“मौसम का हाल:बिहार के 26 जिलों में कोल्ड डे का अलर्ट:कल से बढ़ेगी कनकनी;और गिरेगा पारा
“मौसम का हाल:बिहार में फिलहाल ठंड से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। आज 26 जिलों में कोल्ड डे को लेकर यलो अलर्ट जारी किया गया है। पटना समेत कई जिलों में रविवार को न्यूनतम तापमान में दो से चार डिग्री सेल्सियस की कमी आने की संभावना है। हालांकि आज सुबह से ही पटना में धूप खिली हुई है।मौसम विभाग के मुताबिक पाकिस्तान में बन रहे वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का आने वाले दिनों में असर देखने को मिलेगा। शुक्रवार को रोहतास सबसे ठंडा रहा। यहां का न्यूनतम तापमान 8.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।
हाजीपुर की हवा बेहद खराब
बिहार में ठंड के वजह से हवा भी काफी ज्यादा खराब हो गई है। शनिवार को हाजीपुर की हवा सबसे ज्यादा खराब वहां का AQI 290 दर्ज किया गया है। इसके अलावा मुजफ्फरपुर का 233, पटना का 248, आरा का 224, बेगूसराय का 254, मुंगेर का 210, पूर्णिया का 227, किशनगंज का 260 और का बेतिया का 249 दर्ज किया गया है।
आज यानी 18 जनवरी तक तक स्कूल बंद
पटना मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक के अनुसार पछुआ हवा तेज चल रही है। इस समय पश्चिमी विक्षोभ पूर्वांचल को पार करते हुए बिहार की तरफ बढ़ रहा है। उसका पिछला हिस्सा यानी कोल्ड फ्रंट यहां से गुजर रहा है।
इसमें बर्फीली हवा चलती है। जिसके कारण अधिक ठंड है। ठंड को देखते हुए पटना के बाद गोपालगंज और मुंगेर में भी आठवीं क्लास तक के स्कूलों को 18 जनवरी तक बंद किया गया है।वहीं, सीवान सबसे गर्म जिला रहा। अधिकतम तापमान 23.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग की ओर से 10 जिलों के आंकड़े जारी किए गए हैं।
बच्चों को निमोनिया और कोल्ड डायरिया की शिकायत
ठंड के कारण बच्चों और बुजुर्गों में समस्या बढ़ गई है। बच्चों में वायरल इन्फेक्शन के कारण निमोनिया, कोल्ड डायरिया, सर्दी-खांसी, बुखार, ब्रोंकियोलाइटिस के अलावा सांस फूलने की शिकायतें मिल रही है। एक साल से कम उम्र के बच्चे ज्यादा बीमार पड़ रहे हैं।
PMCH में शिशु रोग विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. निगम प्रकाश नारायण की माने तो ‘प्रदूषण की वजह से भी बच्चों में सांस फूलने की समस्या है। दम फूलने की वजह से बच्चे दूध नहीं पी पा रहे हैं। अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है। नस के जरिए उन्हें भोजन दिया जा रहा है। ओपीडी में आने वाले बीमार बच्चों में से 25 फीसदी को सांस लेने में दिक्कत है। सही इलाज के बाद 4 से 5 दिनों में बच्चे ठीक भी हो रहे हैं।’