Wednesday, October 2, 2024
Samastipur

वैभव सूर्यवंशी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगाया शतक, समस्तीपुर में मनाई गई दिवाली,फोड़े पटाखे

समस्तीपुर.ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चेन्नई में चल रहे अंदर-19 नेशनल चार दिनी क्रिकेट टूर्नामेंट में समस्तीपुर के ताजपुर का रहने वाला वैभव सूर्यवंशी ने शतक लगाया। इस पर समस्तीपुर के क्रिकेट प्रेमियों ने दीपावली मना ली।

 

मंगलवार शाम शहर के पटेल मैदान में क्रिकेट प्रेमियों ने जमकर पटाखे फोड़े। वैभव सूर्यवंशी के बचपन के कोच ब्रजेश झा ने नए खिलाड़ियों के बीच मिठाई का वितरण किया। नए खिलाड़ियों को कहा तुम भी वैभव बन सकते हो, बस वैभव सूर्यवंशी की तरह तुम में भी जुनून होना चाहिए।

 

सूर्यवंशी में क्रिकेट को लेकर है जुनून

 

वैभव सूर्यवंशी के बचपन के कोच ब्रजेश झा ने कहा कि क्रिकेट को लेकर अलग तरह का ही सूर्यवंशी में जुनून है। वह 6 साल का था तब मेरे पास अपने पिताजी के साथ आया था। उनके पिता भी पूर्व क्रिकेटर रहे हैं। ब्रजेश ने बताया कि सूर्यवंशी को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनके पिता की बहुत बड़ी भूमिका रही है। लगातार उन्होंने इस पर मेहनत किया है कि सफलता कैसे मिलेगी।

 

3-3 घंटे तक करता था नेट प्रैक्टिस

 

ब्रजेश बताते हैं कि सूर्यवंशी आज जिस मुकाम पर है, इस पर पहुंचने के लिए उसने शुरु से ही नियमों का पालन किया है। प्रैक्टिस के दौरान उसे जो टास्क दिया जाता था, वह उससे आगे बढ़कर पूरा करता था। अपने सीनियर का मान-सम्मान करता था। इस कारण उसे काफी देर तक लोग बैटिंग कराते थे। वह लगातार तीन-तीन घंटे तक नेट प्रैक्टिस करता था। उसके साथ ही खिलाड़ी भी लगातार उसे बॉलिंग करते थे।

 

कोरोना काल में पिता ने घर के सामने ही लगा दिया नेट

 

कोरोना के समय जब लॉकडाउन लगा तो प्रैक्टिस का लय न टूटे इसके लिए उनके पिता ने अपने घर के सामने ही नेट लगा दिया। जहां कोरोना के बीच वैभव लगातार प्रैक्टिस करता रहा और लय में बना रहा। वैभव की सफलता पर ब्रजेश गर्व महसूस करते हैं कि पटेल मैदान से यह दूसरा खिलाड़ी है, जो इंटरनेशनल खेल रहा है। उन्होंने कहा कि अभी उनके यहां 20 से अधिक नए खिलाड़ी प्रैक्टिस के लिए आ रहे हैं। इनमें से दो-तीन में इंडियन टीम खेलने का टैलेंट है, आने वाले कुछ सालों में वह इंडिया जरूर खेलेगा।

 

वैभव को आउट करना मेरी दिली इच्छा थी

 

पटेल मैदान में उसके साथ क्रिकेट खेलने वाला बॉलर अक्षत अवि बताते हैं कि वह वैभव को बॉलिंग करता था। उसकी दिली इच्छा रही कि उसे वह एक बार आउट करे। लेकिन उसे यह सफलता नहीं मिल पाई। वह भारतीय टीम में सिलेक्ट हो गया। उसकी गेंद पर वह लगातार चौका छक्का लगता था, तो उसे गुस्सा भी आता था। उसने बताया कि हालांकि वह जितना गेंद के प्रति क्रूर था उतना ही वह दिल का अच्छा इंसान भी है।

 

प्रियांशु कुमार बताते हैं कि उसके साथ प्रैक्टिस के अलावा जिला मैच खेलने का मौका मिला है। शुरू से ही वह बेहतरीन खेलता था। उसमें इस मुकाम पर पहुंचने की कला थी। हुनर था। वैभव की सफलता के बाद इसे भी यह हिम्मत आई है कि छोटे से शहर से अपनी मेहनत के बल पर इंडियन टीम तक पहुंचा जा सकता है।

Pragati

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!