समस्तीपुर जिले में 15 क्लस्टर के लिये जगहों का किया गया चयन
समस्तीपुर : जिले में 750 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती का लक्ष्य है. इसके लिये 15 कलस्टर बनाये गये हैं. जिसमें 1875 किसान जुड़े हैं. जिन्हें प्राकृतिक खेती का लाभ मिलेगा. विदित हो कि प्राकृतिक खेती पूरी तरह रसायन मुक्त खेती है. इसमें पशुधन एकीकृत प्राकृतिक खेती के तौर तरीके और भारतीय पारंपरिक ज्ञान में निहित विविध फसल प्रणालियों को शामिल किया गया है. प्राकृतिक खेती के कई फायदें हैं, इससे मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होगा वहीं अधिक जलवायु लचीलापन के साथ किसान के लिये इनपुट लागत में कमी आयेगी.
जिले में 750 हेक्टेयर में होगी प्राकृतिक खेती, 1875 किसान होंगे लाभान्वित
प्राकृतिक खेती में पशुधन मुख्य रूप से गाय की स्थानीय नस्ल, कृषि उपादानों जिसमें बीजामृत, जीवामृत, घन जीवामृत, नीमास्त्र, दशपर्णी, बहु-फसल प्रणाली, मानसून पूर्व शुष्क बोआई, बायोमास आधारित मल्चिंग पारंपरिक बीजों का उपयोग किया जाता है. खाद्य पदार्थों की घटती गुणवत्ता, भूमि के नष्ट हो रहे प्राकतिक गुण को बचाने तथा रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग पर रोक लगाने के लिये प्राकृतिक खेती बेहद जरूरी है.किसानों को प्राकृतिक खेती में सहायता देने के लिये प्रति क्लस्टर दो कृषि सखी रहेगी. कृषि सखी को पांच हजार रुपये प्रतिमाह मिलेंगे.उन्हें मोबाइल खरीदने के लिये चार रुपये मिलेंगे. कृषि सखी किसानों को प्राकृतिक खेती के लिये प्रशिक्षित भी करेंगे.जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में निगरानी समिति होगी. वहीं प्रखंड स्तर पर बीडीओ की अध्यक्षता में निगरानी समिति होगी.
जीविका की सक्रिय सदस्य होगी कृषि सखी
कृषि सखी जीविका की सक्रिय सदस्य होगी. उन्हें प्राकृतिक खेती का कम से कम एक वर्ष का अनुभव होगा. कृषि सखी नहीं मिलने पर कोई अन्य सक्रिय स्वयंसेवी सहायता समूह सदस्य, जो प्राकृतिक खेती सीखने, अभ्यास करने के लिये उत्सुक हैं और भूमिका निभाने को तैयार होंगे उनका चयन किया जायेगा.कृषि सखी को उसी क्लस्टर का निवासी होना अनिवार्य है.उनके पास अच्छा संचार कौशल होना चाहिये. कम से कम सातवीं पास होना चाहिये.
प्राकृतिक खेती से मिलेंगे कई लाभ
मिट्टी का पुनर्जीवन होगा, पैदावार बेहतर होगी. मिट्टी में जैविक पदार्थों, सूक्ष्म जीवों और पौधों की विविधता के कारण मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी. महंगे रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आयेगी. किसानों को मुनाफा मिलेगा.हानिकारक रसायनों के बिना उगाये गये फसलों का सेवन अधिक सुरक्षित होगा.पर्यावरण का संरक्षण होगा. रोजगार का सृजन होगा.
जिले में किन-किन जगहों का क्लस्टर के लिये हुआ चयन
पटोरी के धमौन, मोहनपुर के माधोपुर सरारी, जलालपुर, धरनीपट्टी पश्चिमी, विशनपुर बेरी, मोहिउद्दीननगर के रासपुर पतसिया पूरब, रासपुर पतसिया पश्चिम, हैरल, कुरसाहा, पूसा के चंदौली, विद्यापतिनगर के शेरपुर ढेपुरा, बालकृष्ण मरवा, मउ धनेशपुर दक्षिणी, वाजिदपुर तथा वारिसनगर के रामपुर विशनपुर में क्लस्टर का चयन किया गया है.