मिथिला पेंटिंग में समस्तीपुर के कुंदन राय का गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम हुआ दर्ज ।
Mithila Painting:
समस्तीपुर. कोरोनाकाल की व्यथा और इस महामारी के प्रकोप को मिथिला चित्रकला के जरिये कैनवस पर उतारा है डॉ. कुंदर कुमार राय ने. समस्तीपुर के यह युवा कलर-ब्लाइंडनेस यानी नेत्र संबंधी दोष से पीड़ित हैं, लेकिन उनके बनाई तस्वीरें दुनिया के रंग को बखूबी उतारती हैं. वह भी मिथिला पेंटिंग, मैथिल चित्रकारी या मधुबनी चित्रकला के जरिये. डॉ. कुंदन की इस प्रतिभा को सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों ने खूब सराहा है. अब गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने भी उनका नाम दर्ज किया है. वजह यह कि कोरोनाकाल की व्यथा को इस कलाकार ने 108 तस्वीरों के जरिये कैनवस पर उतारा है.
कोरोना महामारी काल 22 मार्च 2020 से 1अप्रैल 2022 तक कोरोना वायरस जागरूकता, मतदाता जागरूकता व अन्य सामाजिक जागरूकता विषयों पर कुंदन कुमार ने खूब चित्र बनाए. पूरे 108. मिथिला लोक चित्रकलाओं की शानदार शृंखला के लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में डॉ. कुंदन कुमार राय का नाम दर्ज किया गया. यह पहला सम्मान नहीं है. इससे पहले 28 मार्च 2022 को मैजिक बुक ऑफ रिकाॅर्ड्स में भी इनका नाम दर्ज हो चुका है. इसके अलावा मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए कुंदन को मतदाता जागरूकता पर बनी पेटिंग के लिए निर्वाचन विभाग ने राज्य स्तरीय सम्मान से भी नवाजा था. वहीं प्राइड ऑफ बिहार, बिहार शौर्य सम्मान, अरुण सम्मान जैसी कई प्रशस्तियां भी उनके खाते में है.
लिम्का बुक ऑफ रिकाॅर्ड्स की ख्वाहिश
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकाॅर्ड्स में नाम दर्ज होने के बाद अब कुंदन कुमार की ख्वाहिश है कि उनका नाम मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में लिम्का बुक ऑफ रिकाॅर्ड्स और गिनीज बुक ऑफ रिकाॅर्ड्स में भी दर्ज हो. इसके लिए वे जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं है. कुंदन का कहना है कि मिथिला पेंटिंग जीवन जीने की कला सिखाती है. इसकी हर पेंटिंग में मिथिला की सांस्कृतिक महक छिपी होती है. मिथिला पेंटिंग दो लाइनों के बीच बनाने वाली कला है और ये दो लाइन जीवन के दो धारा सुख और दुख की तरह हैं. इस कला में जितना लोग डूबेंगे उतना आनंद आता है. कुंदन का कहना है कि वह चाहते हैं कि इस क्षेत्र में अधिक से अधिक युवा वर्ग जुड़ें जिससे मिथिला पेंटिंग का प्रसार होगा. सांस्कृतिक संरक्षण के साथ-साथ यह युवाओं के रोजगार का जरिया भी बनेगा.