मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती
पटना.हाजीपुर.मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बना है। इसके लिए लगातार कार्यक्रम किया जा रहा है। खासकर एएनसी के दौरान ही हाई रिस्क वाली गर्भवती महिलाओं को चिह्नित किया जा रहा है। मातृ मृत्यु का सबसे बड़ा कारण खून की कमी है। सितंबर माह में की गई रिपोर्टिंग के अनुसार प्रसव के बाद 8 महिलाओं की मौत हुई है। जिसमें सबसे ज्यादा किसी न किसी कारण से खून की कमी ही बताई गई है।
इसके अलावे जनसंख्या और मातृ मृत्यु दर के अनुपात को देखते हुए इस वर्ष 60-75 महिलाओं की मृत्यु की संभावना जताई गई है। बीते दिनों सदर अस्पताल में आयोजित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम के दौरान 4 हाई रिस्क महिलाओं को चिन्हित किया गया था। जिसमें 3 एनिमिक थी। यह बड़ा कारण सामने आया। सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में जांच के साथ-साथ प्रसव कराना काफी लाभदायक होता है। हाई रिस्क वाले मरीज पर घर तक निगरानी रखी जाती है। अगर प्रसव के बाद किसी महिला की मौत हो जाती है तो उसका कारण भी पता लगाया जाता है।
विभागीय जानकारी के मुताबिक अगस्त और सितंबर माह में प्रसव के बाद 8 महिलाओं की मौत हुई है, जिसमें 3 ब्लीडिंग होने के कारण खून की कमी 2 बच्चा पैदा करने में असमर्थ होने, 1 कन्वर्जन व ब्लड प्रेशर और 2 बच्चेदानी में इंफेक्शन रहने के कारण मौत हुई है।
विभाग का लक्ष्य रिपोर्टिंग व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करना संस्थागत प्रसव के दौरान और उसके बाद माताओं को किसी प्रकार की शारीरिक परेशानियों का सामना न करना पड़े इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने सुमन कार्यक्रम प्रारंभ किया है। सुमन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं एवं माताओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित कराना है। उन्हें गर्भावस्था से लेकर प्रसव के बीच कोई परेशानी न हो और विपरीत परिस्थिति में मातृ मृत्यु की ससमय एवं सटीक रिपोर्टिंग हो सके। इस कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य रिपोर्टिंग व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाना है।
सुगम योजना से मिलेगी आशा कार्यकर्ता को प्रोत्साहन राशि ^मातृ मृत्यु के 24 घंटे के अंदर स्थानीय सरकारी अस्पताल में सूचना देने पर आशा कार्यकर्ता को हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएंगी। गर्भावस्था से लेकर प्रसव के 42 दिनों तक महिला की मृत्यु होने पर ही इसे मातृ मृत्यु में शामिल किया जाता है। सुमन कार्यक्रम के तहत शत-प्रतिशत मातृ मृत्यु दर की रिपोर्टिंग का लक्ष्य रखा गया है। – डॉ. कुमार मनोज, डीपीएम हेल्थ वैशाली।
प्रसव के दौरान माताओं की मौत पर सूचक को 1000 रुपये दी जाएगी अब स्वास्थ्य विभाग ने निर्णय लिया है कि प्रसव के दौरान माता की विपरीत परिस्थिति में मृत्यु हो जाती है तो इसकी सूचना देने पर (आशा)सूचक को हजार रुपये की राशि दी जाएगी। समुदाय स्तर पर माता की मौत होने की सूचना टोल फ्री नंबर 104 पर दी जा सकेगी। डीपीएम ने बताया कि सुमन कार्यक्रम के तहत प्रसव के छह माह तक आवश्यकतानुसार बीमार माता और शिशु को मुफ्त इलाज की सुविधा की व्यवस्था भी की गई है। मातृ मृत्यु की ससमय एवं सटीक रिपोर्टिंग होने से आगे की रणनीति बनाने में सहायता मिलती है। इसके लिए रिपोर्टिंग पर लगातार बल दिया जा रहा है.