“दिल्ली में भाजपा का वोट शेयर AAP से 3.6% ज्यादा: लेकिन 26 सीटें ज्यादा जीतीं;मिला बहुमत,AAP 22 पर सिमटी, कांग्रेस के कारण…
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बहुमत हासिल कर लिया है। भाजपा ने 70 में से 48 सीटें जीतकर 26 साल बाद सत्ता में वापसी की। आम आदमी पार्टी (AAP) को 40 सीटों का नुकसान हुआ और वह 22 सीटों पर सिमट गई।इस बार भाजपा ने 68 सीटों पर चुनाव लड़ा, 48 सीटें जीतीं। यानी 71% स्ट्राइक रेट के साथ उसकी 40 सीटें बढ़ीं। वहीं AAP स्ट्राइक रेट 31% रहा और उसे 40 सीटों का नुकसान हुआ।
भाजपा+ को AAP से 3.6% ज्यादा वोट मिले, जबकि उसे AAP के मुकाबले 26 सीटें ज्यादा मिलीं। इधर कांग्रेस को दिल्ली में लगातार तीसरे विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली।पिछले चुनाव (2020) के मुकाबले भाजपा का वोट शेयर 9% से ज्यादा बढ़ा। AAP को करीब 10% का नुकसान हुआ। कांग्रेस को भले ही एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन वोट शेयर 2% बढ़ाने में कामयाब रही।
भाजपा ने 1993 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 49 सीटें यानी दो तिहाई बहुमत हासिल किया था। 5 साल की सरकार में मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज मुख्यमंत्री बने थे। 1998 के बाद कांग्रेस ने 15 साल राज किया। इसके बाद 2013 से यहां आम आदमी पार्टी की सरकार थी।
भाजपा ने आम आदमी पार्टी के 26 में से 16 किले ढहाए
भाजपा ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 26 में से 16 किले ढहा दिए हैं। इनमें अरविंद केजरीवाल की नई दिल्ली विधानसभा सीट भी शामिल है। इन 26 सीटों पर AAP लगातार 3 विधानसभा चुनावों से जीत रही थी।भाजपा को सबसे ज्यादा फायदा वेस्ट और नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली में हुआ है। 2020 में यहां की 20 सीटों में से भाजपा सिर्फ 1 सीट जीती थी, लेकिन इस बार बढ़कर 16 सीटें जीत गई है। इन इलाकों में पंजाबी, पूर्वांचली और दलित वोटर सबसे ज्यादा हैं। इसके अलावा दिल्ली की सभी 10 जाट बहुल सीटें भाजपा ने जीतीं। पूरी खबर पढ़ें
कांग्रेस फिर जीरो, लेकिन 14 सीटों पर AAP को हरवाया
कांग्रेस दिल्ली में जीरो थी, जीरो ही रही लेकिन आम आदमी पार्टी को जरूर हरवा दिया। 14 सीटों पर आम आदमी पार्टी की हार का अंतर कांग्रेस को मिले वोटों से कम है। यानी अगर AAP और कांग्रेस का गठबंधन होता, तो दिल्ली में गठबंधन की सीटें 37 हो जातीं और भाजपा 34 सीटों पर सिमट सकती थी। बहुमत 36 का है। पूरी खबर पढ़ें
हार की 6 बड़ी वजह; केजरीवाल के खिलाफ मोदी खुद चेहरा बने
करप्शन के आरोप लगे, 177 दिन जेल में रहे: केजरीवाल शराब नीति केस में कुल 177 दिन जेल में रहे। भाजपा ने अपने चुनावी कैंपेन में इसे मुद्दा बनाया। केजरीवाल खुद को ‘कट्टर ईमानदार’ कहते थे। भाजपा ने उन्हें बार-बार ‘कट्टर बेईमान’ कहा।
सरकारी बंगले ‘शीशमहल’ पर 45 करोड़ खर्च: केजरीवाल के सरकारी बंगले के रेनोवेशन पर 45 करोड़ रुपए खर्च किए जाने को भाजपा ने मुद्दा बनाया। चुनाव के पहले इसे ‘शीशमहल’ कहकर प्रचारित किया।
केजरीवाल के खिलाफ मोदी खुद चेहरा बने: भाजपा ने इस चुनाव को PM मोदी बनाम केजरीवाल बनाया। प्रधानमंत्री ने अपने नाम पर वोट मांगे।
केंद्र ने वोटिंग से 3 दिन पहले 12 लाख तक इनकम टैक्स फ्री की: दिल्ली में 67% आबादी मिडिल क्लास है। पिछले चुनावों में मिडिल क्लास ने AAP को एकतरफा वोट किया था। इस फैसले का असर पड़ा।
महिलाओं और बुजुर्गों को आर्थिक मदद का ऐलान: मोदी ने हर रैली में कहा कि हम मौजूदा सरकार की किसी भी कल्याणकारी योजना को बंद नहीं करेंगे। वहीं, महिलाओं और 60-70 साल के बुजुर्गों को हर महीने 2500 रुपए देने का ऐलान किया।
67 प्रतिशत उम्मीदवार बदल दिए: भाजपा ने इस बार कुल 68 उम्मीदवार उतारे। इसमें पिछले चुनाव वाले 46 प्रत्याशी बदल दिए। यानी भाजपा ने 67 प्रतिशत कैंडिडेट बदले।
CM समेत 4 मंत्री जीते, 2 हारे
आतिशी कालकाजी सीट से जीतीं।
गोपाल राय बाबरपुर सीट से जीते।
इमरान हुसैन बल्लीमारन सीट से जीते।
मुकेश अहलावत सुल्तानपुर माजरा सीट से जीते।
सौरभ भारद्वाज ग्रेटर कैलाश से हारे।
राघवेंद्र शौकीन नांगलोई जाट सीट से हारे।
दिल्ली रिजल्ट के इंटरेस्टिंग फैक्ट्स
2020 में भाजपा ने महज 8 सीटें जीती थीं। 2025 में 6 गुना ज्यादा यानी 48 से ज्यादा सीटों पर जीती।
केजरीवाल की नई दिल्ली सीट पर 20 उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई। इन्हें मिले वोट तीन अंक तक भी नहीं पहुंच सके।
कांग्रेस के 70 में से 67 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त (27019 वोट) दूसरे स्थान पर रहे। इनके अलावा, बादली से देवेंद्र यादव (41071 वोट) और नांगलोई जाट से रोहित चौधरी (32028 वोट) तीसरे स्थान पर रहे।
केजरीवाल को प्रवेश वर्मा ने 4089 वोटों से हराया, जबकि संदीप दीक्षित को 4568 वोट ही मिले।
भाजपा के दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे चुनाव जीत गए हैं। नई दिल्ली से प्रवेश वर्मा और मोतीनगर से हरीश खुराना। प्रवेश पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। खुराना पूर्व सीएम मदन लाल खुराना के बेटे हैं।
2020 दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन मुस्तफाबाद सीट से तीसरे नंबर पर रहे। वे ओवैसी की पार्टी AIMIM से चुनाव लड़े थे। यहां से भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट ने जीत दर्ज की। दूसरे नंबर पर AAP रही।
महिला वोटर्स ने निजाम बदला, 60.92% वोट दिए
दिल्ली में 27 साल बाद फिर भाजपा की सरकार बन रही है। इसमें महिला वोटर्स की अहम भूमिका मानी जा रही है। दरअसल, इस बार चुनाव में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कुल वोटर्स (72.37 लाख) में से 60.92% महिलाओं ने वोट किया। जबकि पुरुष का प्रतिशत थोड़ा कम यानी 60.21% रहा। ऐसा पहली बार है जब दिल्ली में पुरुषों से अधिक महिलाओं ने वोटिंग की।
चुनाव आयोग के मुताबिक, 40 विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले अधिक रहा है। सबसे अधिक अंतर ओखला सीट पर रहा। यहां 52.5% पुरुषों के मुकाबले 5% अधिक यानी 58.2% महिलाओं ने वोटिंग की। महिलाओं की अधिक वोटिंग का बड़ा कारण महिलाओं के लिए घोषित योजनाओं को माना जा रहा है।भाजपा ने महिलाओं को हर महीने 2500 रुपए, गर्भवती को 21 हजार रुपए देने का वादा किया था। कांग्रेस ने भी 2500 रुपए महर महीने और आप ने 2100 रुपए देने का वादा किया था।
सबसे ज्यादा बार जीतने वाले प्रत्याशी
मोहनसिंह बिष्ट ने छठी बार जीत दर्ज की। इससे पहले वे (1998, 2003, 2008, 2013, 2020) करावल नगर से भाजपा के विधायक रह चुके हैं। इस बार भाजपा ने सीट बदलकर मुस्तफाबाद से टिकट दी थी।
सबसे ज्यादा शिक्षित विधायक
दिल्ली के 27 विधायक पोस्ट ग्रेजुएट हैं। वहीं 18 ग्रेजुएट और 25 अंडर ग्रेजुएट हैं। भाजपा के 21 और AAP के 6 विधायक पोस्ट ग्रेजुएट हैं। सबसे ज्यादा शिक्षित अंबेडकर नगर से AAP विधायक डॉ अजय दत्त हैं, उन्होंने पीएचडी की है। जबकि सबसे कम शिक्षित बदरपुर से AAP विधायक राम सिंह हैं जो पांचवीं तक पढ़े हैं।
सबसे युवा और बुजुर्ग विधायक
राजेंद्र नगर से भाजपा विधायक उमंग बजाज (31 साल) सबसे युवा हैं जबकि सबसे बुजुर्ग विधायक भाजपा के तिलक राम (73 साल) हैं। वे त्रिनगर से जीते हैं।
31 से 35 साल के 5 विधायक (3 भाजपा और 2 AAP)
36 से 60 साल के 51 विधायक (34 भाजपा और 17 AAP)
60 साल से ज्यादा के 14 विधायक (11 भाजपा और 3 AAP)
जिलेवार पार्टियों को मिली सीटें…
2024 लोकसभा चुनाव में बतौर प्रधानमंत्री मोदी रिकॉर्ड तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। उनके नेतृत्व में भाजपा ने इस साल 8 राज्यों- आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव लड़ा।
इसमें 5 राज्यों- आंध्र, अरुणाचल, ओडिशा, हरियाणा और महाराष्ट्र में भाजपा या गठबंधन की सरकार बनी। सिक्किम में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और SKM के बीच गठबंधन टूट गया, हालांकि केंद्र में दोनों साथ हैं। वहीं जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और झारखंड में JMM के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार है। 2025 में दिल्ली जीत के साथ 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भाजपा या गठबंधन की सरकार हो गई। सोर्स : दैनिक भास्कर।