांठें भगवान विष्णु के 14 नामों पर आधारित होती हैं। इस तरह अनंत पूजा में भगवान विष्णु के 14 नाम की पूजा की जाती है। अनंत के हर गांठ पर भगवान विष्णु के अनंत, पुरुषोत्तम, ऋषिकेश्, पद्मनाभ, माधव, बैकुंठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर व गोविद के नाम का आवाह्न किया जाता है। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को 14 प्रकार के फल, पकवान, मधु आदि का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। आचार्य दिनकर झा व पंडित पवन झा ने बताया कि अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखने, कथा सुनने व अनंत डोरा का धारण करने से जहां सभी प्रकार के दु:खों से मुक्ति मिलती है। वहीं जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। अनंत धारण करने से पूर्व मंत्र का जाप श्रेयस्कर माना जाता है।