Saturday, January 18, 2025
BegusaraiSamastipur

“सीएम आ रहे है,7 दिन में बनी रोड:बेगूसराय में 77 साल बाद मिली सड़क, आज मुख्यमंत्री करेंगे उद्घाटन

बेगूसराय.’बच्चे को कंधे पर बैठाकर स्कूल ने जाना पड़ता था। सावन में तो बच्चे स्कूल ही नहीं जाते थे। बारात आकर वापस चली जाती, कई बार लड़के को बच्चों की तरह कंधे पर बैठाकर मुख्य सड़क से लड़की के घर तक पहुंचाना पड़ता था। किसी के मरने पर लाश को टांग कर मुख्य सड़क तक ले जाते थे। रिश्तेदार आते तो कहते थे ये कैसी जगह है…।’

ये सारी परेशानियां बेगूसराय के मटिहानी ब्लॉक स्थित मनियप्पा गांव के रजक टोला की है। सीएम नीतीश कुमार के पहुंचने से पहले महज सात दिन में यहां सड़क बनकर तैयार हो गई। 77 साल बाद पहली बार सड़क बनी। इससे पहले लोग पगडंडी से काम चला रहे थे। इस गांव में महादलित परिवारों की संख्या अधिक है। रजक टोला पहुंचा भास्कर रिपोर्टर, पढ़िए रिपोर्ट…

18 दिसंबर को प्रगति यात्रा पर सीएम नीतीश कुमार के मनियप्पा पहुंचने की जानकारी मिलते ही डीएम तुषार सिंगला रजक टोला पहुंच गए। उन्हें पता चला कि 2000 हजार की आबादी वाले रजक टोला में सड़क ही नहीं है।डीएम साहब को भी यहां आने के लिए पगडंडी का सहारा लेना पड़ा। लोगों ने अपनी परेशानी बताई तो वो एक्शन में आ गए। 10 जनवरी को जमीन का अधिग्रहण हो गया और फिर 11 जनवरी से सड़क का निर्माण कार्य भी शुरू हो गया। 17 जनवरी को सड़क बनकर तैयार हो गई। अब शनिवार को सीएम इस सड़क का उद्घाटन करेंगे।

डीएम ने अधिकारियों से सड़क बनवाने के लिए कहा तो जमीन की समस्या आ गई। टोला से मुख्य सड़क तक जमीन निजी थी और किसानों ने जमीन देने से इनकार कर दिया। जिसके बाद महिटानी विधायक ने भी पहल की।डीएम ने स्पष्ट कर दिया कि जमीन का अधिग्रहण होगा, अगर ऐसा नहीं हुआ तो भी सड़क हर हाल में बनेगी। इसके बाद करीब 700 फीट लंबाई में 18 फीट चौड़ी जमीन का अधिग्रहण हुआ। डीएम ने कहा कि शुक्रवार की रात तक इस सड़क निर्माण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

पहले तेजस्वी और सीएम नीतीश कुमार को दिया था आवेदन

स्थानीय आनंदी तांती ने बताया कि ‘यह मोहल्ला 200 सालों से है। दादा-परदादा सब मर गए, लेकिन सड़क नहीं बनी। हमने BDO, CO, कलेक्टर, विधायक, पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी आवेदन दिया था, लेकिन न कोई कार्रवाई हुई और ना ही सड़क बनी।”अब विधायक राजकुमार सिंह के प्रयास से सड़क बन रही है। नीतीश कुमार आ रहे हैं। हम सभी टोला के लोग काफी खुश हैं। सड़क के बिना काफी परेशानी होती थी। पैदल जाना पड़ता था। कोई मरता था तो शव को ले जाने में परेशानी होती थी।’

सड़क से ही लौट जाती थी बारात

स्थानीय किरण देवी ने बताया, ‘सड़क नहीं बन रही थी, कीचड़ के कारण बच्चे पढ़ने नहीं जाते थे। रास्ते में गिरने के कारण उनके कपड़े खराब हो जाता थे। फिर घर लौटना पड़ता था। बच्चों को कंधे पर बैठा कर सड़क तक पहुंचाते थे, फिर बच्चे स्कूल जाते थे।”छुट्टी से पहले हम लोग सड़क पर खड़े रहते थे। अब मुख्यमंत्री आ रहे हैं तो स्थानीय विधायक और अधिकारियों के प्रयास से सड़क बन गई। शादी-विवाह में बहुत परेशानी होती थी। बारात सड़क से ही लौट जाती थी। लड़के को बाइक से लाते थे।’

‘उस पर भी लड़का कहता था कि शादी नहीं करूंगा, लेकिन किसी तरह समझा कर मोहल्ले के लोग बेटी की शादी कराते थे। बारात लौट जाती थी, खाना बचा रह जाता था।’वहीं, विमला देवी ने बताया कि ‘सड़क के कारण पूरे मोहल्ले के लोग काफी परेशान थे। बारात लौट जाती थी। 2 साल पहले सुधीर की बेटी की शादी के लिए 10 गाड़ी से बारात आई थी, लेकिन रास्ता नहीं था तो सभी बाराती लौट गए।’

‘बारातियों ने कहा कि रास्ता नहीं है तो नहीं जाएंगे। बहुत बारिश हुई थी तो कीचड़ था। दूल्हे को किसी तरह लाए, खाना भी बर्बाद हो गया। बीमार लोगों को खटिया पर टांगकर गिरते-पड़ते ले जाते थे।’कौशल्या देवी ने बताया कि ‘2 साल पहले मेरी बेटी की शादी थी। बारात आई, लेकिन रास्ते पर पानी पटवन किया हुआ था, इसलिए बारात लौट गई। लड़के को किसी तरह से समझा-बुझा कर शादी करने के लिए लाया गया। जमींदार जमीन नहीं देता था, इसलिए रास्ता ही नहीं बनता था। अब सभी ने पैसा लेकर जमीन दी, सड़क बन रही है।’

इंदिरा गांधी की घोषणा के बाद जमीन का पर्चा मिला

चमरू रजक ने बताया कि ‘ टोला में न सड़क और न पानी था। बहू को साइकिल पर बैठाकर लाना पड़ता था। आजादी के 3 साल बाद ही हमारे दादा यहां मालगुजारी की जमीन पर आकर बसाए गए। हमलोग आधी मजदूरी पर जमींदार का काम करते थे। उसके बाद यहीं बस गए।’रजक ने आगे बताया कि ‘1972 में इंदिरा गांधी ने जब घोषणा की तो हम लोगों को जमीन का पर्चा मिल गया। उसके बाद भी हम लोग जमींदार के यहां काम करके जीते रहे, लेकिन जमींदार सड़क के लिए जमीन नहीं दे रहे थे।”अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमारे गांव आ रहे हैं तो कलेक्टर के कहने पर सड़क बन रही है। हम लोग सड़क के लिए घेराव करते थे।’श्यामनंदन सिंह ने बताया कि ‘रजक मोहल्ला में कभी सड़क नहीं बनी थी। संयोग से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कार्यक्रम बना। हम लोगों ने विधायक से गुहार लगाई। जमीन मालिक बगैर पैसे के लैंड देने के लिए तैयार नहीं थे।’

‘किसी तरह हम लोग जिंदगी गुजार रहे थे। बिना अधिग्रहण के जमीन देने के लिए तैयार नहीं हुए तो अधिकारियों ने काफी प्रयास किया। डीएम ने सबसे बड़ी पहल की, वह एक्शन में आए, तभी सड़क बनी।’

Kunal Gupta

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