“बेगूसराय में जलपरी की तरह दिखने वाले नवजात का जन्म:आधे घंटे बाद ही तोड़ा दम
बेगूसराय में एक अजूबे नवजात के जन्म का मामला सामने आया है। रविवार दोपहर बाद जन्म लेने वाले नवजात के कमर का ऊपर का हिस्सा बिलकुल ठीक था, लेकिन कमर के नीचे के हिस्से का बनवाट जलपरी की तरह था। हालांकि, जन्म लेने के 30 मिनट के बाद ही नवजात ने दम तोड़ दिया। मामला नावकोठी प्राइमरी हेल्थ सेंटर यानी PHC का है।
अजीब तरह के बच्चे के जन्म लेने के बाद उसे देखने के लिए प्राइमरी हेल्थ सेंटर के बाहर लोगों की भीड़ जुट गई। उधर, नवजात के दम तोड़ने के बाद शव को परिजन के हवाले कर दिया गया, जिसका रविवार शाम को ही अंतिम संस्कार कर दिया गया।
ड्यूटी पर तैनात ANM प्रियंका कुमारी और सुमन रानी ने बताया कि नवजात अति कुपोषित का शिकार हुआ था, इस वजह से उसके शरीर के अंगों का पूरी तरह से विकास नहीं हुआ था। बच्चे का वजन मात्र 1.5 किलोग्राम था। नवजात के शरीर का ऊपरी हिस्सा ठीक था। यानी हाथ, पेट, पीट, नांक, मुंह, आंख तो विकसित हो गया था, लेकिन निचले हिस्से की बनावट मछली की पूंछ की तरह थी।
ANM प्रियंका कुमारी ने बताया कि नवजात का प्राइवेट पार्ट भी अच्छी तरह से विकसित नहीं हुआ था। इसलिए इसे लड़का अथवा लड़की के रूप में चिह्नित नहीं किया जा सकता था। जन्म के करीब 30 मिनट बाद ही उसकी मौत हो गई।जिस महिला की डिलीवरी हुई, उनकी सास ने कहा कि पोते की चाहत में बहू की डिलीवरी कराने पीएचसी आई थी, लेकिन भगवान को शायद कुछ और ही मंजूर था। प्रसव के बाद बच्चा मर गया, लेकिन मां स्वस्थ है।
नावकोठी के चक मुजफ्फर गांव की प्रसूता ने नवजात को दिया था जन्म
जानकारी के मुताबिक, नावकोठी प्रखंड क्षेत्र के हसनपुर बागर पंचायत स्थित चक मुजफ्फर गांव के वार्ड नंबर-12 के रहने वाले दिनेश तांती की पत्नी आरती देवी प्रेग्नेंट थी। आरती पहले से पांच बच्चों की मां है। पहले के सभी पांचों बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हैं।आरती छठी बार प्रेग्नेंट हुई थी। डिलीवरी डेट के नजदीक आने के कारण आरती को नावकोठी पीएचसी में एडमिट कराया गया था। रविवार दोपहर करीब 1 बजकर 40 मिनट पर आरती ने नवजात को जन्म दिया था। मौके पर मौजूद आरती देवी की सास ममता देवी ने बताया कि इसके पहले आरती की पांच बेटियां हैं। उन्हें एक पोते की चाहत थी, जो पूरी नहीं हुई।
अब जान लीजिए, क्या बोले चाइल्ड स्पेशलिस्ट?
बेगूसराय के सिटी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा कि बहुत बार देखा गया है कि नवजात शिशु अलग-अलग विकृतियों के साथ पैदा होते हैं, जो जन्मजात बीमारी होती है। किसी बच्चे का सिर बड़ा होता है, किसी की रीढ़ की हड्डी ठीक से नहीं बनी होती है, किसी का पैर नहीं बना होता है। अलग-अलग विकृतियां होती हैं, जिससे माता-पिता को परेशानियां होती हैं।अरविंद कुमार ने बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान कम से कम तीन अल्ट्रासाउंड होना जरूरी है। दूसरी बार अल्ट्रासाउंड तीन से साढ़े तीन महीने के बाद कराया जाता है, उस अल्ट्रासाउंड में ये बीमारियां पकड़ में आ जाती हैं। इसके बाद इस तरह के बच्चे का अबॉर्शन कराने की सलाह दी जाती है। जिस महिला का मामला सामने आया है, उन्होंने भी अल्ट्रासाउंड नहीं कराया होगा, जिससे विकृति पकड़ में नहीं आई होगी और अजूबे बच्चे का जन्म हुआ है।
इस तरह के नवजात को स्पेशल चाइल्ड कहा जाता है, जो अलग-अलग विकृतियों के साथ पैदा होता है। इनमें कई कैटेगरी होती है, किसी के दिल में छेद होता है, किसी का होंठ कटा होता है, ये तो सामान्य बातें हैं, लेकिन जो नावकोठी का मामला सामने आया है, वो रेयर केस है।