“आंखों के साथ ही कान के लिए भी रंग हानिकारक,हर्बल और नेचुरल रंगों से खेली जाए होली
समस्तीपुर.होली के शौकीनों को रंगों की बौछार से दूर रखना बहुत मुश्किल होता है। वैसे तो लोग अब काफी एवेयर हो चुके हैं और ये समझने लगे हैं कि होली जितनी ज्यादा हर्बल और नेचुरल रंगों से खेली जाए उतनी ही ज्यादा सेफ होती है।उसके बावजूद भी लोग होली के केमिकल वाले रंगों की चपेट में आ ही जाते हैं। इन रंगों की वजह से सेहत को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं।आप भी अगर होली के रंग खेलने जा रहे हैं तो पहले जान लें केमिकल कलर्स से होने वाले नुकसान क्या क्या हो सकते हैं।उसके बाद सही रंगों का चुनाव करें और फिर होली खेंलें।होली के त्योहार को लेकर पेश है डॉक्टर्स की महत्वपूर्ण सलाह।
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ गोपाल प्रसाद ने कहा कि केमिकल वाले रंग त्वचा पर खुजली, दाद और सूजन पैदा कर सकते हैं। आंख में जाने पर रोशनी प्रभावित हो सकती है। कान में पड़ने से श्रवण क्षमता को नुकसान पहुंच सकता है। सांस के जरिए शरीर में जाने पर गुर्दे और फेफड़ों को नुकसान हो सकता है।उन्होंने गहरे रंगों से दूर रहने की सलाह दी है।
दंत चिकित्सक डॉ अमित गौरव ने बताया कि रंग खरीदते समय हर्बल रंगों को प्राथमिकता दें। अगर किसी भी तरह का रंग मुंह या दांतों में चला जाए, तो तुरंत साफ पानी से धोएं और डॉक्टर से संपर्क करें। स्किन की तरह ही मुंह में भी जलन हो सकती है। इसके अलावा दांतों व मुंह के रास्ते पेट तक पहुंचकर गंभीर रोग पैदा तो करेंगे ही तत्काल दांतों को भी स्थायी रूप से बर्बाद कर देंगे।
फिजिशियन डॉ एके आदित्य ने बताया कि बाजार में बिक रहे केमिकल युक्त रंग सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं। केमिकल वाले कलर्स में बहुत छोटे छोटे पार्टिकल्स होते हैं जो हवा में मिलकर, सांस के जरिए रेस्पिरेटरी सिस्टम में जा सकते हैं। इसकी वजह से खांसने, छींकने की शिकायत हो सकती है। अस्थमा या अन्य कोई रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम है, तो उन्हें भी ऐसे रंग नुकसान होगा।
शहर के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. सौमेन्दु मुखर्जी ने बताया कि जिस बच्चों को फेफरे, श्वास आदि बीमारी हो तो आर्टिफिशिएल रंग व गुलाल से बचाना चाहिए। वहीं बच्चों को तेल, मशाला के सामग्रियों के भी खाने को खिलाने से परहेज करना चाहिए। इन दिनों ज्यादतर आर्टिफिशिएल रंगों का इस्तेमाल होता है और कई रंग-अबीर में कलर के लिए केमिकल का भी उपयोग कुछ लोग कर देते हैं।