“उत्तर बिहार के जिलों में 16 तक आसमान में छाये रहेंगे बादल,तेज हवा के साथ होंगी बारिश
समस्तीपुर।उत्तर बिहार के जिलों में 12 से 16 अप्रैल आसमान में हल्के से मध्यम बादल देखें जा सकते है। इस अवधि में उत्तर बिहार के अनेक स्थानों पर तेज हवा के साथ हल्की वर्षा या बूंदा बूंदी हो सकती है। डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा मौसम विभाग के अनुसार इस अवधि में अधिकतम तापमान 27 से 33 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। न्यूनतम तापमान 18 से 21 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकती है। वहीं पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 15 से 20 कि.मी. प्रति घंटा की रफ्तार से पुरवा हवा चलने की सम्भावना है।
कुछ स्थानों पर तेज हवा (40-50 किलोमीटर प्रति घंटे) भी चल सकती है। दूसरी ओर सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 75 से 85 प्रतिशत तथा दोपहर में 30 से 40 प्रतिशत रहने की संभावना है। ओल की रोपाई करें। रोपाई के लिए गजेन्द्र किरम अनुशंसित है। प्रत्येक 0.5 किलोग्राम के कन्द की रोपनी के लिए दूरी 75×75 से० मी० रखें। वीज दर 80 क्विटल प्रति हेक्टेयर की दर से रखें। बुआई से पूर्व प्रति गड्ढ़ा 3 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर, 20 ग्राम अमोनियम सल्फेट या 10 ग्राम युरिया, 37.5 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 16 ग्राम पोटेषियम सल्फेट का व्यवहार करे। ओल की कटे कन्द को ट्राइकोर्डमा भिरीडी दवा के 5.0 ग्राम प्रति लीटर गोबर के घोल में मिलाकर 20-25 मिनट तक डुबोकर रखने के बाद कन्द को निकालकर छाया में 10-15 मिनट तक सुखने दें।
पिछले दिनों उत्तर बिहार के अनेक स्थानों पर तेज हवा के साथ हल्की से मध्यम वर्षा हुई है तथा आगे भी वर्षा या बुंदा बुंदी होने की सम्भावना है। अतः कृषक को गेहूं एवं अरहर की तैयार फसलो की कटनी दौनी में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। खड़ी फसलों में कीटनाशकों का छिड़काव मौसम साफ रहने पर करें। गरमा मूंग तथा उरद की बुआई वर्षा न होने की स्थिति में अविलंब संपन्न करें। खेत की जुताई में 20 किलो ग्राम नेत्रजन, 45 किलोग्राम स्फूर, 20 किलोग्राम पोटाश तथा 20 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें। मूंग के लिए पूसा विशाल, सम्राट, एसएमएल-668, एचयूएम-16 एवं सोना तथा उरद के लिए पंत उरद-19, पंत उरद-31, नवीन एवं उत्तरा किस्में बुआई के लिए अनुशंसित हैं। बुआई के दो दिन पूर्व बीज को कार्बेन्डाजीम 2.5 ग्राम प्रत्ति किलो ग्राम की दर से शोधित करें। बुआई के ठीक पहले शोधित बीज को उचित राईजोबियम कल्चर से उपचारित कर बुआई करें।
प्याज फसल में थ्रिप्स कीट की निगरानी करें। थ्रिप्स प्याज को नुकसान पहुंचाने वाला मुख्य कीट है। यह आकार में अतिसुक्ष्म होता है तथा यह पत्तियों की सतह पर चिपक कर रस चुसते है जिससे पत्तियों पर दाग दिखाई देते है जो बाद में हल्के सफेद हो जाते है। थ्रीप्स की संख्या अधिक पाये जाने पर प्रोफेनोफॉस 50 ई०सी० दवा का 1.0 मि.ली प्रति लीटर पानी या इमिडाक्लोप्रिड दवा का 1.0 मी.ली. प्रति 4 लीटर पानी की दर से घोलकर वर्षा न होने की स्थिति में छिड़काव करें।