“श्रीराम कथा:जीवन रूपी नैया को पार करने के लिए कलयुग में राम नाम ही सहारा: शेष नारायण
“श्रीराम कथा:समस्तीपुर :मोहिउद्दीननगर.प्रखंड के मदुदाबाद स्थित हाई स्कूल अंदौर के प्रांगन में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन अयोध्या से पधारे पंडित शेष नारायण महराज ने शिव पार्वती विवाह प्रसंग पर प्रकाश डाला। इस दौरान उन्होंने सती चरित्र, राजा दक्ष की कथा, सती का पार्वती अवतार, शिव प्राप्ति के लिए सती की तपस्या आदि प्रसंग सुनाए। शिव पार्वती की कथा का वर्णन करते हुए कथावाचक ने बताया कि पूर्व जन्म में भी पार्वती ने शिवजी को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी।
इसलिए अगले जन्म में भी शिव पार्वती का विवाह हुआ और दोनों ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई। भगवान शंकर दूल्हा बनकर दक्ष राजा के यहां भूत प्रेतों की बारात लेकर पहुंचे व सभी महिलाओं ने मंगल गीत गाए और विवाह की खुशियां मनाई गई। इस दौरान कहा कि जीवन रूपी नैया को पार करने के लिए राम नाम ही एक मात्र सहारा है। वर्तमान दौर में ऐसा कोई मनुष्य नहीं है जो दुखी न हो। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं होता है कि हम भगवान का स्मरण करना ही छोड़ दें।
जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे। राम नाम का स्मरण करने मात्र से हर एक विषम परिस्थिति को पार किया जा सकता है। लेकिन, अमूमन सुख हो या दुख हम भगवान को भूल जाते हैं। दुखों के लिए उन्हें दोष देना उचित नहीं है।शिव पार्वती विवाह प्रसंग पर बोलते हुए कहा कि नारद मुनि भगवान शिव व पार्वती विवाह का रिश्ता लेकर आए थे। उनकी माता इसके खिलाफ थी। उनका मानना था कि शिव का कोई ठौड़ ठिकाना नहीं है। ऐसे पति के साथ पार्वती का रिश्ता निभना संभव नही है। उन्होंने इसका विरोध भी किया। लेकिन, माता पार्वती का कहना था कि वे भगवान शिव को पति के रुप में स्वीकार कर चुकी है तथा उनके साथ ही जीवन जीना चाहेंगी। इसके बाद दोनों का विवाह संपन्न हुआ। बीच बीच में भक्तिमय संगीत पर श्रद्धालुओं को झुमने पर विवश कर दिया।