फराह नाज को मिली नयी जिंदगी, परिवार में लौटीं खुशियां, 38 रोगों का होता है मुफ्त इलाज,जाने योजना।
Bihar Government Scheme: जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से जिले के लोगों के स्वास्थ्य पर ध्यान दे रहा है. इसी क्रम में जिले में हृदय में छेद के साथ जन्मी बहादुरगंज प्रखंड की चार वर्षीया फराह नाज को नयी जिंदगी मिली है. फराह नाज को एक अप्रैल को सदर अस्पताल से पटना एयरपोर्ट के लिए एंबुलेंस के माध्यम से अहमदाबाद भेजा गया था. वहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने हृदय में छेद से ग्रसित बच्चों का इलाज किया गया. इलाज के बाद परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं है. वे स्वास्थ्य विभाग को धन्यवाद दे रहे हैं, क्योंकि उनकी बच्ची का निःशुल्क इलाज कर नयी जिंदगी दी गयी है.
हृदय संबंधी गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों का नि:शुल्क इलाज
आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ ब्रह्मदेव शर्मा ने बताया कि हृदय में जन्मजात छेद वाले बच्चों का इलाज अब बेहद आसान हो चुका है. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत संचालित इस योजना में हृदय संबंधी गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों के नि:शुल्क इलाज का प्रावधान है. सर्वप्रथम आरबीएसके की टीम ऐसे बच्चों की पहचान करती है. चिह्नित बच्चों की सूची वरीय संस्थान को भेजी जाती है. वहां काउंसेलिंग के बाद बीमार बच्चों को इलाज के लिए बेहतर चिकित्सा संस्थान भेजे जाने का प्रावधान है.
सर्जरी के बाद बिल्कुल स्वस्थ है बच्ची
डोहर ग्राम पंचायत के विशनपुर की फराह नाज को बार-बार बुखार आता था. वह अक्सर बीमार रहती और बहुत जल्द थक जाती थी. उसका शरीर नीला पड़ जाता था. उसके परिजन उसकी बीमारी को लेकर परेशान रहते थे. फिर एक दिन निकट के आंगनबाड़ी केंद्र में जब आरबीएसके की टीम के डॉ सरफराज, डॉ कविंद्र ने फराह नाज का परीक्षण किया, तो उन्हें उसके दिल की धड़कन सामान्य नहीं लगी. इस पर इस टीम ने फराह का रेफरल कार्ड बनाकर सदर अस्पताल भेजा. वहां से उसे स्क्रीनिंग के लिए इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान (आइजीआइएमएस) पटना भेजा गया. स्क्रीनिंग में रोग की पुष्टि होने के बाद ऑपरेशन के लिए हवाई जहाज से अहमदाबाद के लिए भेजा गया. वहां से सफल ऑपरेशन होने के बाद उसे एंबुलेंस से घर तक छोड़ा गया.
जीवन की सबसे बड़ी खुशी का पल
अपनी बिटिया के ऑपरेशन के बाद पिता अब्दुल कादिर और मां हसीना बेगम बहुत खुश हैं. अब्दुल कादिर ने कहा कि उनकी बेटी का स्वस्थ होकर घर लौटना उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशी का पल है. उन्होंने उम्मीद ही छोड़ दी थी कि कभी उनकी बेटी ठीक हो पायेगी, लेकिन सरकार के प्रयास से यह संभव हो सका है. उन्होंने कहा- मेरी बिटिया अब पूरी तरह से स्वस्थ है. अब घर में खुशी का माहौल है. यह ऑपरेशन पूरी तरह से नि:शुल्क किया गया है. यदि मैं निजी अस्पताल में यह ऑपरेशन कराता, तो कम से कम 3 से 4 लाख रुपये खर्च हो जाते. यह खर्चा उठाना मेरे लिए काफी मुश्किल था.
स्क्रीनिंग से लेकर इलाज तक आने-जाने का खर्च सरकार करती है वहन
जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ मुनाजिम ने बताया कि ऐसे बच्चों के इलाज के लिए आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ ब्रह्मदेव शर्मा एवं आरबीएसके के सभी सदस्यों ने काफी मेहनत की है. इसके कारण ही ये संभव हो पाया है. बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर समस्या या बीमारी है. एक अध्ययन के अनुसार जन्म लेनेवाले 1000 बच्चों में से 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं. इनमें लगभग 25 प्रतिशत नवजात बच्चों को प्रथम वर्ष में शल्य क्रिया की आवश्यकता रहती है. बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर समस्या है. राज्य सरकार के सात निश्चय-2 के तहत हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों के निःशुल्क उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित करने को नयी योजना ‘बाल हृदय योजना’ को 5 जनवरी, 2021 को मंत्रिमंडल ने स्वीकृति दी थी.
आरबीएसके के जरिये 38 रोगों के नि:शुल्क इलाज का है इंतजाम
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक डॉ ब्रह्मदेव शर्मा ने बताया कि योजना के तहत शून्य से 18 साल के बच्चों में होने वाले कुल 38 प्रकार के रोगों के नि:शुल्क इलाज का प्रावधान है. इसमें चर्मरोग, दांत व आंख संबंधी रोग, टीबी, एनीमिया, हृदय संबंधी रोग, श्वसन संबंधी रोग, जन्मजात विकलांगता, बच्चों के कटे होंठ व तालू संबंधी रोग शामिल हैं. बीमार बच्चों को चिह्नित करने के लिए आरबीएसके की टीम द्वारा जरूरी स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है. उन्होंने बताया कि शून्य से 6 साल तक के बच्चों में रोग का पता लगाने के लिए आंगनबाड़ी स्तर पर व 6 से 18 साल तक के बच्चों में रोग का पता लगाने के लिए विद्यालय स्तर पर स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन नियमित अंतराल पर किया जाता है.