“सतत जीविकोपार्जन योजना :पति की मौत के बाद सुनीता देवी ने नर्सरी खोली,बैग कंपनी खोल कर जीनत ने 10 लोगों को दिया रोजगार
हाजीपुर की सुनीता देवी के पति की असमय मौत हो गई। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। सागर जीविका महिला ग्राम संगठन ने सतत जीविकोपार्जन योजना से लाभ देने के लिए इनके नाम का अनुमोदन किया। मदद मिलने पर इन्होंने नर्सरी की शुरुआत की। प्रति माह 8-10 हजार का मुनाफा हो रहा है। अब सुनीता की पहचान लखपतिया दीदी के रूप में हैं। वह गांधी मैदान में लगे सरस मेले में आकर काफी उत्साहित हैं।
दरभंगा की जीनत परवीन बैग बनाने की कंपनी खोलकर देश-दुनिया में नाम रोशन कर रही हैं। वह बताती हैं-पहले पति बैग बनाने की कंपनी में काम करते थे, लेकिन इससे घर नहीं चल पाता था। पांच साल से पति के साथ काम करना शुरू किया। अब 10 लोगों को रोजगार भी दे रही हूं। विदेशों तक ऑनलाइन मार्केटिंग करती हूं। गोंद का लड्डू, मुरब्बा, नमकीन आदि बनाने वाली औरंगाबाद की रेणु देवी बताती हैं-पहले घर का काम करती थी। इसके बाद महिलाओं के साथ मिलकर घर में मिठाई और नमकीन बनाने लगी। सारी मिठाइयां गांव में ही बिक जाती हैं।
लोक कलाकारों ने झुमाया
सरस मेला ग्रामीण हस्तशिल्प का अनूठा नमूना प्रस्तुत कर रहा है। 25 राज्यों के 300 से अधिक स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिला उद्यमी सदियों पुरानी लोककला आैर हस्तशिल्प को पुनर्जीवित कर रही हैं। दीदी की रसोई समेत व्यंजनों के स्टॉल पर विभिन्न राज्यों की मिठाइयां लोगों को लुभा रही हैं। खगड़िया की जीविका दीदी द्वारा बनाई गई मक्के की रोटी, चने की साग और शामक चावल की खीर का लोग खूब लुत्फ उठा रहे हैं। शाम ढलते ही अपन बिहार के माध्यम से लोक कलाकारों ने नृत्य द्वारा बिहार गाथा प्रस्तुत की। जट-जटीन, झिझिया आैर झूमर की प्रस्तुति ने दर्शकों को झुमाया। कलाकारों में राधा, प्रियंका, सलोनी, मधुमिता शामिल रहीं।