Monday, March 3, 2025
BegusaraiSamastipur

“बेगूसराय-समस्तीपुर को जोड़ने वाला पुल 12 साल बाद भी अधूरा:अब तक बने सिर्फ 6 पिलर

बेगूसराय और समस्तीपुर के बीच बाया नदी है। यह नदी दोनों जिलों को अलग करती है, लेकिन दोनों को जोड़ने और आवागम सुगम बनाने के लिए 12 साल पहले पुल बनाने की योजना बनाई गई। पुल का शिलान्यास भी किया गया, लेकिन अब तक सिर्फ 6 पिलर ही बन पाए।पुल का एक छोड़ समस्तीपुर के मऊ में है और दूसरा बेगूसराय के विशनपुर में है। मऊ और विशनपुर को मिलाकर 10 गांव के लोगों को इस पुल की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन गांवों की आबादी करीब 50 हजार है, जो पुल के अभाव में 10 किमी अधिक दूरी तय करने को मजबूर होते हैं।

 

बाढ़ के समय में परेशानी और बढ़ जाती है। दियारा क्षेत्र करीब 3-4 महीने पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है। ऐसे में नाव ही सहारा रहता है, जो जानलेवा भी होता है। पानी के निकलने के बाद लोग हर साल निर्माणाधीन पुल के बगल में कच्ची सड़क बनाते हैं।इसके लिए कोई चंदा देता है तो कोई श्रम दान करता है। कच्ची सड़क से लोग पैदल या बाइक से आना-जाना करते हैं, लेकिन बड़ी गाड़ी हो या फिर कार उसे 10 किमी दूर दादू पुल से गुजरना पड़ता है। पुल निर्माण क्यों नहीं हो रहा है, इस संबंध में स्पष्ट रूप से कोई अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है। मामला बछवाड़ा प्रखंड का है।

 

 

1. चुनाव आता है तो अधिकारी नजर आते हैं

 

स्थानीय ग्रामीण अजय कुमार राय ने बताया कि ’12 साल से पाया खड़ा है। 2013 में विजय कुमार चौधरी ने शिलान्यास किया था। निर्माण पर 9 करोड़ खर्च होने हैं, पर अभी तक बनकर तैयार नहीं हुआ है। कभी बोला जाता है भू-अर्जन की समस्या है तो कभी कहा जाता है कि कुछ और गड़बड़ी हुई है। सही जवाब कोई नहीं देता।”जब चुनाव का समय आता है तो कुछ अधिकारियों को भेज दिया जाता है, जनता का वोट समेटने के लिए। वोटिंग की प्रक्रिया खत्म होने के बाद कुछ नहीं होता। बाढ़ के समय में इंजीनियर मापी करने आते हैं, बाढ़ खत्म होते ही इंजीनियर गायब हो जाते।’

 

2. नदी में डूबकर लोगों की मौत हो जाती है

 

मऊ धनेशपुर निवासी विमल राय ने बताया कि ‘पुल के बिना सब लोग परेशान हैं, डूब कर कितने लोग हमारे गांव के मर चुके हैं। पुल नहीं है, रास्ता नहीं है, बहुत पानी रहता है। पानी की धार तेज होती है।’

 

3. खतरों से खेलकर नाव से करते है सफर

 

समसीपुर दियारा के बुजुर्ग वासुदेव राय ने बताया कि ‘पुल नहीं बनने से काफी तबाही है, क्या बताएं। सबसे अधिक परेशानी बाढ़ के समय होती है। खतरों से खेल कर नाव से आना जाना करना पड़ता है।’

 

4. पुल के नाम पर वोट लेकर चले जाते हैं, फिर पुल नहीं बनता

 

रामबाबू राय ने बताया कि ‘विधायक जी आते हैं, पुल के नाम पर वोट लेकर चले जाते हैं, फिर पुल नहीं बनता है। लोगों को काफी परेशानी होती है, नाव से आना-जाना पड़ता है, हजारों लोग रोज अप-डाउन करते हैं।’

 

5. चंदा जमाकर कच्ची सड़क बनाते हैं

 

स्थानीय निवासी अजय कुमार ने बताया कि ‘हम लोग गांव में 10, 20, 200, 500 रुपए चंदा जमा करके हर साल कच्ची पुल बनाते हैं। मुखिया से भी मदद लेते हैं। मिट्टी भर कर किसी तरह से जाते-जाते हैं। विद्यापति नगर नजदीक में है, वहां कोल्ड स्टोर है। दियारा के किसानों का आलू इसी से होकर जाता है। हमारे बेगूसराय जिला के 10 गांव की आबादी इससे प्रभावित है।’

 

 

पुल निर्माण स्थल पूरी तरह से दियारा का इलाका है, यहां साल में करीब 4 महीने नदी का पानी रहता।

ढलाई से पहले जमींदारों ने अपनी जमीन कहकर निर्माण रुकवाया

 

जहां पुल बन रहा है। वहां बाढ़ के समय बाया नदी उफान पर रहती है। बाया नदी में गंगा का पानी भी मिल जाता है। इसी कारण क्षेत्र में लोग पुल निर्माण की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। 2008 में दुर्गा पूजा के अवसर पर तात्कालीन सांसद आलोक मेहता विशनपुर आएं थे। लोगों की मांग पर उन्होंने अखाड़ा घाट पर पुल बनवाने का आश्वासन दिया। इसके बाद कोई पहल नहीं हुई।

 

इसी दौरान सरायरंजन के विधायक विजय कुमार चौधरी जब मऊ धनेशपुर दक्षिण पंचायत पहुंचे तो लोगों ने फिर से मांग उठाई। इसके बाद उन्होंने 2013 में उच्च स्तरीय पुल निर्माण की आधारशिला रखी। विनय सिंह कंस्ट्रक्शन कंपनी की ओर से काम भी शुरू हो गया, किसी ने कोई सवाल नहीं उठाया।ग्रामीण बताते हैं, मऊ के कुछ लोगों ने अपनी जमीन बताकर पुल का निर्माण रुकवा दिया है। आवेदन देने वालों का दावा था कि हमारे जमीन पर पुल बनाया जा रहा है। जबकि, स्थानीय लोग बताते हैं कि यह जमीन उनकी नहीं, सरकारी जमीन है।

 

विशनपुर के पूर्व मुखिया श्रीराम राय ने कहा,

 

 

काम शुरू हुआ, इसके बाद जमींदार अड़ंगा लगाने लगे, जबकि यहां सरकारी और गैर मजरुआ जमीन है। अब तक कुछ क्लियर नहीं हो पा रहा है। जिसके कारण पुल अर्धनिर्मित हालत में पड़ा हुआ है। करीब 9 करोड़ की लागत से पुल बनना शुरू हुआ था। पहले बोर्ड भी लगा हुआ था, लेकिन वो भी गिरा दिया गया। स्थानीय जनप्रतिनिधि दोषी हैं, खास करके विजय कुमार चौधरी। इसके साथ जितना भी पुल बनना शुरू हुआ, सब तैयार हो गया, आवागमन शुरू हो गया।वहीं, पुल निर्माण से संबंधित जानकारी लेने के लिए ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई पर पर बात नहीं हो पाई। सोर्स :भास्कर.

 

Kunal Gupta

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