जमुई : क्षत्रियकुंड में 1.78 KM लंबे हैंगिंग ब्रिज को एनओसी, साढ़े सात करोड़ की लागत से बनेगा 50 फीट ऊंचा पुल
डॉ बिभूति भूषण, जमुई। शांति-अहिंसा का संदेश देने वाले भगवान महावीर की जन्मस्थली क्षत्रियकुंड में लक्ष्मण झूला की तर्ज पर हैंगिंग ब्रिज योजना को स्वीकृति का आधार मिल गया है। कैबिनेट से मुहर लगने के बाद इस योजना पर साढ़े सात करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। निर्माण कार्य की कवायद शुरू हो चुकी है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अधीन बनने वाले इस पुल के लिए जिला प्रशासन से सभी प्रकार के अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त कर लिए गए हैं।
जिला वन पदाधिकारी ने बताया कि इस हैंगिंग ब्रिज का निर्माण पर्यावरण को ध्यान में रखकर किया जाएगा। ब्रिज का निर्माण होने से लछुआड़ धर्मशाला से क्षत्रियकुंड की दूरी सात किलोमीटर कम हो जाएगी। आज से सात दशक पूर्व जैन मुनि और श्रद्धालु मगही पथ के नाम से प्रचलित पैदल रास्ते का उपयोग लछुआड़ धर्मशाला से कुंडग्राम मंदिर तक पहुंचने के लिए करते थे। सदियों से यह मार्ग जैन श्रद्धालुओं के लिए अटूट आस्था का केंद्र है। इस ब्रिज की लंबाई पौने दो किलोमीटर और ऊंचाई 50 फीट होगी।
इसका निर्माण कुंडघाट जलाशय के ऊपर जल संग्रहण वाले क्षेत्र तक किया जाएगा। इसके बाद फिर से जैन मुनि व श्रद्धालु सुगमतापूर्वक पैदल चलकर मंदिर तक पहुंच सकेंगे। जैन धर्म में पहाड़ी क्षेत्र की यात्रा पैदल ही करने का नियम है। जैन धर्मावलंबियों की मानें तो इस मार्ग से होकर गुजरना जैन धर्म में काफी पुण्य का कार्य माना जाता है। इस मार्ग में लछुआड़ धर्मशाला से पांच किलोमीटर की दूरी पर भगवान महावीर का च्यवन और दीक्षा कल्याणक स्थल स्थित है। धर्मशाला से 17 किलोमीटर की दूरी पर कुंडग्राम में महावीर का जन्म कल्याणक स्थित है। इसे भगवान महावीर की जन्मस्थली माना जाता है।
इसके निर्माण के लिए जल्द ही राज्य सरकार द्वारा राशि का आवंटन करके निविदा की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। इसका निर्माण जैन मुनि और साधुओं की सुविधा को ध्यान में रखकर कराया जाएगा। – पीयूष वर्णवाल, जिला वन पदाधिकारी, जमुई