विष्णु महायज्ञ में बोली जया किशोरी – भगवान दुख और सुख में हमेशा साथ रहते हैं
समस्तीपुर।हसनपुर.यदि मानव को जीवन में शांति की लालसा है, तो उसे सत्संग करना चाहिए। यह बातें सुप्रसिद्ध कथा वाचिका जया किशोरी जी ने कही। वे प्रखंड के औरा गांव में आयोजित श्री श्री 1008 श्री विष्णु महायज्ञ के चौथे दिन बुधवार की संध्या भागवत कथा कह रही थीं। भागवत कथा के दौरान अपने प्रवचन के माध्यम से कथा वाचिका ने श्रद्धालुओं को अपने जीवन में सत्संग को शामिल करने का संदेश दिया। उन्होंने श्रद्धालुओं को शांतिपूर्ण व सफल जीवन के लिए कई संदेश दिए।
कथा वाचिका ने कहा कि यह संसार कुएं की तरह है। बाहर रहकर लोग इससे जरूरत की चीजें निकालते हैं। यदि अधिक अंदर जाओगे तो डूब जाओगे। लोगों को संसारिक चीजों में कितनी मर्यादा है, हर काम समय से करते हैं, भगवान के पास भी समय से ही जाते हैं। जब दिक्कत आती है तो आधी रात में भी भगवान के पास जाता है। उन्होंने संसारिक सुख के बारे में कहा कि ऐसे सुख का क्या करें जिसमें अपने सगे-संबंधी साथ छोड़ कर चले जाते हैं।
इससे अच्छा दुख है कि लोग साथ में रहते हैं। भगवान तो दुख और सुख में भी हमेशा साथ रहते हैं। इसलिए संसारिक चीजों के प्रति मर्यादा को छोड़ कर भगवान के प्रति मर्यादा रखें। कथा वाचिका ने इस युग के मानव के क्रियाकलापों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि मनुष्य इतना चालाक है यदि कुछ अच्छा होता है तो बोलता है मैंने ऐसा किया, यदि कुछ बुरा होता है तो भगवान पर आरोप लगाता है। वह बिना कुछ सोचे आरोप लगाता है कि भगवान ने ऐसा क्यों किया। हम संसारिक चीज में मर्यादा रखते हैं, सत्संग में मर्यादा नहीं रखते यह गलत है।
मेरे राम जी से कह देना जय सिया राम… पर झूम उठे श्रद्धालु गंदगी में भगवान नहीं रहते। इसलिए जहां रहते हैं उस जगह की साफ सफाई रखिए। कई बार लोगों को लगता है कि वह भगवान से भी अधिक समझदार है। लेकिन ऐसा सोचना गलत है। कुल मिलाकर कथा वाचिका ने भागवत कथा के चौथे दिन मानव को शांति पूर्ण तरीके से रहने व जीवन में सत्संग को शामिल करने का संदेश दिया।
भागवत कथा के दौरान कथा वाचिका द्वारा प्रस्तुत किए गए भजनों “श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में…, “मेरे राम जी से कह देना जय सिया राम…”, “सजा दो घर को गुलशन सा अवध में राम आए हैं..” को सुनकर श्रद्धालुओं ने खूब तालियां बजाईं।