“सरकार ने फैसला बदला,ऑटो से स्कूल जा सकेंगे बच्चे:गेट एक तरफ से बंद करना होगा
बिहार में स्कूल आने-जाने के नियम में सरकार ने फिर से बदलाव किया है। अब बच्चे ऑटो से स्कूल आ-जा पाएंगे। प्रदेश के विभिन्न जिलो में करीब 70 हजार से अधिक ऑटो चालकों को इस फैसले से राहत मिलेगी।मंगलवार को एडीजी ट्रैफिक सुधांशु कुमार ने ऑटो संघ के साथ हुई बैठक में, कुछ शर्तों के साथ ऑटो को स्कूली बच्चों को लाने की परमिशन दी गई है।
हालांकि, ई रिक्शा पर बच्चों को स्कूल ले जाने पर बैन बरकरार रहेगा। दरअसल, ई-रिक्शा में सेफ्टी कम होती है। हल्का वाहन है और दोनों तरफ से ओपन रहता है।
अभिभावकों को हो रही परेशानी और ऑटो संघ के प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने ये फैसला लिया है। पेरेंट्स ने फैसले से राहत मिलने की बात कही है।
प्रशासन ने 1 अप्रैल से स्कूल में ई-रिक्शा और ऑटो को बैन किया था। पुलिस-प्रशासन ने जारी आदेश में कहा था कि ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा से बच्चों को भेजने पर कार्रवाई की जाएगी।, हालांकि इसे फिर 7 अप्रैल के लिए एक्सेंट कर दिया गया था।
अब जानिए ऑटो को मिली परमिशन पर पेरेंट्स का क्या कहना है
सरकार के इस फैसले से पेरेंट्स को राहत मिली है। पटना में अभिभावक नागेंद्र कुमार ने कहा- ‘ये अच्छा डिसीजन है, लेकिन जो भी ऑटो बच्चों को लेकर जाते हैं, वो सुरक्षित होने चाहिए। ऑटो वालों के लिए मानक तय होने चाहिए। अगर वो उसके अनुसार नहीं चलते हैं तो ये हमारी भी जिम्मेदारी है कि उनसे बच्चों को न भेजें और सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए।’
वहीं चुनचुन कुमार ने कहा-
ये फैसला राहत पहुंचाने वाला है। खासकर ऑफिस आने-जाने वाले पेरेंट्स को काफी राहत मिलेगी। सुबह हम लोग बच्चे को छोड़ तो देते हैं, लेकिन दोपहर में ऑफिस छोड़कर वापस लेने आना मुश्किल होता है। ऑटो स्टार्ट करना चाहिए लेकिन सेफ्टी का ख्याल रखना चाहिए।
बच्चों की सेफ्टी जरूरी, हम सुधार करेंगे- ऑटो संघ
पटना जिला ऑटो रिक्शा चालक संघ के अध्यक्ष पप्पू यादव ने बताया कि-
हमें ऑटो से बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने की परमिशन मिल गई है, लेकिन कुछ सुरक्षा मानक तय किए गए हैं। फाइनल डॉक्यूमेंट आना बाकी है। फिर हम इसपर काम करेंगे।
जीपीएस ट्रैकर का कॉस्ट भी हमें देखना होगा, ज्यादा महंगा होने पर ऑटो ड्राइवर असहज होंगे, लेकिन हम इसका विकल्प निकालेंगे।
बच्चों की सुरक्षा के लिए सभी ऑटो ड्राइवर की सहमति बनी है। सारे सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द हम लोग यह काम करेंगे।
ऑटो में ओवरलोडिंग और बढ़ते हादसों के देखते हुए प्रशासन ने इसे बैन किया था। (फाइल फोटो)
1 अप्रैल से स्कूली ऑटो पर लगा था प्रतिबंध
बिहार पुलिस मुख्यालय के यातायात प्रभाग ने 1 अप्रैल से राज्यभर के सभी जिलों में स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने के लिए ऑटो और ई-रिक्शा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था।मुख्यालय की ओर से कहा गया कि क्षमता से अधिक बच्चों को बिठाने और सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। इसी को लेकर यह फैसला लिया गया है।
ऑटो चालकों के विरोध को देखते हुए यातायात पुलिस ने ऑटो संघ के साथ बैठक की थी। इसमें चालकों को राहत देते हुए 9 अप्रैल तक कोई कार्रवाई नहीं करने की बात कही गई थी। छात्रों के बच्चों ने भी कहा था कि, अचानक इस फैसले से काफी समस्या होगी। खर्चा भी बढ़ेगा।
सीधी कार्रवाई होने की कही थी बात
1 अप्रैल को सरकार की ओर से सख्त निर्देश जारी हुए थे कि अगर किसी स्कूल या चालक स्कूली बच्चों को ऑटो से ले जाते हुए पकड़ा गया, तो उस पर सीधी कार्रवाई की जाएगी।इस प्रतिबंध में पटना नगर निगम, नगर परिषद और जिले के सभी प्रखंडों और ग्रामीण इलाकों में संचालित प्राइवेट स्कूल ऑटो का इस्तेमाल नहीं करने की बात कही गई थी।
छात्रों के अभिभावकों का भी कहना था कि अचानक आए इस फैसले से समस्या हो रही है।
जानिए फैसले की पीछे की वजह
पुलिस मुख्यालय की यातायात शाखा को सूचना मिली थी कि बड़ी संख्या में ऑटो और ई-रिक्शा का उपयोग स्कूली बच्चों के लिए किया जा रहा है।
क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाने और सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है।
इससे हादसों का खतरा रहता है। इस कारण यह फैसला लिया गया है।
4,000 ऑटो और ई-रिक्शा स्कूली बच्चों को लाते जाते
पटना और आसपास के इलाकों में लगभग 4,000 ऑटो और ई-रिक्शा स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने में लगे हैं। इनमें लगभग 1,000 पटना नगर निगम क्षेत्र में और 3,000 से अधिक ग्रामीण और प्रखंड क्षेत्रों में चल रहे हैं।
कॉन्वेंट स्कूल के सबसे ज्यादा ई-रिक्शा और ऑटो
सबसे ज्यादा ई-रिक्शा और ऑटो कान्वेंट स्कूल के होते हैं। दरअसल, कान्वेंट स्कूल का एक रूल है कि उन्हीं बच्चों का एडमिशन होगा, जिनका आवास 2 किलोमीटर के दायरे में हो। लेकिन, कुछ पेरेंट्स 10 किलोमीटर के दायरे में भी रहते हैं, तो वह झूठ बोलकर अपने बच्चों का एडमिशन करवा लेते हैं। इस स्थिति में दूर से आने वाले बच्चों को स्कूल आने का जरिया ऑटो ही है।