Tuesday, October 8, 2024
Patna

भिखारियों ने खोला खुद का ‘बैंक’, कर्ज के साथ मिलता है जमा रकम पर ब्याज भी..

बिहार के मुजफ्फरपुर में भिखारियों ने खुद का अनोखा ‘बैंक’ खोल रखा है. भिखारी भीख में मिले पैसे यहां जमा करते हैं. इस रकम पर उन्हें ब्याज भी दिया जाता है. जरूरत पड़ने पर भिखारियों  को कर्ज भी दिया जाता है. इस ग्रुप के सदस्य भिखारियों के अलावा आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोग भी हैं. इनमें ठेला और रिक्शा चलाने वाले लोग शामिल हैं.

इस ‘बैंक’ की संचालन की प्रक्रिया कुछ ऐसी है. 175 भिखारियों ने अलग-अलग पांच सेल्फ हेल्प ग्रुप बना रखा है. इस सेल्फ हेल्प ग्रुप की हर रविवार को अलग-अलग निश्चित जगहों पर बैठक होती है. मीटिंग में भविष्य के योजनाओं को लेकर प्लानिंग की जाती है.

स्थानीय महिला ललिता देवी ने बताया कि रुपये कम होने के कारण वह बेटी की शादी नहीं कर पा रही थी. ऐन मौके पर भिखारियों के बैंक से 20 हजार रुपए का लोन मिल गया, जिससे उनकी परेशानी खत्म हो गई. आपस में समूह के लोग जरूरत पड़ने पर कर्ज भी देते हैं. यहां से मिले लोन से कुछ महीने पहले शेरपुर ढाब के दिनेश सहनी, अखाड़ाघाट की ललिता देवी और सिकंदरपुर के मोहन राय ने अपने बच्चों की शादिया कीं. दो अन्य परिवारों ने बीमार बेटों का इलाज कराया.

तुलसी समूह की सचिव विभा देवी ने बताया कि दस लोगों का हमारा ग्रुप है. एक वर्ष से ज्यादा से समूह का संचालन किया जा रहा है. आज समूह के पास करीब 20 हजार रुपये है. जरूरत परने पर एक रुपये सैकड़े के हिसाब से ब्याज लिया जाता है. हाल ही में ग्रुप के मोहन कुमार को बेटी की शादी के लिए पांच हजार दिया गया था, जो ठेला चलाते हैं. समूह की ही मेंबर जमुनी देवी ने कहा कि वह चौका बर्तन करती हैं और 20 रुपये हर सप्ताह समूह में जमा करती है. जरूरत पड़ने पर कर्ज भी लेती है.

क्षेत्र समन्वयक निपेंद्र कुमार ने बताया कि इस बैंक की जानकारी होने पर अब सरकार की तरफ से भी मदद मिलने वाली है. विशेष ऋण और सरकारी बैंकों में ग्रुप का खाता खोलने की प्रक्रिया के लिए पहल की गई है. मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति योजना के तहत मानसिक रूप से स्वास्थ्य भिखमंगों को आर्थिक ऋण दिया जाता है, जिससे वो भीख न मांग कर स्वरोजगार जैसे सब्जी के ठेला, रिक्शा जैसे छोटे रोजगार कर सकें.

Kunal Gupta
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