अब पटना से सीधे विदेश भेजिए मखाना, लेदर और सब्जियां: बिहटा में बिहार का पहला ड्राई पोर्ट
पटना.उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहल पर बिहार का पहला ड्राई पोर्ट यानी सूखा बंदरगाह बिहटा में खोला गया है। जहां से बिहार, झारखंड के साथ साथ उत्तरप्रदेश के भी कुछ हिस्से के छोटे और बड़े व्यापारी अब आसानी से अपना सामान बड़े स्तर पर विदेशों में भेज सकते हैं।यह ड्राई पोर्ट बिहार में प्रिस्टिन मगध इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने खोला है। इसका उद्घाटन 21 अक्टूबर को बिहार सरकार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने किया था। उद्घाटन के साथ ही इस ड्राई पोर्ट से 7 कंटेनर का एक कंसाइनमेंट जो रूस भेजा गया। इसमें लेदर था।
ड्राई पोर्ट को इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) कहा जाता है। ये ऐसे एरिया में खोला जाता है। जहां किसी प्रकार के समुद्र से कोई कनेक्टिविटी नहीं होती है। ये किसी भी व्यापारी को अपना सामान आयात और निर्यात करने के लिए पूरी सुविधा प्रदान करता है। यहां उन्हें कस्टम क्लियरेंस भी कराई जाती है। भारत के अंदर कुल 80 ICD है।
प्रिस्टिन मगध इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के पूरे देश में 11 ICD हैं। जिसमें बिहार के बिहटा में ये 11वां सूखा बंदरगाह है। मुख्य तौर पर इस बंदरगाह में 4 प्रकार के कंटेनर है। जिसमें 20 फिट, 40 फीट, ड्राईवेन रेफ्रिजरेटर और हाय क्यू कंटेनर उपलब्ध है।इस सूखा बंदरगाह के खुल जाने से व्यापारियों के साथ-साथ 250 लोगो को स्थानीय स्तर में रोजगार मुहैया हो रहा है। साथ ही आगे 7 हजार लोगों को इससे रोजगार मिलने के रास्ते खुल गए हैं।
नवंबर में पूरी तरह से शुरू हो जाएगा सूखा बंदरगाह
बता दें कि यह बंदरगाह अभी तक पूरी तरह से शुरू नहीं हुआ है। नवंबर के दूसरे सप्ताह तक इसके पूरी तरह से शुरू होने की उम्मीद है। अभी तक इस बंदरगाह के नहीं होने से बिहार के लोग कानपुर ड्राई पोर्ट से अपना व्यापार करते थे। इस बंदरगाह के शुरू होने के महज 15 दिनों के अंदर 100 लोगों ने इसके जरिए अपने व्यापार बढ़ाने के लिए पूछताछ की है। जिसमें से 10 लोगों ने अप्लाई भी किया है।
0.5 से 10% तक बढ़ेगा बिहार से आयात-निर्यात
बिहार पूरे भारत में 0.5 प्रतिशत आयात-निर्यात करता है। ये सुविधा हो जाने से अब 10 प्रतिशत तक आयात-निर्यात होने की उम्मीद लगाई जा रही है। बिहार से मुख्य तौर पर मखाना, लेदर, सब्जी, फल, और विभिन्न प्रकार के फलों के पाउडर की सप्लाई की जाती है। जिसमें केला, प्याज प्रमुख तौर पर हैं।
वैशाली से रूस की सेना के लिए भेजा जाता है लेदर
बता दें कि भारत से निर्यात होने वाले मखाना में बिहार से सबसे ज्यादा 90 प्रतिशत शामिल है। मखाना का उत्पादन मुख्य तौर से दरभंगा और मधुबनी के क्षेत्रों में किया जाता है। इसके बाद पूर्णिया के ट्रेडर्स इसे विदेशों में सप्लाई करते हैं। साथ ही वैशाली का लेदर जिससे रूस की सेना के लिए लेदर से बनने वाले आइटम बनाए जाते हैं।
इनको पहले कानपुर या फिर बाय रोड बंदरगाह पर भेजा जाता है। इसकी प्रक्रिया में बहुत वक्त लगता था। जिससे व्यापारी पीछे हट रहे थे, लेकिन अब इस ड्राई पोर्ट खुल जाने से इस काम में लोगों को आसानी होगी।सीनियर मैनेजर अमरीश कुमार ने कहा कि ‘बिहार के किसानों को सब्जी फल बेचने ने समस्या हो रही थी। वो अब डायरेक्ट यहां से रेफर कंटेनर विदेशों में भेज सकते हैं। जैसे मेरा ही मशरूम का प्लांट है। मैं भी मशरूम विदेशों में भेजने को लेकर बात कर रहा हूं।’

ऑपरेशन और ट्रांसपोर्ट मैनेजर शांति भूषण श्रीवास्तव ने कहा कि ‘चावल और मखाना के निर्यात में बिहार बहुत अच्छा काम कर रहा है। और यह ड्राई पोर्ट बिहार के निर्यात को बढ़ावा देने में मिल का पत्थर साबित होगी।बिहार के चावल, मक्का, आम के लिए हम लोग इस बंदरगाह पर ऐसी सुविधा लेकर आएंगे, ताकि यह सीधा बिहार के नाम से जाना जा सके। हमारे यहां से इन सब चीजों के अलावा ऑर्गेनिक लेदर, लेदर वुड्स का उत्पाद हो रहा है। जिसे यहां से निर्यात किया जा सकता है।
कंटेनर उठाने के लिए RST मशीन का इस्तेमाल होता है
मोहित पांडे कंटेनर मैनेजमेंट और साइट इंचार्ज का काम देखते हैं। उन्होंने कहा कि ‘हमारे यहां जो भी कंटेनर इस्तेमाल हो रहे हैं। उसमें अधिकतर 20 फीट के कंटेनर हैं। जेब्रा मार्किंग और पीली पट्टी के कंटेनर को देखकर ही पता चल जाता है कि, यह हाई क्यूब है और जिस पर यह मार्किंग नहीं है। वह नॉर्मल कंटेनर है। हमारे यहां कंटेनर को उठाने के लिए RST मशीन का इस्तेमाल होता है।
चीनी मिल की जगह खोला गया है ड्राई पोर्ट
आपको बता दें कि जिस जगह ड्राई पोर्ट खोला गया है। वो पहले चीनी मिल की जगह थी। ये बिहार का सबसे बड़ा चीनी मिल था। जिसके बाद इसी कंपनी ने यहां प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल खोला। इसका मतलब होता है कि रेलवे की वैसी जगह जिसकी स्थिति बहुत खराब हो और उसको विकास की आवश्यकता हो तो सरकार इसे डेवलप करने के लिए प्राइवेट कंपनी को लीज पर देती है। हालांकि ट्रेन का संचालन और बाकी सभी चीजें सरकार के ही अंदर होती है। इसी प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल को विकसित कर ड्राई पोर्ट खोला गया है।