driving license में खेलः कागजों पर मेडिकल जांच, फेक रिपोर्ट पर जारी हो रहा लाइसेंस ।
Sports in driving license: Medical examination on paper, license being issued on fake report.
ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के पहले चिकित्सीय प्रमाणपत्र जारी करने के नियम का अगर सही तरीके से पालन कराना है तो यह जरूरी है कि परिवहन विभाग अपना डॉक्टर रखे। विभाग अगर डॉक्टर की खुद बहाली न भी करे तो जरूरत के अनुसार कुछेक चिकित्सकों को डीटीओ कार्यालय में प्रतिनियुक्त करवाया जाए। बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अभी डीटीओ के प्रभार में हैं। ऐसे में डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति भी आसानी से की जा सकती है। ऐसे प्रतिनियुक्त वाले डॉक्टरों से ही ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वालों का ऑन द स्पॉट आंखों के अलावा अन्य बुनियादी जांच हो। लाइसेंस जारी होने पर भी समय-समय पर चालकों की रोशनी सड़कों पर जांच हो। विशेषकर व्यवसायिक गाड़ियां या बड़े वाहनों के चालक की रोशनी कम पाई जाए तो मेडिकल प्रमाण पत्र जारी करने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई की जाए।
यूनियन का बयान
सड़क दुर्घटनाओं पर काबू पाने के लिए जरूरी है कि चालकों का लाइसेंस जारी करने से पहले अनिवार्य रूप से चिकित्सकीय जांच हो। ऐसा नहीं होने पर हादसों को कम नहीं किया जा सकेगा।- डॉ सुनील कुमार चौधरी, इंडियन इंजीनियरिंग फेडरेशन
कहते हैं अधिकारी
ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में अगर चिकित्सकीय नियमों की अवहेलना हो रही है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जल्द इस मसले पर विभागीय समीक्षा बैठक कर आवश्यक रणनीति तय की जाएगी।- पंकज कुमार पाल, सचिव, परिवहन विभाग