“शारदा सिंहा से मैना की रोचक बातचीत:निधन से 54 घंटे पहले अस्पताल की खिड़की पर पहुंची मैना,बोलीं- हम भी आ रहे हैं तुम्हारे पास
शारदा सिंहा से मैना की रोचक बातचीत:पटना.अस्पताल के बेड पर पड़े मैना से बातचीत करती लोकगायिका शारदा सिंहा। उनके बेटे अंशुमान सिंहा ने सोशल मीडिया पर इस वीडियो को शेयर किया है।
लोक गायिका शारदा सिंहा का निधन 5 नवंबर को महापर्व के समय हो गया। वो गंभीर बीमारी से ग्रस्त थीं। दिल्ली AIIMS में उन्होंने अंतिम सांस ली। अब उनके निधन से 54 घंटे पहले यानी 3 नवंबर का एक वीडियो सामने आया है। उनके बेटे अंशुमान सिंहा ने सोशल मीडिया पर इस वीडियो को शेयर किया है।
इस वीडियो में एक मैना शारदा सिन्हा के वार्ड के बाहर की खिड़की पर आकर आवाज लगाते हुए दिख रही है। शारदा सिन्हा उससे बात करने लगती हैं। उनकी आवाज भारी है। वह मैना से कहती देखी जा रही हैं कि निकालअ न हमरा….। शारदा सिन्हा बीमारी के भंवरजाल से खुद को निकालने की बात शायद मैना से कह रही थीं। आगे वह कहती हैं …गप करे ल एअला हन.. हां.. हो..(मुझसे बात करने आई हो) मैना भी उनकी तरफ देखकर आवाज निकालती है। अपनी पोती की मिमिकरी करती हुई शारदा सिन्हा कहती हैं …चिआं….. ओ चिड़िया…. क्या बोलती हो!
हम भी आ रहे हैं तुम्हारे पास
इसके बाद शारदा सिंहा कहती हैं – हम भी आ रहे हैं तुम्हारे पास…। शारदा सिन्हा बेड पर पड़े-पड़े मैना को पुचकारती हैं। आंखें एकटक कर मैने की तरफ ही देखती रहती हैं…। अपनी बेटी वंदना से शारदा कहती हैं पूछो न वंदना क्यों आई है? बेटी कहती है आपसे ही बात करने आई है।
वीडियो में एक मैना शारदा सिन्हा के वार्ड के बाहर की खिड़की पर आकर आवाज लगाते हुए दिख रही है। शारदा सिन्हा उससे बात करने लगती हैं। उनकी आवाज भारी है। वह मैना से कहती देखी जा रही हैं कि निकालअ न हमरा….।
बेटे अंशुमान ने सोशल मीडिया पर लिखा
शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान ने यह वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा है-‘ 5 नवंबर 2024 को मां ने 9 बजकर 20 मिनट पर अंतिम सांसे लीं। इस दुर्घटना के 54 घंटे पूर्व 3 नवंबर को एक घटना हुई थी, जब वो होशो हवास में थीं, दर्द में थीं, पर वो ठीक थीं और हमें यह लग रहा था कि वो रिकवरी के रास्ते पर हैं। पर वो खाना नहीं खाती थीं, और हमें पूछती रहती थीं कि “मैं किसके लिए खाऊं? ” इस प्रश्न के भाव ये थे कि उनको चूंकि अपना शरीर अपना महसूस हो नहीं होता था उन्हें लगने लगा था यह खत्म हो चुका है, तब ऐसी अवस्था में वे किस शरीर के लिए खाना खाएं?
5 नवंबर को शाम 4.20 मिनट पर हॉस्पिटल रूम (वातानुकूलित) की खिड़की पर जो कि सील पैक्ड खिड़की थी, एक मैना (चिड़ियां) आ कर बैठी। मां की नजरें उससे मिली तो वो अनायास ही उससे वार्तालाप करने लगीं। जबकि उन दिनों हम इस बात से परेशान थे कि मां कुछ बोलती क्यों नहीं आज कल! हमसे भी कोई ज्यादा बातचीत नहीं कर पाती थीं। उस मैना से उन्होंने इस वीडियो में ये कहा है कि हमको भी तुम्हारे पास आना है। फिर अचानक जैसे उनकी चेतना में परिवर्तन आया, उन्हें उनकी पोती का स्मरण होने लगा। और पोती को वो मिस कर रहीं थीं , इसलिए उसी का अनुकरण करने लगीं । मेरी बेटी चिड़ियां को चियां बुलाती है अभी जुबान टूटी नहीं है उसकी। गौरतलब हो कि मिमिक्री या कैरीकेचर भी मां के छुपे हुए कई गुणों में से एक था । बस हमें ये नहीं पता था कि हम उनका अंतिम मिमिक्री देख रहे हैं । फिर उनकी चेतना में पुनः परिवर्तन आता है और वे अपनी बेटी वंदना से बोलती हैं उससे पूछो न वंदना क्यों आई है (मैना) ? इस दौरान मैना निरंतर अपनी बात मां से कहती चली गई ।
शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान ने यह वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा है-‘ 5 नवंबर 2024 को मां ने 9 बजकर 20 मिनट पर अंतिम सांसे लीं। इस दुर्घटना के 54 घंटे पूर्व 3 नवंबर को एक घटना हुई थी, जब वो होशो हवास में थीं, दर्द में थीं, पर वो ठीक थीं और हमें यह लग रहा था कि वो रिकवरी के रास्ते पर हैं।
दैवीय तत्व ढूंढना कोई मुश्किल बात नहीं
अंशुमान ने आगे लिखा है- ‘ इस जगह पर मुझे मां की वो पंक्तियां याद आती हैं जो वो अक्सर कहा करती थीं – “न जाने बादलों के बीच क्या साज़िश हुई, मेरा ही घर मिट्टी का था मेरे घर ही बारिश हुई ” । इस वीडियो में प्रकृति से उनका प्रेम साफ झलकता है। बालपन के ग्रामीण परिवेश की स्मृतियां उनके मानस पटल पर मुखरित हो रही हैं । मां एक गाना गाया करती थीं जो वो रिकॉर्ड करना चाहती थीं पर हो नहीं पाया । वो गीत था ” मैना के बच्चा तूतुहिया रे दु गो जामुन खसो, कांचे गिरैबै त मारबो रे, दु गो पाकल गिरो। मुझे वो गीत और मां का बच्चों जैसा बात करने के बीच कुछ संबंध नज़र आ रहा था । तुरंत ही मैने मोबाइल से रिकॉर्ड कर लिया था। इस घटना में दैवीय तत्व ढूंढना कोई मुश्किल बात नहीं है। ईश्वर से उन्होंने प्रार्थना की कि उन्हें अब ले जाया जाए , उन्होंने मैना से इस वार्तालाप में आग्रह भी किया और बताया भी कि उन्हें अब उनके साथ ही उड़ चलना है । साक्षात देवी के सानिध्य में जीवन कटा हम परिजनों का , अब उनका नहीं होना हृदय को चीरता है। सोर्स ‘दैनिक भास्कर।