Monday, November 25, 2024
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Bihar News :- न स्ट्रेचर और न ट्राली,ननद को गोद में उठा CT scan कराने ले गई भौजाई ।

Bihar: Neither stretcher nor trolley, took sister-in-law in her lap and took her for CT scan.मुंगेर : स्वास्थ्य विभाग के निर्देश और दावों के बाद भी सदर अस्पताल में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। यहां मरीज और स्वजनों को आए दिन परेशान होना पड़ रहा है। अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को भर्ती करने, एंबुलेंस से पहुंचने वाले मरीजों को गेट से वार्ड तक ले जाने, जांच कराने के लिए स्वजनों को खुद ही स्ट्रेचर खींचना पड़ता है। कभी-कभी स्ट्रेचर या ट्राली नहीं उपलब्ध होने के कारण स्वजन गोद में मरीज लेकर जांच और चिकित्सकों के पास पहुंचते हैं। स्ट्रेचर खींचने के लिए तैनात वार्ड ब्याय का अता-पता नहीं रहता है। तमाम प्रयासों के बाद भी सदर अस्पातल में अव्यवस्थाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। कहने को तो यहां तमाम कर्मचारी कार्यरत हैं, पर इसका फायदा आम मरीजों को नहीं मिल रहा है। दरअसल, खड़गपुर के प्रखंड की महिला चंदा कुमारी को इलाज के बाद चिकित्सक ने सीटी स्कैन कराने की सलाह दी। मरीज की तबीयत खराब होने के कारण मरीज पैदल चलने में लाचार थी। साथ में आई भाभी राखी देवी इधर-उधर स्ट्रेचर और वार्ड ब्वाय की खोजबीन की, पर कोई नहीं मिला। ऐसे में लाचार होकर राखी देवी ननद चंदा कुमारी को गोद में उठाकर सीटी स्कैन कराने गई।

हांफ रहा है अस्पताल, कैसे होंगा उपचार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन, धरातल पर आम लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिले का सदर अस्पताल खुद बीमार है। इसके उन्नयण को लेकर कई बातें हुईं, लेकिन आज भी यह संसाधनों की कमी झेल रहा है। स्वास्थ सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। सेहत के सवाल पर जवाब आज भी उलझे हैं। अस्पताल में न पूरी दवाइयां उपलब्ध हो पाई और न ही सभी जांच की सुविधाएं। मरीज आज भी प्राइवेट संस्थानों में इलाज कराकर महंगे दाम पर जांच करा बाहर से दवा खरीदने को मजबूर हैं। जिले के सरकारी स्वास्थ संस्थानों में चिकित्सक के कई पद रिक्त पड़े हैं। इस कारण मरीज भगवान भरोसे हैं। सदर अस्पताल में मरीजों का इलाज कम रेफर ज्यादा किया जाता है।

18 लाख आबादी के लिए बेहतर सुविधाएं नहीं मुंगेर जिले की आबादी करीब 18 लाख है, पर विडंबना देखिए कि यहां एक भी बेहतर सरकारी अस्पताल नहीं हैं। जिले के सबसे बड़े अस्पताल सदर अस्पताल को ही अपना अस्तित्व बचाकर रखने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। संसाधनों की समस्या दूर करने के बाद भी मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा नहीं मिल रही है। सदर अस्पताल मरीजों की चिकित्सा करने में कितना सक्षम होगा यह समझा जा सकता है।

कोट – इमरजेंसी वार्ड में स्ट्रेचर के साथ दो वार्ड ब्याय को दिया गया है। मरीज के मांगने पर उन्हें स्ट्रेचर और वार्ड बाय मरीज को ले जाने से इन्कार करता है तो लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सीधा कार्रवाई होगी। -डा. आंनद शंकर, प्रभारी, सिविल सर्जन

Kunal Gupta
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