PM मोदी भी हैं लिट्टी-चोखा के फैन, बनाने में आसान और स्वाद में बेजोड़..
पटना। Famous Food of Bihar: भोजपुरी गायक और सांसद मनोज तिवारी का गाना, इंटरनेशनल लिट्टी चोखा…आपने सुना तो होगा ही। यहां बात इस गाने की नहीं बल्कि बिहारी व्यंजन के रूप में प्रसिद्ध लिट्टी-चोखा की कर रहे हैं। ऐसा व्यंजन जो गांव से उठकर आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुका है। स्वाद में लाजबाव। बनाने में आसान और सेहत से भरपूर। जिसका स्वाद नेता-अभिनेता से लेकर बड़े-बड़े उद्योगपति और विदेशी भी बड़े चाव से लेते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), बालीवुड एक्टर आमिर खान (Actor Aamir Khan) जैसी हस्तियां भी इस व्यंजन का लुत्फ उठा चुकी है। इसे खाने के बाद इसकी जमकर सराहना भी की। इसे आम आदमी का खाना कहा जाता है लेकिन अब ये खास तक के बीच लोकप्रिय हो चुका है।
वेज-ननवेज दोनों के साथ लोग करते हैं पसंद
बिहार के फेमस फूड की बात करने पर लिट्टी चोखा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। बिहार के अलावा झारखंड, यूपी समेत कई भारत के अलग-अलग भागों में यह काफी मशहूर है। यहां तो नाश्ता से लेकर भोजन तक में इसका इस्तेमाल किया जाता है। वर्तमान में चिकन, मटन के साथ भी लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं। चाहे वेज हो या ननवेज इसकी कई वेराइटी आज मिल जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि इसका इतिहास क्या है। यह कैसे बनता है। आज हम उन सभी बातों की चर्चा कर रहे हैं। इसे बनाने के लिए न तो ढेर सारे बर्तन की जरूरत होती है न सामग्री की।
ऐसे बनता है लिट्टी-चोखा
वर्तमान में लिट्टी-चोखा चौक-चौराहे पर चाय-नाश्ते की दुकान से लेकर फाइव स्टार होटल तक में सर्व किया जाता है। बनाने में आसान और स्वाद में लाजवाब। पारंपरिक रूप से लिट्टी-चोखा को तैयार करना बेहद आसान है। इसके लिए आटे को गूथ लिया जाता है। इसके बाद सत्तू, मिर्ची, नमक, आजवाइन, नींबू का रस, अदरख, धनिया पत्ता आदि डालकर इसका मसाला तैयार किया जाता है। इस मसाले को गूथे हुए आटे की लोई बनाकर उसमें भरा जाता है। इसके बाद गोल या चपटा कर लिया जाता है। गांव में इसे लोग उपले पर सेंकते हैं। अच्छी तरह सेंकने के बाद इसे घी में डुबाया जाता है। हालांकि, यह अपनी इच्छा पर है। चोखा (भुर्ता) की बात करें तो बैगन, टमाटर को भी आग में ही पकाया जाता है। इसमें मिर्च, मसाला डालकर चोखा तैयार किया जाता है। बस हो गया आपका व्यंजन तैयार। अब तो फ्राइड लिट्टी भी बाजार में मिलने लगा है।
माैर्यकाल में सैनिक ले जाते थे अपने साथ
जानकार बताते हैं कि लिट्टी-चोखा का इस्तेमाल मगध साम्राज्य में भी होता था। मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के सैनिक युद्ध के समय में लिट्टी-चोखा ले जाते थे। क्योंकि यह जल्दी खराब नहीं होता था। यह भी कहा जाता है कि 18वीं सदी में लंबी दूरी की यात्रा पर जाने वाले लोगों का मुख्य भोजन लिट्टी चोखा ही हुआ करता था। कहानी यह भी है कि पहले किसान और मजदूर श्रेणी के लेाग इसे बनाते और खाते थे। बनाने में आसान और सुपाच्य होने के कारण मुगलकाल में भी यह काफी प्रचलित हुआ। मुगल सैनिक मांसाहारी व्यंजन के साथ इसका सेवन करते थे। अंग्रेजी शासनकाल में लिट्टी-चोखा को करी के साथ खाया जाता था। 1857 के विद्रोह के दौरान भी इसका जिक्र मिलता है। महारानी लक्ष्मीबाई ने अपने सैनिकों के लिए लिट्टी चोखा की व्यवस्था कराई थी।