महिलाओं ने किया कमाल:मिट्टी के बर्तन पर मिथिला पेंटिंग की छटा, तीन गुनी बढ़ी कुंभकारों की कमाई ।
मधुबनी, [कपिलेश्वर साह]। मिथिला पेंटिंग की छटा बिखेरतीं मिट्टी की कलाकृतियां लोगों को खूब भा रही हैं। मधुबनी के मंगरौनी के कुंभकारों द्वारा बनाए गए गिलास, कप, ट्रे, कटोरा, थाली, प्लेट, पूजा थाली, कुल्हड़ आदि पसंद किए जा रहे हैं। इनके अलावा टेबल लैंप, पेन स्टैंड, फ्लावर स्टैंड, प्रतिमाएं, खिलौने सहित अन्य सजावटी कलाकृतियां भी विशेष आकर्षण हैं। पटना, लखनऊ, दरभंगा, सीतामढ़ी, मधेपुरा आदि शहरों से कलाकृतियों और बर्तनों की मांग आ रही है। इससे यहां के कुंभकार उत्साहित हैं। मिथिला पेंटिंग होने से मिट्टी के आम बर्तनों और कलाकृतियों की तुलना में इनकी कीमत दो से तीन गुनी बढ़ गई है।
विभिन्न शहरों से आ रही मांग
स्थानीय कलाकार फिलहाल अपने स्तर से कलाकृतियों और बर्तनों की बिक्री कर रहे हैं। फिलहाल, पटना के व्यवसायियों ने 1500 कप, 100 थाली और 100 गिलास के आर्डर दिए हैं। मधेपुरा से भगवान बुद्ध की 150 और भगवान गणेश की 200 मूर्तियों की मांग है। सीतामढ़ी के व्यवसायी रूपेश कुमार ने 150 पीस पानी की बोतल के अलावा 150 गुल्लक के आर्डर दिए हैं। जून के पहले सप्ताह से आपूर्ति शुरू की जाएगी।
50 से अधिक परिवार कर रहे काम
मंगरौनी के कलाकार भोला पडि़त का कहना है कि मिथिला पेंटिंग वाले बर्तन या अन्य कलाकृति को बनाने के लिए विशेष प्रक्रिया और मिट्टी के अलावा अन्य वस्तुओं की जरूरत पड़ती है। उनमें चमक और फिनिशिंग के लिए मिट्टी पेंट का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद उनपर मिथिला पेंटिंग की जाती है। गांव में करीब 50 से अधिक परिवार निर्माण में जुटे हैं। वे कलाकृतियों और पात्रों को आकार देने के साथ ही पेंटिंग का भी काम करते हैं। मिथिला पेंटिंग की जिम्मेदारी महिलाओं और बेटियों की होती है। मिट्टी कला को नया रूप देकर मंगरौनी के कुंभकार प्रतिमाह 15 से 20 हजार रुपये की आमदनी कर रहे हैं।
मंगरौनी में बनेगा रूरल मार्ट
मिट्टी कला को नया स्वरूप और व्यापक स्तर पर रोजगार से जोडऩे के लिए नाबार्ड द्वारा मंगरौनी के 30 कुंभकारों को एक महीने का प्रशिक्षण दिया गया है। जिला विकास प्रबंधक सुमित कुमार का कहना है कि इन कलाकृतियों की बिक्री के लिए नाबार्ड के सहयोग से शहर के तिलक चौक स्थित युवा कृति संगम द्वारा मार्ट का संचालन किया जा रहा है। भविष्य में मंगरौनी में भी रूरल मार्ट बनाने की योजना है। युवा कृति संगम के सीईओ सुनील चौधरी बताते हैं कि गांवों में प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया जाता है। हस्तशिल्प विभाग के सहायक निदेशक बीके झा का कहना है कि कलाकारों को हस्तशिल्प कार्यालय द्वारा शिल्पी पहचान पत्र दिया जाएगा। कलाकृतियों की बिक्री के लिए देश के विभिन्न शहरों में विभाग की प्रदर्शनी में प्रस्तुत भी की जाएगी।