“सेहरा बांधने की जगह तिरंगे में लिपटा दलसिंहसराय के रेलकर्मी:मां ने कहा- होनेवाली बहू के लिए गहने तक खरीद लिए थे
दलसिंहसराय.बरौनी जंक्शन पर शनिवार को ट्रेन के पार्सल वैन और इंजन के बीच दबकर रेलकर्मी अमर कुमार राउत (35) की मौत हो गई थी। एक महीने बाद उसके सिर पर सेहरा सजता, लेकिन उसका शव तिरंगे में लिपटा बरौनी रेलवे कॉलोनी लाया गया। रविवार की दोपहर यहीं से अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया।रोते हुए मां किरण देवी कहती हैं कि ‘अगले महीने उसकी शादी होने वाली थी। 10 दिसंबर को मटकोर पूजा थी। 11 दिसंबर को बारात निकलती। घर में शादी की तैयारियां चल रही थी। होने वाली बहू के लिए कपड़े-गहने भी खरीद लिए थे, लेकिन पल भर में सब कुछ तबाह हो गया। आज मेरी आंखों के सामने से उसकी अर्थी उठ गई।’
शनिवार की सुबह करीब 7:45 बजे अमर कुमार ड्यूटी करने बरौनी जंक्शन गए थे। 9 बजे सूचना मिली कि अमर की मौत बरौनी जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर-5 पर इंजन से दबकर हो गई है। मौत के करीब 30 घंटे बाद तिरंगा में लिपटकर शव को अयोध्या गंगा घाट ले जाया गया। रेलवे की ओर से अमर के परिवार को 44 लाख रुपए दिए गए हैं। वहीं उसके भाई को अनुकंपा पर रेलवे में नौकरी दी जाएगी।
2018 में पिता की हो गई थी मौत
समस्तीपुर के दलसिंहसराय के सरदारगंज निवासी राजकुमार राम रेलवे में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के पद पर बरौनी जंक्शन पर काम करते थे। बरौनी रेलवे क्वार्टर में उन्हें आवास मिला हुआ था। राजकुमार राम और किरण देवी के 3 बेटे थे। दीपक कुमार, शेखर कुमार और अमर कुमार(35)। दीपक पढ़ाई करके कॉम्पिटिशन के माध्यम से रेलवे में चतुर्थ वर्गीय पद पर बहाल हो गए। फिलहाल वो NFR में असम के लामडिंग में कार्यरत हैं।यहां राजकुमार राम रेलवे क्वार्टर में अपनी पत्नी और दो बेटे के साथ रहते थे। 7 दिसंबर 2018 को अचानक हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई। इससे परिवार बेसहारा हो गया। बड़े बेटे दीपक ने पिता की जगह अनुकंपा पर अपने भाई को नौकरी दिलाने का प्रयास शुरू किया। काफी दौड़ भाग के बाद नौकरी मिली।
पिता की जगह मिली थी नौकरी
मां की इच्छा से अमर को पिता के स्थान पर ट्रैफिक पोर्टर की नौकरी मिल गई। वह बरौनी जंक्शन पर काम करने लगा। सभी लोग अच्छे से रह रहे थे। परिवार वालों ने अमर की शादी करने का प्लान बनाया और अक्टूबर में मुजफ्फरपुर की एक लड़की से शादी की बात हो गई। 11 दिसंबर को शादी होनी थी। कार्ड छापने के लिए भेज दिया गया था। करीब 200 लोग बारात जाते, इसके लिए रविवार को गाड़ी की बुकिंग होनी थी।
होने वाली बहू के लिए खरीद लिए थे गहने-कपड़े
किरण देवी ने अपने होने वाली बहू के लिए कपड़े और जेवर भी खरीद लिए थे। बेटा और परिजनों-रिश्तेदारों के लिए भी कपड़ों की खरीदारी कर ली गई थीं। अमर हर दिन ड्यूटी से लौटता था। शुक्रवार की रात करीब 12 बजे ड्यूटी करके आया, खाना खाकर घर में सो गया। शनिवार की सुबह उसे बाजार जाना था, लेकिन सुबह करीब 7:45 बजे उसे ऑफिस से फोन आया कि आज सुबह ही 8 बजे से ड्यूटी करनी है। मजबूरन अमर ड्यूटी पर चला गया।
इस हादसे को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर तंज कसा है। उन्होंने अपने एक्स पर पोस्ट कर पूछा- आम लोग कब safe होंगे, मोदी जी? आप तो बस ‘एक’ अडानी को safe करने में लगे हुए हैं। ये भयावह तस्वीर और खबर भारतीय रेल की लंबी लापरवाही, उपेक्षा और जान बूझकर की गई कम भर्तियों का परिणाम है।
तिरंगे में लिपटा घाट तक पहुंचा अमर
घटना की सूचना मिलते ही बड़ा भाई दीपक रविवार को असम से बरौनी पहुंचा। इसके बाद कांपते हुए हाथों से तिरंगे में लिपटे अपने भाई की लाश को लेकर अयोध्या गंगा घाट पहुंचा। जहां अंतिम संस्कार किया गया। मंझला भाई शेखर ने मुखाग्नि दी है।अमर के चचेरे भाई मनोज कुमार ने बताया कि ‘7 दिसंबर 2018 को चाचा राजकुमार राम की मौत हो गई। उन्हीं की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर 2021 में अमर को नौकरी हुई थी। लड़का बहुत सीधा-साधा और सौम्य था। परिवार में सबसे छोटा और सब का बहुत प्यार था। ट्रैफिक पोर्टर पर इसकी नौकरी हुई थी। शुक्रवार को पूरे परिवार के साथ धूमधाम से छठ मना कर समय से ड्यूटी करने गया था। रात में करीब 12 बजे ड्यूटी करने आया ही था कि सुबह फिर से 8 बजे ड्यूटी पर बुला लिया गया। जिसके बाद उसकी मौत की खबर मिली।’
मृतक के भाई शेखर ने बताया कि बरौनी जंक्शन पर पर्याप्त स्टाफ नहीं रहने के कारण एक-दो स्टाफ से काम लिया जाता था। शंटिंग में भी चार स्टाफ के बदले एक-दो स्टाफ को भेजा जाता था। वह भी एक साथ नहीं रहते थे। समन्वय के आभाव में रेल प्रबंधन, ड्राइवर और स्टेशन मास्टर की लापरवाही से अमर की मौत हो गई। मिनटों में हम सब का सपना चकनाचूर हो गया। इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
मौत की जिम्मेदारी सरकार की
मृतक के बड़े भाई दीपक ने कहा कि ‘हम एनएफआर रेलवे में ड्यूटी करते हैं। कल जब ड्यूटी पर जा रहे थे तो अचानक अमर के मौत की सूचना मिली। सरकार खाली पद पर पर्याप्त बहाली करे। स्टेशन मास्टर ने मरने के लिए भेज दिया। इसके साथ जो लोको पायलट और सुलेमान था, वह कैसा था कि मार दिया। मौत की जिम्मेदारी सरकार की है। 10 साल से सिर्फ सुन रहे हैं की बहाली हो रही है, लेकिन बहाली कहीं दिख नहीं रहा है। मेरा भाई मर गया, मेरे परिवार पर क्या बीत रहा है, वह हम लोग जानते हैं।’दीपक ने बताया कि ‘यह साजिशन मौत है, इसकी सही तरीके से जांच हो। सुलेमान सीनियर था, वह नीचे रहता तो घटना नहीं होती। 8:29 में घटना हुई है और 10:30 बजे लाश निकाला गया। इस दौरान अधिकारी कहां थे। लोको पायलट भाग कैसे गया। वह गाड़ी आगे करता है तो मेरे भाई के साथ ऐसा हादसा नहीं होता। हमारे परिवार को न्याय चाहिए।’
सोनपुर सीनियर डीएसओ भी कर रहे हैं जांच
पहले चरण की जांच के दौरान सुलेमान के दोषी पाए जाने के बावजूद सोनपुर सीनियर डीएसओ विक्रमा राम अपने टीम के साथ रविवार को बरौनी जंक्शन पहुंचे। इस दौरान उन्होंने घटना से संबंधित सभी कर्मी तथा रेलवे स्टेशन पर मौजूद लोगों से घटना की जानकारी ली।
अमर के भाई को अनुकंपा पर मिलेगी नौकरी
रेलवे ने अब तक विभिन्न मद में साढ़े 44 लाख का मुआवजा दिया है। दाह संस्कार के लिए खुद डीआरएम विवेक भूषण सूद ने 10,000 रुपए तत्काल दिए थे।I जबकि एक्स-ग्रेसिया (स्टेशन अर्निंग की ओर से) 15,000 की राशि,1,80,846 रुपये ग्रैचुटी, 61,286 रुपये लीव एनकैशमेंट, 31,078 रुपये जीआईएस, 25,00,000 रुपये एलएसईजी,15,28875 रुपये एक्स ग्रेसिया (डब्लू सी एक्ट), 1,00,000 रुपये सोनपुर मंडल कर्मचारी कल्याण कोष से और 25,000 रुपये कर्मचारी कल्याण निधि की ओर से दिए गए हैं। मृतक अमर की विधवा मां किरण देवी की स्वीकृति के बाद अमर के भाई को अनुकंपा पर नौकरी के लिए सभी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।