राज्य में एनक्यूएएस सर्टिफाइड संस्थानों की संख्या में भारी वृद्धि, 38 नए प्रमाणित
पटना। स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक स्तर के स्वास्थ्य संस्थानों के एनक्यूएएस प्रमाणीकरण की दिशा में एक नया अध्याय जोड़ा है। राज्य में एक साथ सभी जिलों से एक और कुल 38 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को राज्य स्तरीय एनक्यूएएस सर्टिफिकेट मिला है। एक साथ इतने स्वास्थ्य संस्थानों के सर्टिफाइड होने से राज्य में एनक्यूएएस प्रमाणित स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। इस संबंध में राज्य में क्वालिटी एश्योरेंस के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ बीके मिश्रा ने बताया कि राज्य में अब एनक्यूएएस के कुल प्रमाणित संस्थानों की संख्या 89 हो गयी है। इसमें 22 नेशनल और 67 स्वास्थ्य संस्थान राज्य स्तर से सर्टिफाइड हैं। राज्य स्तर के सर्टिफाइड संस्थानों ने नेशनल असेसमेंट के लिए आवेदन भी दे दिया है।
विभाग ने एनक्यूएएस के निर्धारित लक्ष्य के लिए प्रत्येक प्रशासनिक स्तर पर एक आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का चयन किया है। इसमें जिला स्तर पर 38 तथा अनुमंडल स्तर पर कुल 101 स्वास्थ्य संस्थानों का चयन हुआ है। इनमें से 52 अनुमंडल अधीन आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का दिसंबर जनवरी तक असेसमेंट होना है। वहीं 20 दिसंबर या उत्तरवर्ती महीनों में प्रति प्रखंड एक आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के प्रमाणीकरण के लिए आवेदन की समय सीमा तय की गयी है।
सारण के शीतलपुर को मिले सबसे ज्यादा अंक:
राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक के राज्य स्तरीय असेसमेंट में सारण जिले के दिघवारा प्रखंड के शीतलपुर डीह स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को पूरे राज्य में सबसे ज्यादा अंक मिले हैं। इस स्वास्थ्य संस्थान को कुल 94 प्रतिशत अंक हासिल हुए हैं। सारण के डीपीसी रमेश चंद्र कुमार ने बताया कि यह सफलता न केवल जिले की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती प्रदान करती है, बल्कि पूरे बिहार में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मियों के समर्पण को एक प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत करती है।
शीतलपुर डीह एचडब्ल्यूसी की यह उपलब्धि स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है। दूसरे स्थान पर अरवल जिला का एचडब्ल्यूसी परियारी है। एनक्यूएएस के राष्ट्रीय असेसर डॉ. माहताब सिंह का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य केंद्रों के एनक्यूएएस प्रमाणीकरण से प्राथमिक स्तर पर मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार होगा। स्वास्थ्य कर्मियों के क्षमतावर्द्धन से गुणवत्ता युक्त सुविधाएं मिलेगी।